देहरादूनः उत्तराखंड की धामी सरकार लगभग 1 साल से उत्तराखंड में निवेशकों को बुलाने के लिए आयोजित होने वाले उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी कर रही है. आलम ये है कि सरकार ने बीते 1 साल में हर हफ्ते इन्वेस्टर्स समिट के लिए समीक्षा बैठक की. अधिकारियों के साथ-साथ खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बीते 4 महीने से इन्वेस्टर्स समिट को साकार करने के लिए देश-विदेश के दौरे कर रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक, राज्य में ढाई लाख करोड़ निवेश करने का उद्योगपतियों ने मन बनाया है. इसमें अलग-अलग क्षेत्र में उद्योगपति निवेश करेंगे.
ऐसे में अगर आंकड़ों का 80 फीसदी निवेश भी अगर धरातल पर उतरता है तो उत्तराखंड आने वाले सालों में अपनी एक नई पहचान स्थापित करेगा. लेकिन उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक वातावरण जिस तरह से बदलता है, वह भी धामी सरकार के इस प्रयास में रुकावट डाल सकता है. इस बीच अच्छी बात ये है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी पूरी कैबिनेट इस इन्वेस्टर्स समिट को सफल बनाने और धरातल पर उतारने के लिए पूरी तरह से आशान्वित दिख रही है.
हर एक सेक्टर में निवेश: 8 और 9 दिसंबर को आयोजित होने वाले इस समिट में टाटा ग्रुप से लेकर अंबानी-अडानी के साथ-साथ लंदन, दुबई और अन्य कई देशों के निवेशक शामिल होंगे. देहरादून के एफआरआई में आयोजित इस समिट के लिए राज्य सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है. राज्य में निवेशक आएं और राज्य में उद्योग लगाएं, इसके लिए सभी प्रकार के प्रयोग किए जा रहे हैं. राज्य सरकार की मानें तो राज्य में अमूमन हर एक सेक्टर में निवेशक निवेश करेगा. इससे लाखों लोगों को रोजगार भी मिलेगा. सबसे अधिक निवेशक देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर के साथ ही हल्द्वानी में रूचि दिखा रहे हैं.
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ढाई लाख करोड़ का निवेश: सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक दुबई में 15 हजार 475 करोड़, बेंगलुरु में 460 करोड़, यूनाइटेड किंगडम में 1250 करोड़, चेन्नई में 1015 करोड़, दिल्ली में 26 हजार 575, अहमदाबाद में 24 हजार करोड़, मुंबई में 30 हजार 200 करोड़, रुद्रपुर में 27 हजार 476 करोड़, हरिद्वार में 37 हजार 820 करोड़, एनर्जी कॉन्क्लेव में 40 हजार 423 करोड़ रुपए के निवेश हुए हैं. इसके अलावा अलग-अलग क्षेत्रों में 27 हजार करोड़ रुपए के एमओयू साइन हो चुके हैं. जबकि कुछ आंकड़े अभी आना बाकि है. राज्य सरकार इन्वेस्टर्स के अंतिम दिन तक इन्वेस्टरों को लुभाने की कोशिश में लगी हुई है.
निवेश के लिए सिंगल विंडो सिस्टम: सबसे अधिक निवेशक उत्तराखंड में फार्मा, टूरिज्म, पावर और हर्बल के साथ-साथ धार्मिक पर्यटन पर निवेश कर रहे हैं. इसके अलावा बागवानी, हेल्थ, शिक्षा, स्टार्टअप, एविएशन और अन्य सेक्टर में भी खूब निवेश आ रहा है. इन्वेस्टर्स समिट के नोडल अधिकारी मीनाक्षी सुंदरम की मानें तो जिस दिन से प्रस्ताव आने शुरू हुए हैं, राज्य में कई सेक्टर में काम काफी आगे तक बढ़ गए हैं. राज्य में निवेशकों के लिए सिंगल विंडो सिस्टस लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि निवेशक मैदानी क्षेत्रों के अलावा पहाड़ों पर भी चढ़ें.
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चार जिलों में निवेश के लिए होड़: सरकारी आंकड़े के मुताबिक, 1 दिसंबर तक देहरादून में 1172.09 करोड़, अल्मोड़ा में 51.3 करोड़, हरिद्वार में 868.6 करोड़, नैनीताल में 602.17 करोड़, रुद्रप्रयाग में 99.19 करोड़, पिथौरागढ़ में 64.83 करोड़, पौड़ी में 63 करोड़, बागेश्वर में 19.09 करोड़, चंपावत में 11.3 करोड़, चमोली में 1.95 करोड़, टिहरी में 245.72 करोड़, उधमसिंह नगर में 1064.91 करोड़, उत्तरकाशी में 24.68 करोड़. जबकि राज्य स्तरीय 13313.05 करोड़ रुपए का निवेश हो रहा है. सरकार के ये आंकड़े बता रहे हैं कि निवेशक फिलहाल हरिद्वार, उधम सिंह नगर, देहरादून और नैनीताल में सबसे अधिक निवेश करने के इच्छुक हैं.
क्या कहते हैं जानकार: अब सवाल ये खड़ा होता है कि क्या प्रदेश में निवेशक रुक पाएंगे? इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी कहते हैं कि राज्य की किसी भी दल की सरकार एनडी तिवारी कार्यकाल के दौरान हुए कामों को ही अगर सही तरीके से आगे बढ़ाती तो राज्य में बेरोजगारी काफी हद तक कम हो सकती थी. पूर्व की त्रिवेंद्र सरकार के दौरान भी अडानी से लेकर अंबानी तक निवेशक आए लेकिन वो निवेश ठंडे बस्ते में चले गए. उन्होंने कहा कि पहाड़ों पर निवेश सही कदम है लेकिन उससे पहले सरकार को आपदा प्रबंधन विभाग को मजबूत करना चाहिए.
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वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत और राजीव नयन बहुगुणा कहते हैं कि प्रयास से ही सब कुछ होता है. प्रयास हो रहा है तो अच्छी बात है लेकिन बात सिर्फ इसलिए नहीं होनी चाहिए कि हमारी चर्चा हो बल्कि धरातल पर कुछ दिखे. सरकार को इस बात का ध्यान रखना होगा कि जो निवेश कर रहा है वो सिर्फ अपना फायदा ही ना देखें. पहाड़ या मैदान पर लगने वाले उद्योगों की हालत कैसी होगी? इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जीएसटी के जमाने में अगर यहां कच्चा माल बनता है तो फायदा सबसे अधिक उस राज्य को होगा जहां वो माल जा रहा है. इसलिए हमें अपने टैक्स जो कि राज्य का 42% होता है, उसका भी ध्यान रखना होगा.
उम्मीद है हालात सुधरेंगे: इन्वेस्टर्स समिट को लेकर लेकर प्रदेश मैन्युफैक्चरिंग के अध्यक्ष हरेंद्र गर्ग कहते हैं कि राज्य में निवेश आने से लोगों को रोजगार मिलेगा. लेकिन ये भी देखना बेहद जरूरी है कि पुराने निवेशक किस हालात से गुजर रहे हैं. जगह से लेकर बिजली और विभागों का तालमेल आपस में सही करना बेहद जरूरी है.