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Inside Story: जानें कैसे मधुमक्खियों ने जला दिया पूरा शहर

बेतिया का बलथर थाना कांड उग्र भीड़ का भयानक चेहरा उजागर (Mob kills cop after custodial death in Bihar) करता है. पश्चिम चंपारण ऐसा सुलगा कि उसके निशान अब तक शहर में देखे जा सकते है. फिलहाल शहर की फिजाओं में खामोशी है, लेकिन सड़क पर जलकर खाक हुई गाड़ियां और सड़क पर बिखरे पत्थर और ईंट के टुकड़े साफ बता रहे हैं कि रविवार को यानि 19 मार्च को यहां क्या हुआ होगा? हालांकि सीसीटीवी ने पूरे मामले को आइने की तरह साफ कर दिया है. पढ़ें पूरी खबर..

Death case in police custody in Bettiah
बलथर में पुलिस की पिटाई से मौत
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Published : Mar 22, 2022, 7:41 AM IST

Updated : Mar 22, 2022, 12:21 PM IST

बेतिया : बिहार के बेतिया में मधुमक्खियों ने पूरे शहर को जला दिया. जरा सोचिए, अगर थाने के कैंपस में ही किसी हवलदार की मॉबलिंचिंग (Hawaldar Mob lynching) कर दी जाए तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे इलाके में लॉ एंड ऑर्डर कैसा रहा होगा? सवाल यही उठता है कि ये सबकुछ हुआ क्यों? कैसे बेतिया का यह इलाका घंटों जलता रहा? पश्चिम चंपारण ऐसा सुलगा कि उसकी आंच अब तक बरकरार है. फिलहाल हवाओं में खामोशी है. लेकिन सड़क पर जलकर खाक हुई गाड़ियां, पीट-पीटकर मौत के घाट उतारे गए हवलदार की लाश और सड़कों पर बिखरे पत्थर गवाही दे रहे हैं कि शनिवार को बलथर थाने में क्या हुआ था?

बेतिया का बलथर थाना कांड

ईटीवी भारत के पास सीसीटीवी फुटेज : बिहार का बेतिया जिले में होली के दिन बलथर थाना (Balthar police station case) में अनिरुद्ध यादव की पुलिस पिटाई से मौत (Death case in police custody in Bettiah) नहीं हुई बल्कि मधुमक्खियों के काटने से हुई थी. ये दावा किया है बेतिया पुलिस कप्तान उपेंद्र नाथ वर्मा ने. ईटीवी भारत को मौके से सीसीटीवी फुटेज हाथ लगे हैं, जिसमें युवक अनिरुद्ध यादव दिखाई दे रहा है, वो चापाकल के पास पानी पीते दिख रहा है. ठीक उसी वक्त पानी पीने रहे अनिरुद्ध यादव पर मधुमक्खियों ने हमला कर दिया. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह अनिरुद्ध यादव भागकर बाइक की ओट में छिप रहा है. इसी बीच, एक पुलिसकर्मी उसकी ओर कंबल फेंकता है, जिसे ओढ़कर वह अपनी जान बचा रहा है.

इस मामले पर उपेन्द्र नाथ वर्मा, पुलिस अधीक्षक, बेतिया ने कहा कि, 'उग्र भीड़ के हमले में थाने में बहुत कुछ तोड़ फोड़ दिया गया, लेकिन अभी भी डीबीआर सुरक्षित होने से हम सीसीटीवी देख पा रहे हैं. सीसीटीवी में साफ देखा जा सकता है कि अनिरुद्ध यादव पर मधुमक्खियों ने हमला किया था, लेकिन थाने के कर्मचारियों ने उसे बचाया भी था. सीसीटीवी से फुटेज खंगाले जा रहे हैं, आगे की कार्रवाई उसी आधार पर की जाएगी.'

जिस पुलिसवालों ने जान बचाई उन्हीं की जान पर बन आई: जिन पुलिसवालों ने मधुमक्खियों के हमले से जान बचाई उन्हीं पुलिसवालों पर युवक को जान से मारने का इल्जाम लगाकर पूरे बलथर के साथ बेतिया को सुलगा दिया. उग्र भीड़ तक पहुंची खबर पूरी तरह से अफवाह का रूप ले चुकी थी. हर कोई ईंट पत्थर, डंडा लेकर बलथर थाने को घेरने पहुंच गया. इतनी बड़ी संख्या में आती भीड़ को देखकर बलथर थाने से पुलिसकर्मी जानबचाकर भागने लगे. लेकिन भीड़ के हाथ में जो लगा उसे तहसनहस किया. अग्निशमन की गाड़ी में आग लगा दी गई. पुलिस की गाड़ी फूंक दी गई. और तो और, थाने में खड़ी दूसरी प्राइवेट गाड़ियों को भी लोगों ने नहीं बख्शा.

