हैदराबाद : 17 जून को आयोजित होने वाला 2021 डेजर्टिफिकेशन और सूखा दिवस (Desertification and Drought Day) बेकार भूमि को स्वस्थ भूमि (healthy land) में बदलने पर केंद्रित होगा.
डिग्रेड भूमि को रिस्टोर (Restoring degraded land) करने से आर्थिक लचीलापन (economic resilienc) आता है, रोजगार सृजित होते हैं, आय में वृद्धि होती है और खाद्य सुरक्षा में वृद्धि होती है. यह जैव विविधता (biodiversity) को पुनर्प्राप्त (recover) करने में मदद करता है.
यह वायुमंडलीय कार्बन (atmospheric carbon warming ) को पृथ्वी (Earth) को गर्म करने, जलवायु परिवर्तन (climate change) को धीमा करने से रोकता है. यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी कम कर सकता है.
सूखा दिवस की थीम
इस साल के डेजर्टिफिकेशन और सूखा दिवस की थीम 'कोविड19 के बाद भूमि की रिकवरी आर्थिक सुधार में योगदान दे सकती है' रखी गई है. भूमि पुनर्स्थापन में निवेश (Investing in land restoration) करने से रोजगार सृजित होते हैं और आर्थिक लाभ उत्पन्न होते हैं, और ऐसे समय में इससे आजीविका प्रदान कर सकते हैं.
भारत में मरुस्थलीकरण और सूखे की स्थिति
भारत ने कंजर्वेशन (conservation), डिग्रेडेशन और जल संरक्षण (water conservation ) संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के लिए कई संरक्षण पहल भी की हैं. भारत 2020 तक 150 मिलियन हेक्टेयर और 2030 तक 350 मिलियन हेक्टेयर वन परिदृश्य बहाली की वैश्विक बॉन चैलेंज (global Bonn Challenge) का हिस्सा है.
भारत ने अपनी प्रतिबद्धता के लिए 2020 तक वन परिदृश्य रिकवरी (Forest Landscape Restoration) के तहत 13 मिलियन हेक्टेयर और 2030 तक अतिरिक्त 8 मिलियन हेक्टेयर को रिकवर करने के लिए कमिटमेंट (commitment ) किया है. भारत जैसे देश, जिसके पास समर्थन के लिए एक बड़ी आबादी है. इसकते लिए यह महत्वपूर्ण है कि सीमित संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए.
इसलिए, सितंबर 2019 में UNCCD CoP 14 के दौरान भारत के प्रधानमंत्री ने लैंडस्केप रिस्टोरेशन (Landscape Restoration) के तहत भारत का कमिटमेंट 5 मिलियन हेक्टेयर तक बढ़ा गया.
देश की 80 प्रतिशत से अधिक अवक्रमित भूमि सिर्फ नौ राज्यों में है. इन राज्यों में राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं.
लैंड डिग्रेडेशन में सबसे अधिक वृद्धि मिजोरम के लुंगलेई जिले (Lunglei district of Mizoram) में देखी गई है, जहां 2003-05 से 2011-13 तक 5.81 प्रतिशत की वृद्धि हुई हैं.
भूमि क्षरण (land degradation) में दो प्रतिशत से अधिक की वृद्धि वाले अन्य जिले आइजोल (मिजोरम), दक्षिण त्रिपुरा (त्रिपुरा), कठुआ (जम्मू कश्मीर), भिवानी (हरियाणा), कोकराझार (असम), हैलाकांडी (असम) और तिरप (अरुणाचल प्रदेश) हैं.
डेजर्टिफिकेशन या भूमि क्षरण के तहत उच्चतम क्षेत्र वाले शीर्ष तीन जिले जैसलमेर, लाहौल और स्पीति और कारगिल हैं.
भारत में डेजर्टिफिकेशन के मुख्य कारण हैं :-
जल अपरदन (10.98 प्रतिशत)
पवन अपरदन (5.55 प्रतिशत)
मानव निर्मित/बस्तियां (0.69 प्रतिशत)
वनस्पति क्षरण (8.91 प्रतिशत)
लवणता (1.12 प्रतिशत)
अन्य (2.07 प्रतिशत)
इसके अलावा पेयजल योजनाओं (drinking water schemes ) को लागू करने के लिए निधि के उपयोग से पता चलता है कि रेगिस्तान विकास कार्यक्रम (desert development programme) सरकार के लिए प्राथमिकता पर कम रहा है.
2018-19 और 2019-20 के बजट के तहत कार्यक्रम को कोई पैसा आवंटित नहीं किया गया है.
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भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General) की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, DDP क्षेत्रों के तहत पेयजल योजनाओं को लागू करने के लिए उपयोग के लिए आवंटित धन 2012 से अप्रयुक्त रहा.
रिपोर्ट से पता चला है कि मार्च 2017 तक आंध्र प्रदेश (37.52 करोड़ रुपये), हरियाणा (16.40 करोड़ रुपये) और राजस्थान (105.17 करोड़ रुपये) जैसे राज्यों के पास पर्याप्त अप्रयुक्त धन पड़ा हुआ था.
इसके अलावा, अप्रैल 2015 से फंडिंग पैटर्न (funding pattern) में बदलाव के बाद राज्यों ने 2015-17 के दौरान डीडीपी के तहत अपने हिस्से का फंड जारी नहीं किया था.