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Interview: काशी विश्वनाथ मंदिर से गृहकर खत्म कराने वाले पूर्व मंत्री शतरुद्र प्रकाश से खास बातचीत

बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी (वाराणसी) के काशी विश्वनाथ मंदिर की ख्याति समस्त विश्व में है. काशी का पौराणिक, धार्मिक महत्व अनादि काल से सदैव मानव मात्र को अलौकिक अनुभूति प्रदान करता रहा है. हालांकि मंदिर से कुछ सामाजिक, राजनीतिक संघर्ष भी जुड़े हैं. यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी के साथ पूर्व मंत्री शतरुद्र प्रकाश का इंटरव्यू देखें.

Interview of former minister Shatrudra Prakash
पूर्व मंत्री शतरुद्र प्रकाश का इंटरव्यू
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Published : Mar 10, 2023, 8:26 AM IST

Updated : Mar 10, 2023, 1:28 PM IST

पूर्व मंत्री शतरुद्र प्रकाश से खास बातचीत


लखनऊ : काशी विश्वनाथ मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का धाम है. देश-दुनिया में यह मंदिर 13 दिसंबर 2021 को तब सुर्खियों में रहा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलौकिक आभा समेटे श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया. आज कल विश्वनाथ मंदिर की चर्चा फिर हो रही है. इस बार चर्चा का कारण है एक पुस्तक. यह पुस्तक लिखी है वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंत्री शतरुद्र प्रकाश ने, जिसका नाम है 'श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से धाम तक तीन कानून'. पुस्तक में काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े तीन कानूनों के विषय में विस्तार से बताया गया है. छात्र जीवन से राजनीति आए शतरुद्र प्रकाश वाराणसी कैंट से चार बार विधायक रहे. वह विधान परिषद के सदस्य भी रहे. कई सामाजिक आंदोलनों में जेल गए शतरुद्र प्रकाश मुलायम सिंह यादव की सरकार में मंत्री भी रहे. इस पुस्तक को लेकर हमने उनसे विस्तार से बात की.



बातचीत की शुरुआत करते हुए हमने पूछा कि आप संक्षेप में इस किताब के विषय में बताना चाहें तो कैसे बताएंगे? इस पर शतरुद्र प्रकाश कहते हैं 'काशी विश्वनाथ मंदिर 1775 से 1777 के बीच में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया था. 1839 को पंजाब के राजा महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर में सोना चढ़ाया था. उसके बाद मंदिर ऐसे ही चल रहा था. वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वनाथ मंदिर धाम की आधारशिला रखी. मंदिर परिसर के निर्माण कार्य में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मुख्यमंत्री ने न सिर्फ इस निर्माण की लगातार समीक्षा की, बल्कि समय-समय पर मौका-मुआयना कर यह सुनिश्चित किया कि मंदिर का काम समय से पूरा हो और गुणवत्ता भी बनी रहे.' शतरुद्र प्रकाश कहते हैं 'पहले संकरे दरवाजों और गलियों से आने में लोगों को दिक्कत होती थी. दिव्यांगों और बुजुर्गों का मंदिर आना मुश्किल होता था. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुत बड़ा परिसर बनवाकर खुद को दो महापुरुषों अहिल्याबाई और महाराजा रणजीत सिंह की श्रेणी में खुद को शामिल कर लिया है.'


