धर्मशाला: सनातन धर्म में भगवान इंद्र को बारिश के देवता के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि इंद्र देव की पूजा करने पर वो प्रसन्न होकर बारिश करते हैं. इसका वर्णन हमें धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है. द्वापर युग में भी मथुरा वासी ने बारिश के लिए भगवान इंद्र के लिए यज्ञ किया, जिससे खुश होकर इंद्र देव ने बारिश किया था. वहीं, हिमाचल में आज भी एक जगह ऐसी है, जहां पर बारिश करवाने के लिए लोग भगवान इंद्रुनाग की पूजा करते हैं. इतना ही नहीं अगर मौसम साफ चाहिए हो तो भी उनकी पूजा की जाती है. कहां पर हैं ये अनौखा मंदिर और क्या है इस मंदिर की मान्यता है? आखिर क्यों हर बार हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन मैच से पहले इस मंदिर में पूजा करती है. पढ़िए पूरी खबर....
इंद्रुनाग मंदिर में पूजा करने से होती है बारिश: भारत में कई ऐसे धार्मिक स्थान है, जिनसे कोई न कोई चमत्कारिक या रहस्यमयी घटना जुड़ी हुई है. हिमाचल में भी एक ऐसा ही मंदिर है, जहां पूजा करने से क्षेत्र में बारिश होती या मौसम साफ हो जाता है. हिमाचल के कांगड़ा जिले के धर्मशाला में श्री इंद्रुनाग मंदिर स्थित है. मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान इंद्रुनाग की पूजा करने पर बारिश होती है. इतना ही नहीं यदि बारिश बहुत ज्यादा हो रही हो तो पूजा करने बारिश बंद भी हो जाती है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग मिलकर पूजा करते हैं.
यहां इंद्रुनाग की पूजा इंद्र देव के रूप में होती है: यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से 10 किलोमीटर दूर खनियारा गांव में स्थित है. इस मंदिर में बारिश के देवता भगवान श्री इंद्रुनाग विराजमान हैं. यहां भगवान इंद्रुनाग की पूजा इंद्र देव के रूप में की जाती है. जब भी बारिश की आवश्यकता हो या फिर मौसम साफ चाहिए हो तो ग्रामीण भगवान श्री इंद्रुनाग मंदिर में गुर खेल (खेलपात्र) के दौरान भगवान के गुर के माध्यम से सुझाए मार्ग अनुसार पूजा कर उनके आशीर्वाद से बारिश व बारिश से राहत हासिल करते हैं.
इस मंदिर में हिंदू-मुस्लिम एक साथ करते हैं पूजा: यहां हिंदू-मुस्लिम एक साथ पूजा करते हैं. वहीं, अब हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) भी इंद्रुनाग के इस चमत्कार के आगे पूरी तरह से नतमस्तक हो चुकी है. जब कभी में धर्मशाला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में किसी मैच का आयोजन होना होता है तो मैच का सफल आयोजन के लिए एचपीसीए पहले भगवान श्री इंद्रुनाग की विशेष पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करती है.
भगवान श्री इंद्रुनाग मंदिर का इतिहास: खनियारा स्थित भगवान श्री इंद्रुनाग मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है. हालांकि इसके बारे में ग्रामीणों सहित मंदिर के पुजारी भी इतना ही जानते हैं कि यहां एक वान के पेड़ के नीचे भगवान के पदचिह्न मिले थे. उसके बाद यहां चंबा का राजा पहुंचे. जिनकी कोई संतान नहीं थी. भगवान श्री इंद्रुनाग ने उसे स्वप्न में दर्शन देकर संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया था. इसके अगले ही दिन राजा स्वप्न में दिखे स्थान पर पहुंचा. जहां राजा ने भगवान श्री इंद्रुनाग की पूजा अर्चना की और उसके अगले वर्ष वह अपने बेटे के साथ इंद्रुनाग मंदिर पहुंचा और पूजा अर्चना की. जिसके बाद राजा ने भगवान का मंदिर बनवाने के साथ इस क्षेत्र की जमीन को मंदिर के नाम कर दिया. इसके बाद से मंदिर में विशेष पूजा का दौर शुरू हुआ. ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से अपनी मन्नत लेकर आता है, उसकी हर मनोकामना भगवान इंद्रुनाग पूरी करते हैं.
