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Food Loss Awareness Day : दुनिया में 7830 लाख लोगों को 2022 में रहना पड़ा था भूखे

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 29, 2023, 12:06 AM IST

संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से खाद्य प्रणालियों को बदलने के लिए लगातार कदम उठाये जा रहे हैं. इसके तहत प्रयास किया जा रहा है कि भोजन की हानि और बर्बादी को शून्य स्तर पर लाया जाया. दुनिया भर में ज्यादा से ज्यादा लोगों को भुखमरी के दलदल से बाहर निकाला जा सके.

International Food Loss Awareness Day
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य हानि जागरूकता दिवस

हैदराबाद : संयुक्त राष्ट्र संघ के आंकड़ों के अनुसार 2014 के बाद से दुनिया भर में भूख से प्रभावित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी जारी है. वहीं हर साल लाखों-लाख टन फसलें और भोज्य पदार्थ बर्बाद हो रहे हैं. दुनिया भर में खाद्य संकट और भुखमरी को ध्यान में रखकर संयुक्त राष्ट्र संघ के आह्रवान पर हर साल 29 सितंबर को खाद्य हानि और अपशिष्ट न्यूनीकरण पर जागरूकता का अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day of Awareness on Food Loss and Waste Reduction-IDAFLWR) मनाया जाता है.

Food Loss Awareness Day
खाद्य हानि जागरूकता दिवस

भारत में उत्पादित फसलों के बराबर सालाना कुड़ेदान में बर्बाद होता है भोजन
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme-UNEP) की ओर से जारी Food Waste Index Report 2021 के अनुसार उपभोक्ताओं के लिए मौजूद कुल खाने का 17 फीसदी (931 बिलियन टन) बर्बाद हो जाता है.

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2019-20 में अन्न, तेलहन, गन्ना उत्पादन, मौसमी फल, ड्राइफ्रूट्स के कुल उत्पादन को एक साथ मिला दें. उसकी मात्रा के बराबर वैश्विक पैमाने पर सालाना भोजन की बर्बादी होती है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत जैसे देश में उत्पादित फसलों के बराबर मात्रा में खाना विश्व में बर्बाद हो जाता है. वहीं दुनिया करोड़ों-करोड़ लोग भूखे सो रहे हैं.

  • We also announced a $10 million investment to launch @USAID’s Food Loss and Waste Accelerator - which will help support food loss and waste reduction ventures that can reduce methane while increasing incomes, economic empowerment, and food security: https://t.co/18XI7goFX6 pic.twitter.com/JX9PNdbPW4

    — Special Presidential Envoy John Kerry (@ClimateEnvoy) September 21, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

13 फीसदी फसल खुदरा बाजार पहुंचने तक होता है बर्बाद
संयुक्त राष्ट्र संघ के आंकड़ों के अनुसार 13 फीसदी फसल/भोज्य पदार्थ खुदरा बाजार तक पहुंचने से पहले ही बर्बाद हो जाती है. कुल खाद्य उत्पाद का 17 फीसदी खाद्य घर, होटल सहित अन्य जगहों पर कूड़ेदान में चला जाता है.

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ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का 107वें स्थान
भारत में भुखमरी और पोषण की स्थिति अच्छी नहीं है. 2022 में जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार 121 देशों के रैंकिंग में 107वें स्थान पर रहा था. वहीं इससे पहले 2021 में भारत की रैंकिंग 101वें स्थान पर था. 12 अक्टूबर 2023 को इस साल का ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी होगा. इसके बाद पता चलेगा की भारत की स्थिति वैश्विक पैमाने पर क्या है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स का निर्धारण कई मानकों के आधार पर किया जाता है. इनमें उचित पोषण का अभाव (Undernutrition), बाल विकास (Child Development) और बाल मृत्यु दर (Child Mortality) प्रमुख है.

आंकड़े से समझें भोजन का नुकसान

  1. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार साल 2022 में 6910-7830 लाख लोगों को करना पड़ा था भूख का सामना
  2. संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन ( Food And Agriculture organization of United Nations-FAOUN) के अनुसार वैश्विक स्तर पर सालाना1.6 बिलियन टन भोजन की बर्बादी होती है. खाने योग्य कुल भोजन की तुलना में 1.3 बिलियन टन है.
  3. भोज्य पदार्थ की बर्बादी से प्रति वर्ष वायुमंडल में 3.3 बिलियन टन CO2 कार्बन फुटप्रिंट प्रति वर्ष जारी होता है.
  4. विश्व में कुल खेती योग्य क्षेत्रफल के 28 फीसदी इलाका (1.4 अरब हेक्टेयर भूमि) में पैदा होने वाला भोजन बर्बाद हो जाता है.
  5. कुल बर्बाद होने वाले भोजन के उत्पादन में उपयोग होने वाली पानी की मात्रा रूस स्थित वोल्गा नदी के वार्षिक प्रवाह के बराबर है या कहें तो जिनेवा झील में मौजद पानी की मात्रा का तीन गुना है.
  6. खाने की बर्बादी (मछली और समुद्री भोजन के अलावा) से हर साल सैकड़ों अरब डॉलर का नुकसान होता है.
  7. विकासील देशों में खेती के दौरान बड़े पैमाने पर फसलों का नुकसान होता है. वहीं मिडिल और हाई इनकम वाले देशों में खुदरा और उपभोक्ता के स्तर पर अन्न की बर्बादी ज्यादा है.
  8. कचरे में डाल दिये जाने वाले खाने का महज एक फीसदी का खाद (कंपोस्ट) तैयार हो पाता है. जबकि शेष लैंडफिल में बर्बाद हो जाता है. इससे मिथेन सहित कई अन्य हानिकारक गैस पैदा होकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं.

