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UAV on LAC : चीन के साथ-साथ NE के उग्रवादियों पर भी कड़ी निगरानी

भारत ने एलएसी इलाके में अत्याधुनिक यूएवी की तैनाती की है. इस यूएवी ने यहां पर भारत की स्थिति पहले के मुकाबले अधिक मजबूत कर दी है. कुछ यूएवी को आयात करके तैनाती की गई है. कुछ मेक इन इंडिया वाले भी हैं. इनकी मदद से सेना इन इलाकों में उत्तर पूर्व इलाके में पनपने वाले उग्रवाद पर भी नजर रख रही है. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब बरुआ की एक रिपोर्ट. UAV on LAC .

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हेरॉन्स
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Published : Sep 11, 2022, 6:13 PM IST

नई दिल्ली : चीन से सटी सीमा की निगरानी करने के लिए भारत ने जिस यूएवी (मानव रहित हवाई विमान) को तैनात किया है, वह 300 किमी की रेंज को कवर करता है. सेना के लिए यह 'रिमोटली पायलेटेड व्हीक्लस' किसी 'आंख' से कम नहीं है. बल्कि यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि भारत के लिए यह 'गेंम चेंजर' साबित हो रहा है. न सिर्फ सीमा पर सुरक्षा पुख्ता हुई है, बल्कि पास से इलाकों में उग्रवाद पर भी नजर रखने में काफी हद तक सफलता मिली है. UAV on LAC.

सीमा से सटे इलाकों में उग्रवादी किस तरीके से मूव करते हैं, या फिर वे किस तरीके की रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग कर रहे हैं, सब कुछ इसके जरिए ट्रैक किया जा सकता है.अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन, जिस तरह का रवैया अपना रहा है, इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है, उसके मद्देनजर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच तनाव और अधिक बढ़े. ऐसी स्थिति में तीन फैक्टर, ISR (खुफिया, निगरानी और टोही) जितने अधिक मजबूत होंगे, भारत की स्थिति उतनी अधिक मजबूत होगी. भारत इसे ही मजबूत कर रहा है.

यूएवी की तैनाती आईएसआर को सपोर्ट कर रहा है. फिर चाहे हमें यूएवी बाहर से आयात करना पड़ रहा हो, तो होने दीजिए. इस इलाके में 'हेरोन्स' यूएवी सबसे अधिक कारगर रहा है. उत्तर पूर्व इलाकों में उग्रवादियों पर नजर रखने में भी यह रणनीति काफी कारगर रही है. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम विद्रोही ठिकाने, उनके शिविरों के लेआउट, उनके आंदोलन सहित विद्रोहियों की संख्या, संचालन के दौरान लाइव फीड प्रदान करने आदि संबंधित जानकारी साझा कर रहे हैं और आतंकवाद विरोधी अभियानों में हम बखूबी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.

ये अत्याधुनिक यूएवी, जो बड़े पैमाने पर ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश की तलहटी से संचालित होते हैं, सीमा के पूरे क्षेत्र पर नज़र रख सकते हैं, साथ ही ये चीन के डीप इलाके पर भी नजर रख सकते हैं. हमारे मानव रहित हवाई प्लेटफॉर्म चीन के साथ लगती सीमा पर 24/7 उड़ान भरते रहते हैं. इनसे निकलने वाले रडार ट्रांसमिशन, जो विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, को डिटेक्ट कर पाना मुश्किल होता है.

सैन्य अधिकारी ने कहा, 'हम सीमाओं पर आवाजाही को आसानी से ट्रैक कर सकते हैं और किसी भी असामान्य गतिविधि का पता लगा सकते हैं. 24x7 बेसिस पर सूचनाएं हेडक्वार्टर्स को शेयर की जाती हैं, ताकि कोई भी एक्शन लेना हो, तो तुरंत कार्रवाई करने के लिए हमलोग तैयार रहें.' हालांकि, इसकी कितनी संख्या है और कितने प्रकार के यूएवी हैं, इसके बारे में कोई भी जानकारी उन्होंने साझा नहीं की.

यूएवी की तैनाती और इसके व्यापक प्रभावों ने सेना के एविएशन कॉर्प्स द्वारा किए गए आईएसआर संचालन और मिशन को पूरक बनाया है. चीता, ध्रुव और रुद्र सहित सैन्य हेलीकॉप्टरों के बेड़े को ये यूएवी सपोर्ट कर रहे हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या आईएसआर गतिविधि के लिए यूएवी जैसे उच्च तकनीक वाले प्लेटफार्मों की तैनाती से हेलीकॉप्टर जैसे मानवयुक्त प्लेटफार्मों की भूमिका कम हो रही है, अधिकारी ने मानवीय फैक्टर की अनिवार्यता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि मानवीय फैक्टर तो हमेशा के लिए प्रासंगिक रहेगा.

