ETV Bharat / bharat

Manipur Violence : इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स गृह मंत्री अमित शाह से करेंगे मुलाकात, अलग राज्य की मांग - Manipur Violence

मणिपुर मामले को लेकर इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम के नेता गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे. वे उनसे मिलकर अलग राज्य की भी मांग करने वाले हैं. वे मंगलवार को मुलाकात करेंगे.

Home minister Amit Shah , File Photo
गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)
author img

By

Published : Aug 7, 2023, 6:30 PM IST

इंफाल : मणिपुर के इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के नेता अपनी मांगों पर जोर देने के लिए मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे, जिसमें ट्राइनल के लिए एक अलग राज्य भी शामिल है. आईटीएलएफ के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता गिन्ज़ा वुअलज़ोंग ने कहा कि चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय मंत्री से मिलेगा.

आईटीएलएफ प्रतिनिधिमंडल के सदस्य वुअलज़ोंग ने बताया, “हम अपनी मांगों के शीघ्र समाधान के लिए दबाव डालेंगे, क्योंकि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के कुशासन के कारण मणिपुर के हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं. राज्य सरकार की आदिवासी विरोधी शासन के कारण हम आदिवासी बहुत पीड़ित हैं.'' आईटीएलएफ नेताओं ने दावा किया कि चूंकि वे मैतेई से खतरे के कारण चुराचांदपुर से इंफाल नहीं जा सके, इसलिए उन्हें नई दिल्ली जाने वाली उड़ान में सवार होने के लिए आइजोल जाना पड़ा.

आईटीएलएफ की अन्य मांगों में मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में राज्य पुलिस और कमांडो बलों को तैनात नहीं किया जाना चाहिए, इंफाल की जेलों में बंद कैदियों को देश के अन्य राज्यों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए और जातीय हिंसा के दौरान मारे गए आदिवासियों को सामूहिक रूप से दफनाने के लिए एक जगह को वैध बनाना शामिल है. मणिपुर में अशांति तब और बढ़ गई, जब आदिवासी संगठन ने 3 अगस्त को चुराचांदपुर में शवों को सामूहिक रूप से दफ़नाने की घोषणा की.

आदिवासी संगठन के इस कदम का मैतेई समुदाय की एक प्रमुख संस्था मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) ने कड़ा विरोध किया. हालांकि, मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा चुराचांदपुर में प्रस्तावित दफन स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए जाने के बाद सामूहिक दफन स्थगित कर दिया गया था. आईटीएलएफ और सीओसीओएमआई को लिखे पत्र में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने 3 अगस्त को शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की.

राय ने बाद में कहा, “भारत सरकार मणिपुर में जातीय हिंसा में मारे गए लोगों के शवों के अंतिम संस्कार के मुद्दे पर चिंतित है. भारत सरकार सभी संबंधित पक्षों से शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील करती है और आश्‍वासन देती है कि वह सात दिनों की अवधि के भीतर सभी पक्षों की संतुष्टि के लिए मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.”

12 मई से 10 आदिवासी विधायक, जिनमें सात भाजपा विधायक, आईटीएलएफ और प्रभावशाली कुकीइंपी मणिपुर (केआईएम) शामिल हैं, 12 मई से आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन (अलग राज्य के बराबर) की मांग कर रहे हैं. शाह, बीरेन सिंह, सत्तारूढ़ भाजपा और सीओसीओएमआई समेत कई अन्य संगठन अलग प्रशासन की मांग का कड़ा विरोध कर रहे हैं.

मौजूदा स्थिति के बीच मणिपुर विधानसभा में दो विधायकों वाले कुकी पीपुल्स एलायंस (केपीए) ने रविवार को भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके को एक पत्र संबोधित करते हुए केपीए अध्यक्ष तोंगमांग हाओकिप ने कहा : “मौजूदा संघर्ष पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर की मौजूदा सरकार के लिए निरंतर समर्थन अब निरर्थक नहीं है. मणिपुर सरकार को केपीए का समर्थन वापस लिया जाता है और इसे शून्य माना जा सकता है."

भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साझेदार के रूप में केपीए के नेताओं ने 18 जुलाई को दिल्ली में आयोजित एनडीए की बैठक में भाग लिया था. हालांकि, केपीए के दो विधायकों के समर्थन वापस लेने से मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास अपने दम पर 32 विधायक हैं, जबकि नेशनल पीपुल्स पार्टी (7 सदस्य), जनता दल-यूनाइटेड (6), नगा पीपुल्स फ्रंट (5) और दो निर्दलीय विधायक भगवा पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें : Manipur violence : सुप्रीम कोर्ट ने राहत कार्यों के लिए तीन महिला जजों का पैनल बनाया, रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी करेंगे CBI जांच की निगरानी

(भाषा)

इंफाल : मणिपुर के इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के नेता अपनी मांगों पर जोर देने के लिए मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे, जिसमें ट्राइनल के लिए एक अलग राज्य भी शामिल है. आईटीएलएफ के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता गिन्ज़ा वुअलज़ोंग ने कहा कि चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय मंत्री से मिलेगा.

आईटीएलएफ प्रतिनिधिमंडल के सदस्य वुअलज़ोंग ने बताया, “हम अपनी मांगों के शीघ्र समाधान के लिए दबाव डालेंगे, क्योंकि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के कुशासन के कारण मणिपुर के हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं. राज्य सरकार की आदिवासी विरोधी शासन के कारण हम आदिवासी बहुत पीड़ित हैं.'' आईटीएलएफ नेताओं ने दावा किया कि चूंकि वे मैतेई से खतरे के कारण चुराचांदपुर से इंफाल नहीं जा सके, इसलिए उन्हें नई दिल्ली जाने वाली उड़ान में सवार होने के लिए आइजोल जाना पड़ा.

आईटीएलएफ की अन्य मांगों में मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में राज्य पुलिस और कमांडो बलों को तैनात नहीं किया जाना चाहिए, इंफाल की जेलों में बंद कैदियों को देश के अन्य राज्यों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए और जातीय हिंसा के दौरान मारे गए आदिवासियों को सामूहिक रूप से दफनाने के लिए एक जगह को वैध बनाना शामिल है. मणिपुर में अशांति तब और बढ़ गई, जब आदिवासी संगठन ने 3 अगस्त को चुराचांदपुर में शवों को सामूहिक रूप से दफ़नाने की घोषणा की.

आदिवासी संगठन के इस कदम का मैतेई समुदाय की एक प्रमुख संस्था मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) ने कड़ा विरोध किया. हालांकि, मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा चुराचांदपुर में प्रस्तावित दफन स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए जाने के बाद सामूहिक दफन स्थगित कर दिया गया था. आईटीएलएफ और सीओसीओएमआई को लिखे पत्र में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने 3 अगस्त को शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की.

राय ने बाद में कहा, “भारत सरकार मणिपुर में जातीय हिंसा में मारे गए लोगों के शवों के अंतिम संस्कार के मुद्दे पर चिंतित है. भारत सरकार सभी संबंधित पक्षों से शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील करती है और आश्‍वासन देती है कि वह सात दिनों की अवधि के भीतर सभी पक्षों की संतुष्टि के लिए मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.”

12 मई से 10 आदिवासी विधायक, जिनमें सात भाजपा विधायक, आईटीएलएफ और प्रभावशाली कुकीइंपी मणिपुर (केआईएम) शामिल हैं, 12 मई से आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन (अलग राज्य के बराबर) की मांग कर रहे हैं. शाह, बीरेन सिंह, सत्तारूढ़ भाजपा और सीओसीओएमआई समेत कई अन्य संगठन अलग प्रशासन की मांग का कड़ा विरोध कर रहे हैं.

मौजूदा स्थिति के बीच मणिपुर विधानसभा में दो विधायकों वाले कुकी पीपुल्स एलायंस (केपीए) ने रविवार को भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके को एक पत्र संबोधित करते हुए केपीए अध्यक्ष तोंगमांग हाओकिप ने कहा : “मौजूदा संघर्ष पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर की मौजूदा सरकार के लिए निरंतर समर्थन अब निरर्थक नहीं है. मणिपुर सरकार को केपीए का समर्थन वापस लिया जाता है और इसे शून्य माना जा सकता है."

भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साझेदार के रूप में केपीए के नेताओं ने 18 जुलाई को दिल्ली में आयोजित एनडीए की बैठक में भाग लिया था. हालांकि, केपीए के दो विधायकों के समर्थन वापस लेने से मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास अपने दम पर 32 विधायक हैं, जबकि नेशनल पीपुल्स पार्टी (7 सदस्य), जनता दल-यूनाइटेड (6), नगा पीपुल्स फ्रंट (5) और दो निर्दलीय विधायक भगवा पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें : Manipur violence : सुप्रीम कोर्ट ने राहत कार्यों के लिए तीन महिला जजों का पैनल बनाया, रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी करेंगे CBI जांच की निगरानी

(भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.