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मुस्लिम विवाह पंजीकरण पर निर्देश जारी किया जाएगा : दिल्ली सरकार - muslim marriage registration

केजरीवाल सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को आश्वस्त किया कि वह अनिवार्य विवाह के तहत मुस्लिम विवाहों के पंजीकरण के सिलसिले में पड़ताल करेगी और उपयुक्त निर्देश जारी करेगी.

दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Oct 4, 2021, 10:33 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को आश्वस्त किया कि वह अनिवार्य विवाह के तहत मुस्लिम विवाहों के पंजीकरण के सिलसिले में पड़ताल करेगी और उपयुक्त निर्देश जारी करेगी. अनिवार्य विवाह आदेश, दो महीनों के अंदर बगैर किसी विलंब या नोटिस के तत्काल पंजीकरण की व्यवस्था करता है. न्यायमूर्ति रेखा पल्ली एक याचिका पर सुनवाई कर रही है,

जिसमें आरोप लगाया गया है कि यहां मुस्लिम विवाह, अनिवार्य विवाह आदेश के बजाय विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत किए जा रहे है. दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि वर्तमान में आवेदन के लिए कानूनी प्रारूप में विकल्प के तौर पर मुस्लिम विवाह या ईसाई विवाह का जिक्र नहीं किया गया है.

इसे भी पढ़ें-लखीमपुर खीरी हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, कहा- ऐसी घटनाओं की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता

दिल्ली सरकार के वकील शदान फरासत ने कहा, ‘‘हम अधिकारियों को इसे दुरूस्त करने के लिए पत्र लिख रहे हैं. हम मुस्लिमों और ईसाइयों, दोनों के लिए इसे संशोधित करेंगे. उल्लेखनीय है कि एक गैर सरकारी संस्था ने आरोप लगाया है कि अनिवार्य विवाह आदेश के तहत पंजीकरण के लिए विकल्प नहीं रहने के चलते मुस्लिम विवाह, विशेष विवाह अधिनयम के तहत पंजीकृत हो रहे हैं, जो कि भेदभावपूर्ण है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को आश्वस्त किया कि वह अनिवार्य विवाह के तहत मुस्लिम विवाहों के पंजीकरण के सिलसिले में पड़ताल करेगी और उपयुक्त निर्देश जारी करेगी. अनिवार्य विवाह आदेश, दो महीनों के अंदर बगैर किसी विलंब या नोटिस के तत्काल पंजीकरण की व्यवस्था करता है. न्यायमूर्ति रेखा पल्ली एक याचिका पर सुनवाई कर रही है,

जिसमें आरोप लगाया गया है कि यहां मुस्लिम विवाह, अनिवार्य विवाह आदेश के बजाय विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत किए जा रहे है. दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि वर्तमान में आवेदन के लिए कानूनी प्रारूप में विकल्प के तौर पर मुस्लिम विवाह या ईसाई विवाह का जिक्र नहीं किया गया है.

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दिल्ली सरकार के वकील शदान फरासत ने कहा, ‘‘हम अधिकारियों को इसे दुरूस्त करने के लिए पत्र लिख रहे हैं. हम मुस्लिमों और ईसाइयों, दोनों के लिए इसे संशोधित करेंगे. उल्लेखनीय है कि एक गैर सरकारी संस्था ने आरोप लगाया है कि अनिवार्य विवाह आदेश के तहत पंजीकरण के लिए विकल्प नहीं रहने के चलते मुस्लिम विवाह, विशेष विवाह अधिनयम के तहत पंजीकृत हो रहे हैं, जो कि भेदभावपूर्ण है.

(पीटीआई-भाषा)

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