नई दिल्ली : आईएनएक्स मामले में सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि आरोपियों को दस्तावेजों के निरीक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती. आरोपी और उनके वकील द्वारा मालखाना में रखे गए दस्तावेजों के निरीक्षण की अनुमति देने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को सीबीआई की चुनौती पर दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता सुनवाई कर रही थीं. उन्होंने कहा कि निरीक्षण के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने सुलझा लिया है.
न्यायाधीश ने कहा कि उनके पास आरोपी के लिए क्षमाशील सामग्री हो सकती है, जिसने याचिका खारिज करने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की. अधिकांश चीजों के लिए जिम्मेदारी आरोपी पर स्थानांतरित कर दी गई है. हर जांच एजेंसी 1000 दस्तावेज जब्त करती है. वे 500 पर भरोसा करते हैं और 500 रखते हैं. यह आपकी संपत्ति नहीं है. अदालत ने सीबीआई की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया और एजेंसी के साथ-साथ आरोपियों को अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने की अनुमति दी है.
सीबीआई के वकील अनुपम एस शर्मा ने कहा कि इस मामले में गोपनीयता महत्वपूर्ण है क्योंकि जांच अभी भी जारी है. अदालत ने जवाब दिया कि आप कहते हैं कि जब तक आप जांच पूरी नहीं कर लेते तब तक ट्रायल रुक जाएगा. आप मुझे बताएं कि आपकी आगे की जांच में कितना समय लगेगा और फिर यह तय किया जाएगा कि कौन सा दस्तावेज दिया जाना है.
अदालत ने कहा कि शीर्ष अदालत ने आपराधिक मुकदमों में कमियों से संबंधित एक मामले में कहा है कि एक आरोपी जब्त किए गए दस्तावेजों की मांग कर सकता है, जिन पर अभियोजन एजेंसी ने भरोसा नहीं किया है. अदालत ने टिप्पणी की, हम भूल गए हैं कि बुनियादी आपराधिक कानून क्या है. पैरा 11 (सुप्रीम कोर्ट के आदेश का) आप जैसी एजेंसियों के लिए है जो हर मामले में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं.
न्यायाधीश ने बताया कि इस मुद्दे पर संबंधित उच्च न्यायालय के नियमों को जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा. सीबीआई के वकील ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन दस्तावेजों की एक सूची प्रदान करने की बात करता है जिन पर अभियोजन पक्ष ने भरोसा नहीं किया है. उच्च न्यायालय ने 18 मई को चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति से जुड़े मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी थी. साथ ही सीबीआई की याचिका पर नोटिस जारी कर चिदंबरम और अन्य से जवाब मांगा था.
इसके अलावा सीबीआई ने आदेश में टिप्पणियों को अलग रखने की भी मांग की है, जिसमें कहा गया है कि एजेंसी को जांच के दौरान उसके द्वारा एकत्र किए गए सभी दस्तावेजों को अदालत में दाखिल करना या पेश करना आवश्यक है. निचली अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी इस तरह के दस्तावेजों या निरीक्षणों की प्रतियों के हकदार हैं, भले ही सीबीआई उन पर भरोसा कर रही हो या नहीं.
उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में सीबीआई ने कहा कि इस मामले में समाज पर व्यापक प्रभाव के साथ ही उच्च स्तर का भ्रष्टाचार शामिल है. अभियुक्तों को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है लेकिन समाज के सामूहिक हित को प्रभावित नहीं किया जा सकता है.
हाईकोर्ट ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई वह नहीं है जो आरोपी 'निष्पक्ष सुनवाई' के नाम पर चाहता है बल्कि उसे न्याय के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए. हालांकि प्रतिवादियों/आरोपी के निष्पक्ष परीक्षण के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया क्योंकि याचिकाकर्ता (सीबीआई) द्वारा भरोसा किए गए सभी दस्तावेज उन्हें प्रदान किए गए थे. एजेंसी ने तर्क दिया कि मुकदमे का सार उस सच्चाई का पता लगाना है जिसके लिए अदालत आरोपी को विश्वसनीय बचाव की तलाश में सहायता नहीं कर सकती.
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सीबीआई ने वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 305 करोड़ रुपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए INX मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) की मंजूरी में अनियमितता का आरोप लगाते हुए 15 मई 2017 को मामला दर्ज किया था. इसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया. इस मामले में चिदंबरम जमानत पर हैं.