वही घटना के चश्मदीद पुलिसकर्मी दीपक पटेल ने बताया कि, 'अनिरुद्ध यादव गाड़ी लेकर थाने में आए और गाड़ी खड़ी करके पानी पीने लगे. तभी मधुमक्खी के झुंड ने उनपर हमला कर दिया. हम दौड़कर कंबल लेकर आए और उसपर फेंका कि कंबल ओढ़ लो. कंबल ओढ़ने से मधुमक्खियों के हमले से वो बच गया. फिर उसे इलाज के लिए सिकटा अस्पताल लेकर गए.'

सादी वर्दी में थाने से भागे पुलिसकर्मी : पुलिस के सामने दो बड़ी चुनौती थी. पहली अफवाह को रोकना और दूसरी उग्र भीड़ पर काबू पाना. एसपी ने मौके की नजाकत को समझते हुए खुद मोर्चा संभाला और लगभग 2 हजार जवानों के साथ रातभर कैंप किया. मौके पर पहुंचकर लोगों को बताया कि अनिरुद्ध की मौत पुलिस कस्टडी में पिटाई से नहीं बल्कि मधुमक्खी के काटने से हुई है. लेकिन इतनी देर में उग्र भीड़ बड़ी अनहोनी को अंजाम दे चुकी थी. एक चश्मदीद पुलिसकर्मी ने बताया कि सभी पुलिसकर्मी सादी वर्दी में भाग निकले लेकिन भीड़ ने मौके पर एक हवलदार राम जतन सिंह, जो कि वर्दी में थे, उन्हें पकड़ लिया और थाना परिसर में ही उसे इतना पीटा की उसकी मौत हो गई. इस घटना में कई अन्य पुलिसकर्मी घायल भी हो गए.

ये था मामला: अब आइये आपको बताते है कि पूरा बवाल कैसे शुरू हुआ. दरअसल, होली का दिन था और दिन के करीब 10-11 बज रहे होंगे. इसी दौरान बेतिया के बलथर थाना इलाके की पुलिस टीम थाने के नजदीक के ही गांव आर्या नगर पहुंची. खबर थी कि गांव में कुछ नौजवान डीजे बजा कर नाच गाना कर रहे हैं जबकि जिले में होली के दिन डीजे पर प्रशासन ने रोक लगा रखी थी और ये आदेश जिलाधिकारी की तरफ से था.

यह भी पढ़ें-आयोग नहीं बता पाया किसने जलाए 250 वनवासियों के घर, तत्कालीन आईजी कल्लूरी को क्लीनचिट!

इस वजह से शुरू हुआ उपद्रव: आरोप था कि अनिरुद्ध ही डीजे बजा रहा था इसलिए पुलिस उसे लेकर थाने पहुंची. लेकिन दोपहर 3 बजे ये खबर जंगल में आग की तरह फैली की युवक को हवालात में पुलिस ने पीटा और इसी वजह से उसकी मौत हो गई, जिसके बाद लोग बेकाबु हो गए. इस बात से नाराज आक्रोशित भीड़ ने थाना और पुलिस गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. वहीं, ग्रामीणों और पुलिस की इस हिंसक झड़प में एक पुलिसकर्मी राम जतन सिंह की भी मौत हो गई.

बलथर थाने का प्राइवेट चालक रह चुका है अनिरुद्ध : अनिरुद्ध यादव पहले बलथर थाने का प्राइवेट चालक भी रह चुका है, जो खुद अपनी इच्छा से डीजे वाली गाड़ी लेकर थाने पर गया था, क्योंकि जहां पर डीजे बज रहा था, वहां पर किसी को भी ट्रैक्टर चलाना नहीं आता था. ऐसे में वह खुद ट्रैक्टर चलाकर थाने पर ले गया था.

