ETV Bharat / bharat

सैन्य अनुसंधान एवं विकास को ताकत देने के लिए भारत का 'सुपर 50 प्लान' - रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन

भारत को वैश्विक शक्ति बनाने के लिए 35 वर्ष से कम आयु के 50 प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों का एक समूह देश की पांच सबसे आधुनिक और उन्नत रक्षा प्रयोगशालाओं में अगली पीढ़ी के हथियार बनाने के लिए काम कर रहा है. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

सैन्य अनुसंधान एवं विकास
सैन्य अनुसंधान एवं विकास
author img

By

Published : Jan 9, 2021, 6:22 PM IST

नई दिल्ली : निकट भविष्य में भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में शामिल होने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए 35 वर्ष से कम है आयु के लगभग 50 वैज्ञानिकों का एक समूह भविष्यवादी हथियार प्रणालियों, प्लेटफार्मों और उपकरणों को विकसित करने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट में ओवरटाइम काम कर रहा है.

यह युवा 50 वैज्ञानिकों को पांच प्रयोगशालाओं में विभाजित किया गया है, जो प्रत्येक एक विशिष्ट विशेषज्ञता के साथ काम कर रहे हैं.

इस संबंध में डीआरडीओ के एक प्रवक्ता ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्हें (वैज्ञानिकों) एक लैब के निदेशक की सभी शक्तियां दी गई हैं, जो कि लगभग 25 वर्षों के अनुभव के बाद दी जाती हैं.

उन्होंने बताया कि डीआरडीओ की मौजूदा संरचना से उनका कोई सीधा हस्तक्षेप नहीं है, इसलिए वे कार्य और अपनी कार्यशैली को विकसित कर सकते हैं.

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के तहत एक साल पहले शुरू हुई, ये पांच प्रयोगशालाएं आर्टिफिशियस इंटेलिजेंस (AI), क्वांटम टेक्नोलॉजी, कॉग्निटिव टेक्नोलॉजी, असिम्मेट्रिक टेक्नोलॉजी और स्मार्ट मटीरियल के साथ बेंगलुरु, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और हैदराबाद में मौजूद हैं.

उन्होंने कहा कि वरिष्ठ, अनुभवी वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों की एक सर्वोच्च समिति सीधे वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन करती है.

डीआरडीओ के प्रवक्ता ने कहा कि इनमें से प्रत्येक प्रयोगशाला में काम करने वाले वैज्ञानिक उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों जैसे फेस रिकग्निशन सिस्टम और इंटरनेट ऑफ बैटल थिंग्स (IoBT), नए आकार की मेमोरी एलॉय, सॉफ्ट रोबोटिक्स के लिए स्मार्ट एक्ट्यूएटर्स, फ्लैपिंग एयर वाहन, विकास के लिए स्मार्ट मटीरियल-आधारित एक्ट्यूएटर्स, क्वांटम रैंडम नंबर, क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन, कॉग्निटिव सर्विलांस टेक्नोलॉजी और कई एडवांस टेक्नोलॉजी और टास्क पर काम कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि इन वैज्ञानिकों को प्रशासन और संबद्ध कर्मचारियों द्वारा दिन-प्रतिदिन के संचालन के लिए समर्थन दिया जा रहा है और अगर जरूरत पढ़ी, तो इन वैज्ञानिकों की संख्या में बढ़ोतरी की भी जा सकती है.

प्रवक्ता ने कहा कि युवा वैज्ञानिक 35 साल की उम्र पार करने के बाद भी प्रयोगशालाओं में काम करते रहेंगे, शुरू में उन सभी को उन्नत तकनीकों पर काम करने के लिए पांच साल की अवधि के लिए नियुक्त किया गया है. हालांकि, सिफारिश समिति के सुझाव के आधार पर उनका विस्तार किया जाएगा.

पढ़ें - प्रवासी भारतीय दिवस : नेटवर्किंग के लिए सबसे अच्छा मंच

उन्होंने कहा कि इन वैज्ञानिकों को DRDO वैज्ञानिक होने के सामान्य विशेषाधिकारों के अलावा, बहुत कम उम्र में नेतृत्व की भूमिकाएं सौंपी गईं हैं, युवा वैज्ञानिकों के पास अवसर, अनुभव, बुनियादी ढांचा और स्वायत्तता है, जो एक रचनात्मक वैज्ञानिक वातावरण के लिए आवश्यक है.

डीआरडीओ वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करने का विरोध नहीं कर रहा है. डीआरडीओ में देश के प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों का एक पूल मौजूद है.

हालांकि, 25 प्रतिशत रिक्तियां दूसरी प्रवृष्टि के लिए रखी गई हैं, जो डीआरडीओ की वेबसाइट पर प्रकाशित की जाती हैं, इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए उच्च प्रतिष्ठा वाले शैक्षणिक संस्थानों के पोर्टल हैं.अधिकारी ने कहा कि DRDO हर जगह मौजूद प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करेगा.

