कोट्टायम : पर्यावरण योद्धा राजप्पन को दिया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय सम्मान में 10,000 डॉलर (लगभग 7,30,100 रुपये) का नगद पुरस्कार व एक प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा. कुमारकोम के मूल निवासी राजप्पन मीनाचिल नदी और वेम्बनाड झील से प्लास्टिक की बोतलें निकालने का कार्य करते हैं. साथ ही इस प्लास्टिक को बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं.
वह पहले तब चर्चा में आए जब उनके प्रयासों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से प्रशंसा की थी. घुटनों के नीचे लकवाग्रस्त राजप्पन अपने घुटनों पर रेंगकर सुबह-सुबह एक देशी नाव में चढ़ जाते हैं. वे अपनी नाव पर शाम तक नदी और झील की सतह पर तैरते प्लास्टिक की बोतलों को इकट्ठा करना जारी रखते हैं.
फिर वे इसे अपने घर में बांधकर अलग रखते हैं. राजप्पन इन प्लास्टिक की बोतलों को थोक स्क्रैप डीलरों को बेचकर अपना जीवन-यापन करते हैं. सुप्रीम मास्टर चिंग हाई इंटरनेशनल के प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि सभी बाधाओं से लड़ते हुए एक इको योद्धा के रूप में राजप्पन की सेवा प्रेरणादायक है.
जल निकायों के संरक्षण के प्रयासों के माध्यम से राजप्पन स्वयं पृथ्वी का संरक्षण कर रहे हैं. इस व्यक्ति को दिए गए प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि जो अपनी शारीरिक सीमाओं और अल्प रिटर्न के बावजूद जल निकायों से प्लास्टिक को साफ करते रहते हैं. राजप्पन के पड़ोसी नंदू इस इको-योद्धा के बारे में सोशल मीडिया पर लिखते हैं.
झील के संरक्षण के लिए राजप्पन के कार्यों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सेलिब्रेट किया जा रहा है. इस वजह से राजप्पन की तलाश में हर तरफ से लोग पहुंचने लगे हैं. एक व्यवसायी बॉबी चेम्मन्नूर ने राजप्पन से वादा किया है कि वे 2018 की बाढ़ में खो चुके घर के बदले एक घर प्रदान करेंगे.
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भाजपा नेता शिवशंकर के एक प्रवासी मित्र ने भी राजप्पन को एक नई मोटर चालित नाव दी है. अपना घर खोने के बाद राजप्पन अब अपनी बहन विलासिनी के साथ रहते हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा के बारे में पूछे जाने पर राजप्पन का कहना है कि यह सब नंदू के माध्यम से आया है.