हैदराबाद : हर साल 15 अक्टूबर को 'अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस' (International Day Of Rural Women) मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से 18 दिसंबर 2007 को प्रस्ताव पारित कर 'अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस' मनाने का निर्णय लिया गया था. इसके बाद 2008 से हर आज 15 अक्टूबर को यह मनाया जाता है. इसका उद्देश्य स्वदेशी व ग्रामीण महिलाओं की खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण गरीबी उन्मूलन में उनकी भूमिका और योगदान को यादगार बनाने का अवसर होता है.
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Rural women make up about 43% of the agricultural workforce but in developing countries they are responsible for producing 60-80% of all food.
— UN Development (@UNDP) October 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Sunday's International Day of #RuralWomen celebrates the key role they play in achieving a #ZeroHunger world. https://t.co/NVxavIHdcW pic.twitter.com/EHP7zv1Ogi
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— UN Development (@UNDP) October 13, 2023
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अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस के लक्ष्य : संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस के कई लक्ष्य हैं. संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2030 के लिए निर्धारित सतत विकास लक्ष्यों के लिए 17 लक्ष्य तय किये गए हैं. इनमें से महत्वपूर्ण दूसरा लक्ष्य शून्य भूख (Goal 2-Zero Hunger) और पांचवां लक्ष्य लैंगिक समानता (Goal 5-Gender Equality) को पूरा करना है. वहीं, खाद्य प्रणालियों को बदलने का आह्वान किया गया है, ताकि सभी लोगों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो सकता है. इसे पूरा करने में ग्रामीण युवतियां और महिलाएं भाग लें और वे स्वयं भी लाभान्वित हों.
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अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस के अवसर पर स्वनिर्भर व सशक्त होती ग्रामीण महिलाओं के साहस, दृढ़ संकल्प एवं उद्यमशीलता को हम नमन करते हैं।
— Ministry of Rural Development, Government of India (@MoRD_GoI) October 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
सभी ग्रामीण महिलाओं को हमारी शुभकामनाएँ।
मिलकर लिखेंगे आत्मनिर्भरता का स्वर्ण अध्याय।#MoRD #RuralWomensDay #GramAabha #RuralWomen pic.twitter.com/UKsaXja3SF
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— Ministry of Rural Development, Government of India (@MoRD_GoI) October 15, 2023
सभी ग्रामीण महिलाओं को हमारी शुभकामनाएँ।
मिलकर लिखेंगे आत्मनिर्भरता का स्वर्ण अध्याय।#MoRD #RuralWomensDay #GramAabha #RuralWomen pic.twitter.com/UKsaXja3SFअंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस के अवसर पर स्वनिर्भर व सशक्त होती ग्रामीण महिलाओं के साहस, दृढ़ संकल्प एवं उद्यमशीलता को हम नमन करते हैं।
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सभी ग्रामीण महिलाओं को हमारी शुभकामनाएँ।
मिलकर लिखेंगे आत्मनिर्भरता का स्वर्ण अध्याय।#MoRD #RuralWomensDay #GramAabha #RuralWomen pic.twitter.com/UKsaXja3SF
अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस थीम : अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस 2023 के लिए थीम 'सबके लिए अच्छा भोजन तैयार करने वाली ग्रामीण महिलाएं' (Rural Women Cultivating Good For All) रखा गया है. इसका उद्देश्य दुनिया भर की खाद्य प्रणालियों में ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों के योगदान को याद करते हुए उन्हें सम्मान देना है. बता दें कि खेतों में फसलों के उत्पादन, प्रसंस्करण, खाद्य पदार्थों को तैयार करने से लेकर सप्लाई चेन के माध्यम से हमारी थालियों तक पहुंचाने में महिलाओं का अमूल्य योगदान है. विषम परिस्थितियों के बाद भी महिलाएं काम को अंजाम देती हैं, लेकिन उन्हें पुरुषों की तुलना में कम भुगतान और सुविधाएं मिलाती हैं. कम आय के साथ उन्हें अधिक असुरक्षा का सामना करना पड़ता है.
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#अंतर्राष्ट्रीय_ग्रामीण_महिला_दिवस का उद्देश्य कृषि विकास, ग्रामीण विकास, खाद्य सुरक्षा व ग्रामीण गरीबी उन्मूलन में ग्रामीण महिलाओं के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करना है।हम सब मिलकर इनके योगदान को अभिनंदन करें तथा #ग्रामीण महिलाओं के स्वावलंबन एवं सम्मान का संकल्प लें। pic.twitter.com/LEiGSTc0m8
— Dr. Virendra Kumar (@Drvirendrakum13) October 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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आंकड़ों में समझें महिलाओं की स्थिति:-
- संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन (UN Women Organization) की रिपोर्ट के अनुसार लैंगिक समानता के लिए उठाये जा रहे कदमों की रफ्तार वैश्विक स्तर पर धीमी है.
- अगर यही रफ्तार रही तो 2030 तक 340 मिलियन से अधिक महिलाएं व लड़कियां गरीबी रेखा जीवन जीने के लिए मजबूर होंगी. हर 4 में से 1 महिला मध्यम या गंभीर खाद्य असुरक्षा का अनुभव करेंगी.
- दुनिया में मानव की गलतियों के के कारण जलवायु की स्थिति खराब होने पर 236 मिलियन से भी ज्यादा महिलाएं व लड़कियां गंभीर खाद्य संकट का सामना करेंगी.
- आज के समय में राजनीतिक सत्ता और नेतृत्व में लिंग का अंतर काफी गहरा बना हुआ है. विकास की वर्तमान दर के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है कि महिलाओं की आने वाली आज भी पुरुषओं की तुलना में औसतन 2.3 घंटे अधिक काम करने को मजबूर हैं.
- सबों के लिए धरती पर पर्याप्त और सेहतमंद भोजन की उपलब्धता के बाद भी दुनिया में कई जगहों पर लोग भूख, कुपोषण और खाद्य असुरक्षा झेल रहे हैं.
- जलवायु संकट के साथ-साथ कोविड-19 महामरी ने भूख और कुपोषण की समस्या को और बढ़ा दिया है.
- संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में 237 करोड़ (2.37 बिलियन) लोगों को पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध नहीं हो पाया है, जो 2019 की तुलना में 20 फीसदी अधिक है.
- विश्व आर्थिक मंच (The World Economic Forum) की ओर से 20 जून 2023 को जारी वैश्विक लिंग अंतर रिपोर्ट (The Global Gender Gap Report ) के अनुसार 146 देशों की रैंकिंग में भारत 127 वें स्थान पर है.
- वैश्विक लिंग अंतर रिपोर्ट का यह 17वां संस्करण है, जो 20 जून 2023 को जारी किया गया था.
- विकास की वर्तमान दर के आधार पर वैश्विक लिंग अंतर को पाटने में भारत को 131 साल लग सकते हैं.
- 2022 की तुलना में 2023 में भारत के समग्र स्कोर में 1.4 फीसदी अंक और 8 रैंक का सुधार हुआ है.
- नीति आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत में 80 फीसदी ग्रामीण महिलाओं को रोजगार कृषि क्षेत्र में मिलता है.
- 2011 की जनगणना के अनुसार भारत एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है. देश के कुल कार्यबल का 54.6 फीसदी कृषि व संबंध सेक्टर में लगा हुआ है.
- ग्रामीण महिलाओं की हिस्सेदारी 41.8 प्रतिशत से अधिक है.