DRDO 52 से अधिक प्रयोगशालाओं और प्रतिष्ठानों वाला रक्षा मंत्रालय के रिसर्च और डेवलपमेंट का विंग है.

नई दिल्ली : निकट भविष्य में भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में शामिल होने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए 35 वर्ष से कम है आयु के लगभग 50 वैज्ञानिकों का एक समूह भविष्यवादी हथियार प्रणालियों, प्लेटफार्मों और उपकरणों को विकसित करने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट में ओवरटाइम काम कर रहा है.

यह युवा 50 वैज्ञानिकों को पांच प्रयोगशालाओं में विभाजित किया गया है, जो प्रत्येक एक विशिष्ट विशेषज्ञता के साथ काम कर रहे हैं.

इस संबंध में डीआरडीओ के एक प्रवक्ता ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्हें (वैज्ञानिकों) एक लैब के निदेशक की सभी शक्तियां दी गई हैं, जो कि लगभग 25 वर्षों के अनुभव के बाद दी जाती हैं.

उन्होंने बताया कि डीआरडीओ की मौजूदा संरचना से उनका कोई सीधा हस्तक्षेप नहीं है, इसलिए वे कार्य और अपनी कार्यशैली को विकसित कर सकते हैं.

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के तहत एक साल पहले शुरू हुई, ये पांच प्रयोगशालाएं आर्टिफिशियस इंटेलिजेंस (AI), क्वांटम टेक्नोलॉजी, कॉग्निटिव टेक्नोलॉजी, असिम्मेट्रिक टेक्नोलॉजी और स्मार्ट मटीरियल के साथ बेंगलुरु, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और हैदराबाद में मौजूद हैं.

उन्होंने कहा कि वरिष्ठ, अनुभवी वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों की एक सर्वोच्च समिति सीधे वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन करती है.

डीआरडीओ के प्रवक्ता ने कहा कि इनमें से प्रत्येक प्रयोगशाला में काम करने वाले वैज्ञानिक उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों जैसे फेस रिकग्निशन सिस्टम और इंटरनेट ऑफ बैटल थिंग्स (IoBT), नए आकार की मेमोरी एलॉय, सॉफ्ट रोबोटिक्स के लिए स्मार्ट एक्ट्यूएटर्स, फ्लैपिंग एयर वाहन, विकास के लिए स्मार्ट मटीरियल-आधारित एक्ट्यूएटर्स, क्वांटम रैंडम नंबर, क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन, कॉग्निटिव सर्विलांस टेक्नोलॉजी और कई एडवांस टेक्नोलॉजी और टास्क पर काम कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि इन वैज्ञानिकों को प्रशासन और संबद्ध कर्मचारियों द्वारा दिन-प्रतिदिन के संचालन के लिए समर्थन दिया जा रहा है और अगर जरूरत पढ़ी, तो इन वैज्ञानिकों की संख्या में बढ़ोतरी की भी जा सकती है.

प्रवक्ता ने कहा कि युवा वैज्ञानिक 35 साल की उम्र पार करने के बाद भी प्रयोगशालाओं में काम करते रहेंगे, शुरू में उन सभी को उन्नत तकनीकों पर काम करने के लिए पांच साल की अवधि के लिए नियुक्त किया गया है. हालांकि, सिफारिश समिति के सुझाव के आधार पर उनका विस्तार किया जाएगा.

पढ़ें - प्रवासी भारतीय दिवस : नेटवर्किंग के लिए सबसे अच्छा मंच

उन्होंने कहा कि इन वैज्ञानिकों को DRDO वैज्ञानिक होने के सामान्य विशेषाधिकारों के अलावा, बहुत कम उम्र में नेतृत्व की भूमिकाएं सौंपी गईं हैं, युवा वैज्ञानिकों के पास अवसर, अनुभव, बुनियादी ढांचा और स्वायत्तता है, जो एक रचनात्मक वैज्ञानिक वातावरण के लिए आवश्यक है.

डीआरडीओ वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करने का विरोध नहीं कर रहा है. डीआरडीओ में देश के प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों का एक पूल मौजूद है.

हालांकि, 25 प्रतिशत रिक्तियां दूसरी प्रवृष्टि के लिए रखी गई हैं, जो डीआरडीओ की वेबसाइट पर प्रकाशित की जाती हैं, इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए उच्च प्रतिष्ठा वाले शैक्षणिक संस्थानों के पोर्टल हैं.अधिकारी ने कहा कि DRDO हर जगह मौजूद प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करेगा.

DRDO 52 से अधिक प्रयोगशालाओं और प्रतिष्ठानों वाला रक्षा मंत्रालय के रिसर्च और डेवलपमेंट का विंग है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.