मंदिर को लेकर आपने लंबी लड़ाई लड़ी है. चाहे वह मंदिर के गृहकर का विषय हो अथवा दलितों में प्रवेश का मामला. हमें इस विषय में जरा विस्तार से बताइए. इस पर पूर्व मंत्री शतरुद्र प्रकाश कहते हैं 'मंदिर के विषय में उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन कानून बनाए हैं. पहला कानून बना 1956, दूसरा बना 1986 में और तीसरा बना 2018 में. एक समय ऐसा था, जब विश्वनाथ मंदिर और अन्नपूर्णा मंदिर में दलित प्रवेश नहीं कर पाते थे. उस समय सोशलिस्ट पार्टी ने इसके खिलाफ मुहिम चलाई. जनसंघ ने भी इस मुहिम का समर्थन किया. मंदिरों में सबको प्रवेश और पूजा करने का अधिकार मिलना चाहिए. राजनारायण जी के नेतृत्व में आंदोलन सत्याग्रह चला. कई लोगों ने इसका विरोध किया. कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और संपूर्णानंद जी मुख्यमंत्री थे. संविधान में छुआछूत को अपराध घोषित किया गया है. कई लोगों को मंदिर में प्रवेश से रोक दिया गया. कई लोग जत्थों में गए, पर उन्हें रोक दिया गया. एक समय ऐसा आया, जब सरकार को कानून बनाना पड़ गया. 'मंदिर प्रवेश अधिकार और घोषणा अधिनियम 1956.' 58 आते-आते सारी बाधाएं दूर हो गईं. सब लोगों का प्रवेश मंदिर में होने लगा. आज कोई भी रोक-टोक नहीं है. दूसरा कानून बना 1983 में. 4-5 फरवरी 1983 को मंदिर में बहुत बड़ी चोरी हो गई. मंदिर में जो अरघा है, उसको काटकर सोना चुरा लिया गया. जब लोगों को पता चला तो तहलका मच गया. हम लोगों ने आंदोलन किया. यह जबर्दस्त आंदोलन था. फिर चोरी का राजफाश हुआ और चोर पकड़े गए. फिर 1983 में काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद बनाया गया. न्यास परिषद का अध्यक्ष काशी नरेश विभूति नारायण जी को बनाया गया.' वह कहते हैं 'इसी तरह लंबी लड़ाई के बाद विश्वनाथ मंदिर सहित कई अन्य मंदिरों को गृहकर और जलकर से मुक्त कराया गया.'



नरेंद्र मोदी के बनारस से चुनाव लड़ने और मंदिर धाम बन जाने के बाद वहां जो बदलाव हुए हैं, उन्हें आप कैसे देखते हैं? इस सवाल पर वह कहते हैं 'यह काम तो ऐतिहासिक है. 13 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री ने श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया था. अब आप चार द्वारों से मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं. पूर्वी द्वारा सीधे मां गंगा की ओर खुलता है. काशी का सूर्योदय अब और गरिमामय हो गया है. सूर्य की स्वर्णिम किरणें जब विश्वनाथ मंदिर पर पड़ती हैं, तो वह अलौकिक दृश्य होता है. इसके लिए भी कानून बनाने की जरूरत थी. इसीलिए 2018 में पहले इसे अध्यादेश के रूप में लाया गया. फिर अधिनियम बनाकर दोनों सदनों से पास कराया गया. अब यह एक व्यापक परिसर बन गया है.' देखिए यह पूरा साक्षात्कार...

यह भी पढ़ें : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका, एसजीपीसी ने की सिख कैदियों की रिहाई की मांग

पूर्व मंत्री शतरुद्र प्रकाश से खास बातचीत


लखनऊ : काशी विश्वनाथ मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का धाम है. देश-दुनिया में यह मंदिर 13 दिसंबर 2021 को तब सुर्खियों में रहा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलौकिक आभा समेटे श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया. आज कल विश्वनाथ मंदिर की चर्चा फिर हो रही है. इस बार चर्चा का कारण है एक पुस्तक. यह पुस्तक लिखी है वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंत्री शतरुद्र प्रकाश ने, जिसका नाम है 'श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से धाम तक तीन कानून'. पुस्तक में काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े तीन कानूनों के विषय में विस्तार से बताया गया है. छात्र जीवन से राजनीति आए शतरुद्र प्रकाश वाराणसी कैंट से चार बार विधायक रहे. वह विधान परिषद के सदस्य भी रहे. कई सामाजिक आंदोलनों में जेल गए शतरुद्र प्रकाश मुलायम सिंह यादव की सरकार में मंत्री भी रहे. इस पुस्तक को लेकर हमने उनसे विस्तार से बात की.