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हैदराबाद : संयुक्त राष्ट्र संघ के आंकड़ों के अनुसार 2014 के बाद से दुनिया भर में भूख से प्रभावित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी जारी है. वहीं हर साल लाखों-लाख टन फसलें और भोज्य पदार्थ बर्बाद हो रहे हैं. दुनिया भर में खाद्य संकट और भुखमरी को ध्यान में रखकर संयुक्त राष्ट्र संघ के आह्रवान पर हर साल 29 सितंबर को खाद्य हानि और अपशिष्ट न्यूनीकरण पर जागरूकता का अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day of Awareness on Food Loss and Waste Reduction-IDAFLWR) मनाया जाता है.

Food Loss Awareness Day
खाद्य हानि जागरूकता दिवस

भारत में उत्पादित फसलों के बराबर सालाना कुड़ेदान में बर्बाद होता है भोजन
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme-UNEP) की ओर से जारी Food Waste Index Report 2021 के अनुसार उपभोक्ताओं के लिए मौजूद कुल खाने का 17 फीसदी (931 बिलियन टन) बर्बाद हो जाता है.

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2019-20 में अन्न, तेलहन, गन्ना उत्पादन, मौसमी फल, ड्राइफ्रूट्स के कुल उत्पादन को एक साथ मिला दें. उसकी मात्रा के बराबर वैश्विक पैमाने पर सालाना भोजन की बर्बादी होती है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत जैसे देश में उत्पादित फसलों के बराबर मात्रा में खाना विश्व में बर्बाद हो जाता है. वहीं दुनिया करोड़ों-करोड़ लोग भूखे सो रहे हैं.

  • We also announced a $10 million investment to launch @USAID’s Food Loss and Waste Accelerator - which will help support food loss and waste reduction ventures that can reduce methane while increasing incomes, economic empowerment, and food security: https://t.co/18XI7goFX6 pic.twitter.com/JX9PNdbPW4

    — Special Presidential Envoy John Kerry (@ClimateEnvoy) September 21, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

13 फीसदी फसल खुदरा बाजार पहुंचने तक होता है बर्बाद
संयुक्त राष्ट्र संघ के आंकड़ों के अनुसार 13 फीसदी फसल/भोज्य पदार्थ खुदरा बाजार तक पहुंचने से पहले ही बर्बाद हो जाती है. कुल खाद्य उत्पाद का 17 फीसदी खाद्य घर, होटल सहित अन्य जगहों पर कूड़ेदान में चला जाता है.

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ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का 107वें स्थान
भारत में भुखमरी और पोषण की स्थिति अच्छी नहीं है. 2022 में जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार 121 देशों के रैंकिंग में 107वें स्थान पर रहा था. वहीं इससे पहले 2021 में भारत की रैंकिंग 101वें स्थान पर था. 12 अक्टूबर 2023 को इस साल का ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी होगा. इसके बाद पता चलेगा की भारत की स्थिति वैश्विक पैमाने पर क्या है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स का निर्धारण कई मानकों के आधार पर किया जाता है. इनमें उचित पोषण का अभाव (Undernutrition), बाल विकास (Child Development) और बाल मृत्यु दर (Child Mortality) प्रमुख है.

आंकड़े से समझें भोजन का नुकसान

  1. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार साल 2022 में 6910-7830 लाख लोगों को करना पड़ा था भूख का सामना
  2. संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन ( Food And Agriculture organization of United Nations-FAOUN) के अनुसार वैश्विक स्तर पर सालाना1.6 बिलियन टन भोजन की बर्बादी होती है. खाने योग्य कुल भोजन की तुलना में 1.3 बिलियन टन है.
  3. भोज्य पदार्थ की बर्बादी से प्रति वर्ष वायुमंडल में 3.3 बिलियन टन CO2 कार्बन फुटप्रिंट प्रति वर्ष जारी होता है.
  4. विश्व में कुल खेती योग्य क्षेत्रफल के 28 फीसदी इलाका (1.4 अरब हेक्टेयर भूमि) में पैदा होने वाला भोजन बर्बाद हो जाता है.
  5. कुल बर्बाद होने वाले भोजन के उत्पादन में उपयोग होने वाली पानी की मात्रा रूस स्थित वोल्गा नदी के वार्षिक प्रवाह के बराबर है या कहें तो जिनेवा झील में मौजद पानी की मात्रा का तीन गुना है.
  6. खाने की बर्बादी (मछली और समुद्री भोजन के अलावा) से हर साल सैकड़ों अरब डॉलर का नुकसान होता है.
  7. विकासील देशों में खेती के दौरान बड़े पैमाने पर फसलों का नुकसान होता है. वहीं मिडिल और हाई इनकम वाले देशों में खुदरा और उपभोक्ता के स्तर पर अन्न की बर्बादी ज्यादा है.
  8. कचरे में डाल दिये जाने वाले खाने का महज एक फीसदी का खाद (कंपोस्ट) तैयार हो पाता है. जबकि शेष लैंडफिल में बर्बाद हो जाता है. इससे मिथेन सहित कई अन्य हानिकारक गैस पैदा होकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं.

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