नई दिल्ली: 20 अप्रैल से दिल्ली में लॉकडाउन (Lockdown in Delhi) लागू है. इस दौरान फैक्ट्रियों पर भी ताले लगे रहे, लेकिन अब जबकि कोरोना के मद्देनजर दिल्ली की स्थिति वापस पटरी पर लौट रही है, ऐसे में 1 जून से दिल्ली सरकार ने अनलॉक (Unlock Delhi) की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया है. शुरुआत में इंडस्ट्रीज (Delhi industry unlock) और कंस्ट्रक्शन को अनुमति दी जा रही है. करीब डेढ़ महीने से बंद फैक्ट्रियां कल फिर से चालू हो जाएंगी.
अभी चल रहा साफ-सफाई ऑयलिंग का काम
डेढ़ महीने से बंद फैक्ट्रियों की वर्तमान समय में क्या कुछ स्थिति है और कल फिर से इन्हें सुचारू करने की क्या कुछ तैयारियां हैं, यह जानने के लिए ईटीवी भारत पहुंचा आनंद पवर्त इंडस्ट्रियल एरिया में. यहां एशिया आयरन एंड स्टील ट्रेडर्स के दरवाजे करीब डेढ़ महीने बाद आज खुले हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में फैक्ट्री के मालिक पुनीत गोयल ने बताया है कि अभी साफ सफाई और ऑयलिंग का काम चल रहा है.
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शुरुआत से पहले दुरुस्त की जा रही तैयारी
पुनीत गोयल ने बताया कि चूंकि फैक्ट्री करीब डेढ़ महीने से बंद है, इसलिए हम अभी यह चेक कर रहे हैं कि सभी कनेक्शन सही हों और मशीन पूरी तरह से काम के अनुसार रेडी हो जाए. हालांकि अभी इन फैक्ट्री मालिकों के सामने एक बड़ी समस्या मजदूरों की कमी है, जो दिल्ली में कोरोना के मामले बढ़ने और लॉकडाउन लागू होने के बाद अन्य राज्यों में अपने घर चले गए थे.
20 मजदूरों में से अभी सिर्फ 6 मजदूर ही हैं
सोमवार से इंडस्ट्री (Delhi industry unlock) शुरू हो रही है, लेकिन मजदूरों की कमी एक बड़ी समस्या बन सकती है. पुनीत गोयल ने बताया कि उनके यहां आम दिनों में करीब 20 मजदूर काम करते हैं, लेकिन अभी सिर्फ 6 मजदूर ही हैं और वे वो हैं जो लॉकडाउन के दौरान अपने घर नहीं गए थे. बीते करीब डेढ़ महीने के दौरान फैक्ट्री के बंद रहने के कारण हुए नुकसान को लेकर सवाल करने पर उनका कहना था इसका आंकलन आगामी दिनों में हो पाएगा.
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बाजार का न खुलना भी एक बड़ी समस्या
पुनीत गोयल ने कहा अभी तो फैक्ट्री खोली है, जब फैक्ट्री चालू होगी, तब देखेंगे कि क्या कुछ नुकसान हुआ है. इंडस्ट्री मालिकों की एक समस्या बाजार न खुलना भी है. पुनीत गोयल ने कहा कि फैक्ट्री में एक नट-बोल्ट भी खराब हो जाए, टूट जाए तो पूरी फैक्ट्री बंद करनी पड़ती है. ऐसे में बाजार का ना खुलना हमारे लिए एक बड़ी समस्या हो सकती है. ईटीवी भारत ने यहां काम करने वाले मजदूरों से भी बातचीत की.
बीते डेढ़ महीने में हुआ करोड़ों का नुकसान
इस फैक्ट्री में ड्राइवर का काम करने वाले राम विनोद ने बताया कि वे बिहार के रहने वाले हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान घर नहीं जा सके थे. यहीं पर रहने और खाने की व्यवस्था फैक्ट्री की तरफ से हो गई थी. हालांकि उनका यह भी कहना था कि करीब डेढ़ महीने फैक्ट्री बंद रहने से करोड़ों का नुकसान हुआ है. यही बात धनंजय कुमार ने भी कही, हालांकि अब उन्हें उम्मीद है कि फैक्ट्री के चालू होने से सब कुछ वापस पटरी पर लौट आएगा.