ETV Bharat / bharat

भारत की शहरी आबादी 2035 तक 67.5 करोड़ हो जाने का अनुमान: संरा रिपोर्ट

author img

By

Published : Jun 30, 2022, 12:38 PM IST

Updated : Jun 30, 2022, 2:41 PM IST

भारत की शहरी आबादी के 2035 तक 67.5 करोड़ हो जाने का अनुमान है और इस मामले में देश चीन की एक अरब शहरी जनसंख्या के मुकाबले दूसरे स्थान पर होगा. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

UN report
संरा रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र : भारत की शहरी आबादी के 2035 तक 67.5 करोड़ हो जाने का अनुमान है और इस मामले में देश चीन की एक अरब शहरी जनसंख्या के मुकाबले दूसरे स्थान पर होगा. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी के बाद दुनिया में शहरों में रहने वालों की संख्या पिछले स्तर पर पहुंच गयी है. 2050 तक इसमें 2.2 अरब की वृद्धि की संभावना है. दुनिया में शहरीकरण के बारे में संयुक्त राष्ट्र की बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजी से शहरीकरण पर कोविड-19 महामारी का अस्थायी असर पड़ा है.

इसकी रफ्तार महज थोड़ी देरी के लिये धीमी पड़ी है. इसमें कहा गया है कि वैश्विक शहरी आबादी पिछले स्तर पर आ गयी है. 2050 तक इसमें 2.2 अरब की वृद्धि का अनुमान है. रिपोर्ट के अनुसार भारत की शहरी आबादी के 2035 में 67,54,56,000 तक पहुंच जाने का अनुमान है जो 2020 में 48,30,99,000 था. वहीं 2025 तक इसके 54,27,43000 और 2030 तक 60,73,42,000 हो जाने की संभावना है.

पढ़ें: रूस-यूक्रेन युद्ध में शहरी इलाकों में महत्वपूर्ण नागरिक ठिकाने आसान निशाना बनते जा रहे हैं: भारत

इसमें कहा गया है कि वर्ष 2035 तक शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का प्रतिशत कुल आबादी का 43.2 प्रतिशत हो जाएगा. रिपोर्ट में चीन के बारे में कहा गया है कि वहां 2030 तक शहरी आबादी 1.05 अरब हो जाएगी. जबकि एशिया में शहरों में रहने वाले लोगों की जनसंख्या 2.99 अरब होगी. दक्षिण एशिया में यह संख्या 98.76 करोड़ होगी. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार चीन और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की वैश्विक आबादी में बड़ी हिस्सेदारी है तथा इन देशों में आर्थिक वृद्धि से वैश्विक असमानता पर सकारात्मक रूप से असर पड़ा है.
इसमें कहा गया है कि एशिया में पिछले दो दशकों में चीन और भारत की आर्थिक वृद्धि और शहरीकरण तेजा से बढ़ा है. इससे गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या में काफी कमी आई है. रिपोर्ट के अनुसार खासकर निम्न आय वाले देशों में जन्म दर बढ़ने के साथ मौजूदा शहरी आबादी में वृद्धि जारी रहेगी. इसके साथ 2050 तक कुल वैश्विक आबादी में शहरों में रहने वाले लोगों की जनसंख्या 68 प्रतिशत पहुंचने का अनुमान है जो अभी 56 प्रतिशत है. इसमें कहा गया है कि गरीबी और असमानता शहरों के समक्ष सबसे कठिन और जटिल समस्याओं में से एक है.

संयुक्त राष्ट्र : भारत की शहरी आबादी के 2035 तक 67.5 करोड़ हो जाने का अनुमान है और इस मामले में देश चीन की एक अरब शहरी जनसंख्या के मुकाबले दूसरे स्थान पर होगा. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी के बाद दुनिया में शहरों में रहने वालों की संख्या पिछले स्तर पर पहुंच गयी है. 2050 तक इसमें 2.2 अरब की वृद्धि की संभावना है. दुनिया में शहरीकरण के बारे में संयुक्त राष्ट्र की बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजी से शहरीकरण पर कोविड-19 महामारी का अस्थायी असर पड़ा है.

इसकी रफ्तार महज थोड़ी देरी के लिये धीमी पड़ी है. इसमें कहा गया है कि वैश्विक शहरी आबादी पिछले स्तर पर आ गयी है. 2050 तक इसमें 2.2 अरब की वृद्धि का अनुमान है. रिपोर्ट के अनुसार भारत की शहरी आबादी के 2035 में 67,54,56,000 तक पहुंच जाने का अनुमान है जो 2020 में 48,30,99,000 था. वहीं 2025 तक इसके 54,27,43000 और 2030 तक 60,73,42,000 हो जाने की संभावना है.

पढ़ें: रूस-यूक्रेन युद्ध में शहरी इलाकों में महत्वपूर्ण नागरिक ठिकाने आसान निशाना बनते जा रहे हैं: भारत

इसमें कहा गया है कि वर्ष 2035 तक शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का प्रतिशत कुल आबादी का 43.2 प्रतिशत हो जाएगा. रिपोर्ट में चीन के बारे में कहा गया है कि वहां 2030 तक शहरी आबादी 1.05 अरब हो जाएगी. जबकि एशिया में शहरों में रहने वाले लोगों की जनसंख्या 2.99 अरब होगी. दक्षिण एशिया में यह संख्या 98.76 करोड़ होगी. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार चीन और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की वैश्विक आबादी में बड़ी हिस्सेदारी है तथा इन देशों में आर्थिक वृद्धि से वैश्विक असमानता पर सकारात्मक रूप से असर पड़ा है.
इसमें कहा गया है कि एशिया में पिछले दो दशकों में चीन और भारत की आर्थिक वृद्धि और शहरीकरण तेजा से बढ़ा है. इससे गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या में काफी कमी आई है. रिपोर्ट के अनुसार खासकर निम्न आय वाले देशों में जन्म दर बढ़ने के साथ मौजूदा शहरी आबादी में वृद्धि जारी रहेगी. इसके साथ 2050 तक कुल वैश्विक आबादी में शहरों में रहने वाले लोगों की जनसंख्या 68 प्रतिशत पहुंचने का अनुमान है जो अभी 56 प्रतिशत है. इसमें कहा गया है कि गरीबी और असमानता शहरों के समक्ष सबसे कठिन और जटिल समस्याओं में से एक है.

Last Updated : Jun 30, 2022, 2:41 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.