इंदौर। यह घटना खंडवा जिले के मूंदी गांव की है. यहां रहने वाले किसान अविनाश मालवीय (29) 11 नवंबर को अपने खेत में गए थे. खेत में महुआ का पेड़ है. जहां सालों से मधुमक्खियों का बड़ा छत्ता है. घटना वाले दिन अचानक मधुमक्खियों का समूह उड़ते हुए आया और अविनाश पर हमला कर दिया. वह दौड़ते-दौड़ते घर तक पहुंचे तक तब मधुमक्खियों ने उन्हें हजार डंक मार दिए. घर पहुंचते ही मां निशा व भाई अभिषेक ने कंबल ओढ़ाया और बचाया. परिजन ने देखा तो अविनाश का शरीर पूरी तरह सूज गया था तथा बेसुध हो गए थे.
डॉक्टरों ने अथक मेहनत से बचाई जान : उन्होंने डंक निकालना शुरू किया लेकिन हजारों डंक शरीर के हर अंग पर होने के कारण परिजन चाह कर भी शरीर से सारे डंक नहीं निकाल पा रहे थे. लिहाजा वे पीड़ित को पास ही के एक अस्पताल ले गए जहां मरीज की अत्यंत गंभीर हालत पाकर स्थानीय डॉक्टरों ने इंदौर के लिए रेफर कर दिया. इंदौर के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीज की जान बचाने के लिए पहली बार इंटरनेशनल रेफरेंस का उपयोग किया और लगातार 72 घंटे CRRT-CVVHDF(हेमोडियाफिल्ट्रेशन) कर ज़हर को बाहर निकालने के साथ प्लाज्मा एक्सचेंज के माध्यम से किसी तरह युवक की जान बचाई.
एक माह चला अस्पताल में ट्रीटमेंट : लगभग एक माह अस्पताल में एडमिट रहने के बाद फिलहाल युवक की स्थिति अब खतरे से बाहर है. उक्त मरीज के इलाज के लिए AIIMS दिल्ली में भी बात की गई थी. वहां भी इस तरह का कोई केस पहले नहीं आया. इसके चलते इंटरनेशनल रेफेरेंस का उपयोग किया गया. अब ये केस एक मेडिकल जनरल में प्रकाशित होने जा रहा है, जो फिजियिशन्स, प्राइमेरी केयर को नई दिशा देगा. अस्पताल के डॉ. जय सिंह अरोडा (नेफ्रोलॉजिस्ट) और डॉ. ज्योति वाधवानी ने बताया कि मधुमक्खियों के डंक के गंभीर संक्रमण के साथ मांसपेशियों में सूजन, सेप्सिस, मसल ब्रेक डॉउन, शरीर के दो या उससे अधिक अंगो का एक साथ काम बंद कर देते हैं.
ज्यादा मधुमक्खियां काटें तो मौत की आशंंका : अक्सर जब इतनी बड़ी संख्या में मधुमक्खियां किसी को डंक मारती हैं तो व्यक्ति की मृत्यु होने की आशंका ज्यादा होती है, लेकिन समय पर उपचार शुरू करने से स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है. ऐसे में प्लाज्मा-एक्सचेंज, CRRT-CVVHDF (हेमोडियाफिल्ट्रेशन) और दवाइयां देकर गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए कारगर साबित हो सकते हैं. इन उपचारों से ऐसे मरीजों की मदद हो सकती है जिन्हें कार्डियक फैलियर, लिवर फैलियर, मल्टी ऑर्गन फैलियर, ऑटोइम्यून बीमारियां या गंभीर बैक्टीरिया या वायरल इनफेक्शंस हुए हैं और जिन्हें ड्रग्स या केमिकल की वजह से पॉइजनिंग हुई है.
पहुंचे थे अंतिम संस्कार में, मधुमक्खियों ने कर दिया हमला, 30 लोग घायल
जानिए इन जानलेवा मधुमक्खियों के बारे में : भारत में हजारों की संख्या में मधुमक्खियों द्वारा काटने संबंधी पब्लिकेशन नहीं हैं. इस तरह का डाटा यूएस, चाइना, अफ्रीका में उपलब्ध हैं. वहां की मधुमक्खियों में टॉक्सिन भारत की मधुमक्खियों से कम होते हैं. वहां यही थैरेपी CRRT व प्लाज्मा एक्सजेंज अपनाई जाती है, जो यहां भी अपनाई गई. एक मधुमक्खी मनुष्य में 120 से 150 माइक्रोग्राम टॉक्सिन इन्जेक्ट करती है. ऐसे ही एक घातक मधु मक्खी 3 मिलीग्राम टॉक्सिन इन्जेक्ट करती है. ऐसे में 400 से 500 मधुमक्खियां काटे तो इतना टॉक्सिन हो जाता है कि व्यक्ति का बचना मुश्किल होता है.