पुलिसकर्मियों से पहले से परिचित था अनिरुद्ध: मृतक अनिरुद्ध यादव बलथर थाने के पुलिसकर्मियों से पहले से परिचित था. जब डीजे बज रहा था तब वहां पर सिकटा बीडीओ और सीओ मौके पर पहुंचे थे. उन्होंने डीजे बंद करने को कहा और डीजे को सीज करने की बात कही लेकिन वहां पर मौजूद लोगों ने कहा कि उन्हें ट्रैक्टर चलाना नहीं आता है. जिसके बाद अनिरुद्ध यादव ने कहा कि मुझे ट्रैक्टर चलाना आता है. आप चलिए मैं ट्रैक्टर लेकर आता हूं. जिसके बाद अनिरुद्ध यादव खुद ट्रैक्टर चलाकर ले गया.

समय से अस्पताल नहीं पहुंचाने से हुई मौत: इस दौरान थाने परिसर में जब पहुंचा तो उसे प्यास लगी. वह हैंडपंप के पास पानी पीने गया, तो वहां पर मधुमक्खियों का झुंड लगा था. इसी दौरान 3-4 मधुमक्खियों ने अनिरुद्ध यादव को काट लिया, जिसके बाद अनिरुद्ध यादव ने उसे मार दिया. मधुमक्खियों के झुंड ने अनिरुद्ध यादव पर हमला बोल दिया. जिसके बाद वहां पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने तुरंत अनिरुद्ध यादव को कंबल से लपेटकर नजदीक के पीएचसी ले जा रहे थे. तभी थाने के बाहर मौजूद कुछ असामाजिक तत्वों ने पुलिस की गाड़ी को रोक लिया. सूत्रों की मानें तो अनिरुद्ध यादव की मौत, समय से अस्पताल में नहीं पहुंचाने के कारण हुई.

अफवाह बना काल: वहीं एक अफवाह ने भीड़ को उग्र कर दिया और लोगों ने बिना सोचे समझे बलथर थाने पर चढ़ाई कर दी. जबकि सीसीटीवी ने हकीकत से पर्दा उठा दिया है. माना कि पुलिस हर मामले में दोषी ठहराई जाती है, पर बिना वजह जाने-समझे इस तरह थाने का घेराव करना किसी भी तरह से जायज नहीं है. सीसीटीवी से स्पष्ट है कि युवक बंद नहीं था और वो पुलिस की कस्टडी से स्वतंत्र था. पानी पीने के दौरान ही उसपर मधुमक्खियों ने हमला किया. अगर वक्त रहते उसे इलाज मिला होता तो आज अनिरुद्ध और हवलदार रामजतन सिंह जीवित होते. देखने वाली बात ये है कि पुलिस कब तक आरोपियों की पहचान करके उन्हें सलाखों के पीछे डालती है.

बेतिया : बिहार के बेतिया में मधुमक्खियों ने पूरे शहर को जला दिया. जरा सोचिए, अगर थाने के कैंपस में ही किसी हवलदार की मॉबलिंचिंग (Hawaldar Mob lynching) कर दी जाए तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे इलाके में लॉ एंड ऑर्डर कैसा रहा होगा? सवाल यही उठता है कि ये सबकुछ हुआ क्यों? कैसे बेतिया का यह इलाका घंटों जलता रहा? पश्चिम चंपारण ऐसा सुलगा कि उसकी आंच अब तक बरकरार है. फिलहाल हवाओं में खामोशी है. लेकिन सड़क पर जलकर खाक हुई गाड़ियां, पीट-पीटकर मौत के घाट उतारे गए हवलदार की लाश और सड़कों पर बिखरे पत्थर गवाही दे रहे हैं कि शनिवार को बलथर थाने में क्या हुआ था?

बेतिया का बलथर थाना कांड

ईटीवी भारत के पास सीसीटीवी फुटेज : बिहार का बेतिया जिले में होली के दिन बलथर थाना (Balthar police station case) में अनिरुद्ध यादव की पुलिस पिटाई से मौत (Death case in police custody in Bettiah) नहीं हुई बल्कि मधुमक्खियों के काटने से हुई थी. ये दावा किया है बेतिया पुलिस कप्तान उपेंद्र नाथ वर्मा ने. ईटीवी भारत को मौके से सीसीटीवी फुटेज हाथ लगे हैं, जिसमें युवक अनिरुद्ध यादव दिखाई दे रहा है, वो चापाकल के पास पानी पीते दिख रहा है. ठीक उसी वक्त पानी पीने रहे अनिरुद्ध यादव पर मधुमक्खियों ने हमला कर दिया. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह अनिरुद्ध यादव भागकर बाइक की ओट में छिप रहा है. इसी बीच, एक पुलिसकर्मी उसकी ओर कंबल फेंकता है, जिसे ओढ़कर वह अपनी जान बचा रहा है.