HPCA की भी इंद्रुनाग देवता पर आस्था: हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) भी भगवान श्री इंद्रुनाग की आस्था मान चुकी है. जब यहां क्रिकेट स्टेडियम बनने के बाद शुरुआती मैच में भारी बारिश हुई थी तो उसके बाद एचपीसीए ने भी यहां पूजा-अर्चना शुरू की, जिसके बाद ही यहां पर मैचों का सफल आयोजन हो पाया है. उस समय वर्तमान सूचना प्रसारण एवं खेल मंत्री अनुराग ठाकुर बतौर एचपीसीए के अध्यक्ष अपने पदाधिकारीयो के साथ भगवान इन्द्रूनाग के दर पर नतमस्तक हुए थे. इसके बाद धर्मशाला में क्रिकेट मैचों का सफल आयोजन संभव हो पाया था.
मैचों के सफल आयोजन को लेकर विशेष पूजा: हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की भी भगवान श्री इंद्रुनाग पर बड़ी आस्था है. यहां क्रिकेट स्टेडियम बनने के बाद जब शुरुआती मैच हुए थे तो, एचपीसीए ने यहां पूजा-अर्चना शुरू की थी. उसके बाद ही यहां पर मैचों का सफल आयोजन हो पाया. एचपीसीए निदेशक संजय शर्मा ने कहा धर्मशाला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में साल 2003 से मैचों का आयोजन हो रहा है. साल 2005 में पाकिस्तान की टीम और बोर्ड एकादश के बीच एक अभ्यास मैच धर्मशाला स्टेडियम में खेला गया. उस दौरान काफी ज्यादा बारिश हुई थी, जिसके चलते मैच में काफी व्यवधान पड़ा था. उन्होंने कहा इंद्रुनाग देवता यहां के स्थानीय देवता के रूप में पूजे जाते हैं. लोगों में उनकी अपार आस्था है. इसीलिए एचपीसीए भी हर साल मैचों के सफल आयोजन को लेकर इंद्रुनाग देवता की विशेष पूजा अर्चना करती है. ताकि मैच के दौरान बारिश के चलते व्यवधान न पड़े. संजय शर्मा ने कहा जब से एचपीसीए ने इंद्रुनाग देवता के दर पर हाजिरी लगाई है, तब से सभी मैच बिना व्यवधान के संपन्न हुए हैं.
सभी कार्यक्रमों के सफल आयोजन के लिए पूजा: मंदिर के पुजारी पंडित विपन कुमार ने बताया कि इंद्रुनाग देवता में लोगों की अपार आस्था है. उन्हें बारिश के देवता के रूप में भी जाना जाता है. लोग विभिन्न प्रकार के बड़े आयोजनों की सफलता के लिए इंद्रुनाग देवता के दर पर हाजिरी लगाते हैं. शादी समारोह में भी मौसम साफ रहने की कामना और आसपास के 18 गांव के लोग अच्छी फसल की कामना को लेकर 6 महीने बाद विशेष पूजा अर्चना करते हैं. लोग शादी में मौसम साफ रहने की कामना को लेकर इंद्रुनाग देवता के दर पर सूखे काले चने चढ़ाते हैं. ताकि समारोह में बारिश व्यवधान ना डालें. ऐसा भी देखने में आया है कि एक और शादी हो रही है और दूसरी ओर लोग खाना खाकर बारिश के पानी से हाथ धोते थे. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान बारिश न होने की कामना को लेकर जिला प्रशासन भी इंद्रुनाग देवता के दर पर नतमस्तक हुआ था. अक्सर ऐसे बड़े आयोजनों की सफलता के लिए इंद्रुनाग देवता के दर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है.
ऐसे पहुंचे इंद्रुनाग देवता मंदिर: धर्मशाला से भगवान श्री इंद्रुनाग मंदिर खनियारा करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है. धर्मशाला बस स्टैंड से बस या मुद्रिका जीपों के माध्यम से सीधे खनियारा पहुंचा जा सकता है. वहीं धर्मशाला से वाया सिद्धपुर होकर भी खनियारा पहुंचा जा सकता है. दोनों ही तरफ से बसों की सुविधा है.
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