बातचीत की शुरुआत करते हुए हमने पूछा कि आप संक्षेप में इस किताब के विषय में बताना चाहें तो कैसे बताएंगे? इस पर शतरुद्र प्रकाश कहते हैं 'काशी विश्वनाथ मंदिर 1775 से 1777 के बीच में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया था. 1839 को पंजाब के राजा महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर में सोना चढ़ाया था. उसके बाद मंदिर ऐसे ही चल रहा था. वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वनाथ मंदिर धाम की आधारशिला रखी. मंदिर परिसर के निर्माण कार्य में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मुख्यमंत्री ने न सिर्फ इस निर्माण की लगातार समीक्षा की, बल्कि समय-समय पर मौका-मुआयना कर यह सुनिश्चित किया कि मंदिर का काम समय से पूरा हो और गुणवत्ता भी बनी रहे.' शतरुद्र प्रकाश कहते हैं 'पहले संकरे दरवाजों और गलियों से आने में लोगों को दिक्कत होती थी. दिव्यांगों और बुजुर्गों का मंदिर आना मुश्किल होता था. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुत बड़ा परिसर बनवाकर खुद को दो महापुरुषों अहिल्याबाई और महाराजा रणजीत सिंह की श्रेणी में खुद को शामिल कर लिया है.'


मंदिर को लेकर आपने लंबी लड़ाई लड़ी है. चाहे वह मंदिर के गृहकर का विषय हो अथवा दलितों में प्रवेश का मामला. हमें इस विषय में जरा विस्तार से बताइए. इस पर पूर्व मंत्री शतरुद्र प्रकाश कहते हैं 'मंदिर के विषय में उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन कानून बनाए हैं. पहला कानून बना 1956, दूसरा बना 1986 में और तीसरा बना 2018 में. एक समय ऐसा था, जब विश्वनाथ मंदिर और अन्नपूर्णा मंदिर में दलित प्रवेश नहीं कर पाते थे. उस समय सोशलिस्ट पार्टी ने इसके खिलाफ मुहिम चलाई. जनसंघ ने भी इस मुहिम का समर्थन किया. मंदिरों में सबको प्रवेश और पूजा करने का अधिकार मिलना चाहिए. राजनारायण जी के नेतृत्व में आंदोलन सत्याग्रह चला. कई लोगों ने इसका विरोध किया. कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और संपूर्णानंद जी मुख्यमंत्री थे. संविधान में छुआछूत को अपराध घोषित किया गया है. कई लोगों को मंदिर में प्रवेश से रोक दिया गया. कई लोग जत्थों में गए, पर उन्हें रोक दिया गया. एक समय ऐसा आया, जब सरकार को कानून बनाना पड़ गया. 'मंदिर प्रवेश अधिकार और घोषणा अधिनियम 1956.' 58 आते-आते सारी बाधाएं दूर हो गईं. सब लोगों का प्रवेश मंदिर में होने लगा. आज कोई भी रोक-टोक नहीं है. दूसरा कानून बना 1983 में. 4-5 फरवरी 1983 को मंदिर में बहुत बड़ी चोरी हो गई. मंदिर में जो अरघा है, उसको काटकर सोना चुरा लिया गया. जब लोगों को पता चला तो तहलका मच गया. हम लोगों ने आंदोलन किया. यह जबर्दस्त आंदोलन था. फिर चोरी का राजफाश हुआ और चोर पकड़े गए. फिर 1983 में काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद बनाया गया. न्यास परिषद का अध्यक्ष काशी नरेश विभूति नारायण जी को बनाया गया.' वह कहते हैं 'इसी तरह लंबी लड़ाई के बाद विश्वनाथ मंदिर सहित कई अन्य मंदिरों को गृहकर और जलकर से मुक्त कराया गया.'



नरेंद्र मोदी के बनारस से चुनाव लड़ने और मंदिर धाम बन जाने के बाद वहां जो बदलाव हुए हैं, उन्हें आप कैसे देखते हैं? इस सवाल पर वह कहते हैं 'यह काम तो ऐतिहासिक है. 13 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री ने श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया था. अब आप चार द्वारों से मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं. पूर्वी द्वारा सीधे मां गंगा की ओर खुलता है. काशी का सूर्योदय अब और गरिमामय हो गया है. सूर्य की स्वर्णिम किरणें जब विश्वनाथ मंदिर पर पड़ती हैं, तो वह अलौकिक दृश्य होता है. इसके लिए भी कानून बनाने की जरूरत थी. इसीलिए 2018 में पहले इसे अध्यादेश के रूप में लाया गया. फिर अधिनियम बनाकर दोनों सदनों से पास कराया गया. अब यह एक व्यापक परिसर बन गया है.' देखिए यह पूरा साक्षात्कार...

यह भी पढ़ें : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका, एसजीपीसी ने की सिख कैदियों की रिहाई की मांग

Last Updated : Mar 10, 2023, 1:28 PM IST
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