इस मामले पर उपेन्द्र नाथ वर्मा, पुलिस अधीक्षक, बेतिया ने कहा कि, 'उग्र भीड़ के हमले में थाने में बहुत कुछ तोड़ फोड़ दिया गया, लेकिन अभी भी डीबीआर सुरक्षित होने से हम सीसीटीवी देख पा रहे हैं. सीसीटीवी में साफ देखा जा सकता है कि अनिरुद्ध यादव पर मधुमक्खियों ने हमला किया था, लेकिन थाने के कर्मचारियों ने उसे बचाया भी था. सीसीटीवी से फुटेज खंगाले जा रहे हैं, आगे की कार्रवाई उसी आधार पर की जाएगी.'

जिस पुलिसवालों ने जान बचाई उन्हीं की जान पर बन आई: जिन पुलिसवालों ने मधुमक्खियों के हमले से जान बचाई उन्हीं पुलिसवालों पर युवक को जान से मारने का इल्जाम लगाकर पूरे बलथर के साथ बेतिया को सुलगा दिया. उग्र भीड़ तक पहुंची खबर पूरी तरह से अफवाह का रूप ले चुकी थी. हर कोई ईंट पत्थर, डंडा लेकर बलथर थाने को घेरने पहुंच गया. इतनी बड़ी संख्या में आती भीड़ को देखकर बलथर थाने से पुलिसकर्मी जानबचाकर भागने लगे. लेकिन भीड़ के हाथ में जो लगा उसे तहसनहस किया. अग्निशमन की गाड़ी में आग लगा दी गई. पुलिस की गाड़ी फूंक दी गई. और तो और, थाने में खड़ी दूसरी प्राइवेट गाड़ियों को भी लोगों ने नहीं बख्शा.

वही घटना के चश्मदीद पुलिसकर्मी दीपक पटेल ने बताया कि, 'अनिरुद्ध यादव गाड़ी लेकर थाने में आए और गाड़ी खड़ी करके पानी पीने लगे. तभी मधुमक्खी के झुंड ने उनपर हमला कर दिया. हम दौड़कर कंबल लेकर आए और उसपर फेंका कि कंबल ओढ़ लो. कंबल ओढ़ने से मधुमक्खियों के हमले से वो बच गया. फिर उसे इलाज के लिए सिकटा अस्पताल लेकर गए.'

सादी वर्दी में थाने से भागे पुलिसकर्मी : पुलिस के सामने दो बड़ी चुनौती थी. पहली अफवाह को रोकना और दूसरी उग्र भीड़ पर काबू पाना. एसपी ने मौके की नजाकत को समझते हुए खुद मोर्चा संभाला और लगभग 2 हजार जवानों के साथ रातभर कैंप किया. मौके पर पहुंचकर लोगों को बताया कि अनिरुद्ध की मौत पुलिस कस्टडी में पिटाई से नहीं बल्कि मधुमक्खी के काटने से हुई है. लेकिन इतनी देर में उग्र भीड़ बड़ी अनहोनी को अंजाम दे चुकी थी. एक चश्मदीद पुलिसकर्मी ने बताया कि सभी पुलिसकर्मी सादी वर्दी में भाग निकले लेकिन भीड़ ने मौके पर एक हवलदार राम जतन सिंह, जो कि वर्दी में थे, उन्हें पकड़ लिया और थाना परिसर में ही उसे इतना पीटा की उसकी मौत हो गई. इस घटना में कई अन्य पुलिसकर्मी घायल भी हो गए.

ये था मामला: अब आइये आपको बताते है कि पूरा बवाल कैसे शुरू हुआ. दरअसल, होली का दिन था और दिन के करीब 10-11 बज रहे होंगे. इसी दौरान बेतिया के बलथर थाना इलाके की पुलिस टीम थाने के नजदीक के ही गांव आर्या नगर पहुंची. खबर थी कि गांव में कुछ नौजवान डीजे बजा कर नाच गाना कर रहे हैं जबकि जिले में होली के दिन डीजे पर प्रशासन ने रोक लगा रखी थी और ये आदेश जिलाधिकारी की तरफ से था.