ये भी पढ़ें : चीन से जुड़ी शेल कंपनियों का मास्टरमाइंड भारत से भागने की कोशिश में गिरफ्तार

नई दिल्ली : चीन से सटी सीमा की निगरानी करने के लिए भारत ने जिस यूएवी (मानव रहित हवाई विमान) को तैनात किया है, वह 300 किमी की रेंज को कवर करता है. सेना के लिए यह 'रिमोटली पायलेटेड व्हीक्लस' किसी 'आंख' से कम नहीं है. बल्कि यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि भारत के लिए यह 'गेंम चेंजर' साबित हो रहा है. न सिर्फ सीमा पर सुरक्षा पुख्ता हुई है, बल्कि पास से इलाकों में उग्रवाद पर भी नजर रखने में काफी हद तक सफलता मिली है. UAV on LAC.

सीमा से सटे इलाकों में उग्रवादी किस तरीके से मूव करते हैं, या फिर वे किस तरीके की रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग कर रहे हैं, सब कुछ इसके जरिए ट्रैक किया जा सकता है.अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन, जिस तरह का रवैया अपना रहा है, इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है, उसके मद्देनजर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच तनाव और अधिक बढ़े. ऐसी स्थिति में तीन फैक्टर, ISR (खुफिया, निगरानी और टोही) जितने अधिक मजबूत होंगे, भारत की स्थिति उतनी अधिक मजबूत होगी. भारत इसे ही मजबूत कर रहा है.

यूएवी की तैनाती आईएसआर को सपोर्ट कर रहा है. फिर चाहे हमें यूएवी बाहर से आयात करना पड़ रहा हो, तो होने दीजिए. इस इलाके में 'हेरोन्स' यूएवी सबसे अधिक कारगर रहा है. उत्तर पूर्व इलाकों में उग्रवादियों पर नजर रखने में भी यह रणनीति काफी कारगर रही है. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम विद्रोही ठिकाने, उनके शिविरों के लेआउट, उनके आंदोलन सहित विद्रोहियों की संख्या, संचालन के दौरान लाइव फीड प्रदान करने आदि संबंधित जानकारी साझा कर रहे हैं और आतंकवाद विरोधी अभियानों में हम बखूबी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.

ये अत्याधुनिक यूएवी, जो बड़े पैमाने पर ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश की तलहटी से संचालित होते हैं, सीमा के पूरे क्षेत्र पर नज़र रख सकते हैं, साथ ही ये चीन के डीप इलाके पर भी नजर रख सकते हैं. हमारे मानव रहित हवाई प्लेटफॉर्म चीन के साथ लगती सीमा पर 24/7 उड़ान भरते रहते हैं. इनसे निकलने वाले रडार ट्रांसमिशन, जो विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, को डिटेक्ट कर पाना मुश्किल होता है.

सैन्य अधिकारी ने कहा, 'हम सीमाओं पर आवाजाही को आसानी से ट्रैक कर सकते हैं और किसी भी असामान्य गतिविधि का पता लगा सकते हैं. 24x7 बेसिस पर सूचनाएं हेडक्वार्टर्स को शेयर की जाती हैं, ताकि कोई भी एक्शन लेना हो, तो तुरंत कार्रवाई करने के लिए हमलोग तैयार रहें.' हालांकि, इसकी कितनी संख्या है और कितने प्रकार के यूएवी हैं, इसके बारे में कोई भी जानकारी उन्होंने साझा नहीं की.

यूएवी की तैनाती और इसके व्यापक प्रभावों ने सेना के एविएशन कॉर्प्स द्वारा किए गए आईएसआर संचालन और मिशन को पूरक बनाया है. चीता, ध्रुव और रुद्र सहित सैन्य हेलीकॉप्टरों के बेड़े को ये यूएवी सपोर्ट कर रहे हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या आईएसआर गतिविधि के लिए यूएवी जैसे उच्च तकनीक वाले प्लेटफार्मों की तैनाती से हेलीकॉप्टर जैसे मानवयुक्त प्लेटफार्मों की भूमिका कम हो रही है, अधिकारी ने मानवीय फैक्टर की अनिवार्यता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि मानवीय फैक्टर तो हमेशा के लिए प्रासंगिक रहेगा.

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