यह भी पढ़ें-आयोग नहीं बता पाया किसने जलाए 250 वनवासियों के घर, तत्कालीन आईजी कल्लूरी को क्लीनचिट!

इस वजह से शुरू हुआ उपद्रव: आरोप था कि अनिरुद्ध ही डीजे बजा रहा था इसलिए पुलिस उसे लेकर थाने पहुंची. लेकिन दोपहर 3 बजे ये खबर जंगल में आग की तरह फैली की युवक को हवालात में पुलिस ने पीटा और इसी वजह से उसकी मौत हो गई, जिसके बाद लोग बेकाबु हो गए. इस बात से नाराज आक्रोशित भीड़ ने थाना और पुलिस गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. वहीं, ग्रामीणों और पुलिस की इस हिंसक झड़प में एक पुलिसकर्मी राम जतन सिंह की भी मौत हो गई.

बलथर थाने का प्राइवेट चालक रह चुका है अनिरुद्ध : अनिरुद्ध यादव पहले बलथर थाने का प्राइवेट चालक भी रह चुका है, जो खुद अपनी इच्छा से डीजे वाली गाड़ी लेकर थाने पर गया था, क्योंकि जहां पर डीजे बज रहा था, वहां पर किसी को भी ट्रैक्टर चलाना नहीं आता था. ऐसे में वह खुद ट्रैक्टर चलाकर थाने पर ले गया था.

पुलिसकर्मियों से पहले से परिचित था अनिरुद्ध: मृतक अनिरुद्ध यादव बलथर थाने के पुलिसकर्मियों से पहले से परिचित था. जब डीजे बज रहा था तब वहां पर सिकटा बीडीओ और सीओ मौके पर पहुंचे थे. उन्होंने डीजे बंद करने को कहा और डीजे को सीज करने की बात कही लेकिन वहां पर मौजूद लोगों ने कहा कि उन्हें ट्रैक्टर चलाना नहीं आता है. जिसके बाद अनिरुद्ध यादव ने कहा कि मुझे ट्रैक्टर चलाना आता है. आप चलिए मैं ट्रैक्टर लेकर आता हूं. जिसके बाद अनिरुद्ध यादव खुद ट्रैक्टर चलाकर ले गया.

समय से अस्पताल नहीं पहुंचाने से हुई मौत: इस दौरान थाने परिसर में जब पहुंचा तो उसे प्यास लगी. वह हैंडपंप के पास पानी पीने गया, तो वहां पर मधुमक्खियों का झुंड लगा था. इसी दौरान 3-4 मधुमक्खियों ने अनिरुद्ध यादव को काट लिया, जिसके बाद अनिरुद्ध यादव ने उसे मार दिया. मधुमक्खियों के झुंड ने अनिरुद्ध यादव पर हमला बोल दिया. जिसके बाद वहां पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने तुरंत अनिरुद्ध यादव को कंबल से लपेटकर नजदीक के पीएचसी ले जा रहे थे. तभी थाने के बाहर मौजूद कुछ असामाजिक तत्वों ने पुलिस की गाड़ी को रोक लिया. सूत्रों की मानें तो अनिरुद्ध यादव की मौत, समय से अस्पताल में नहीं पहुंचाने के कारण हुई.

अफवाह बना काल: वहीं एक अफवाह ने भीड़ को उग्र कर दिया और लोगों ने बिना सोचे समझे बलथर थाने पर चढ़ाई कर दी. जबकि सीसीटीवी ने हकीकत से पर्दा उठा दिया है. माना कि पुलिस हर मामले में दोषी ठहराई जाती है, पर बिना वजह जाने-समझे इस तरह थाने का घेराव करना किसी भी तरह से जायज नहीं है. सीसीटीवी से स्पष्ट है कि युवक बंद नहीं था और वो पुलिस की कस्टडी से स्वतंत्र था. पानी पीने के दौरान ही उसपर मधुमक्खियों ने हमला किया. अगर वक्त रहते उसे इलाज मिला होता तो आज अनिरुद्ध और हवलदार रामजतन सिंह जीवित होते. देखने वाली बात ये है कि पुलिस कब तक आरोपियों की पहचान करके उन्हें सलाखों के पीछे डालती है.

Last Updated : Mar 22, 2022, 12:21 PM IST
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