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टीबी खत्म करने में भारत की सफलता इसके वैश्विक उन्मूलन में काफी मदद करेगी : सौम्या स्वामीनाथन

टीबी को खत्म करने में भारत की सफलता से इसके वैश्विक उन्मूलन में काफी मदद मिलेगी.ये बात विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन (Dr Soumya Swaminathan) ने कही.

Dr Soumya Swaminathan
सौम्या स्वामीनाथन
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Published : Jun 15, 2023, 7:35 PM IST

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन (Dr Soumya Swaminathan) ने गुरुवार को कहा कि तपेदिक (टीबी) को खत्म करने में भारत की सफलता से इसके वैश्विक उन्मूलन में काफी मदद मिलेगी, जैसा कि पोलियो जैसी अन्य बीमारियों से पहले देखा गया था.

स्वामीनाथन ने नई दिल्ली में कहा कि 'दुनिया भारत की ओर देख रही है क्‍योंकि यह सामर्थ्य और स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल में नवीनता लाता है.' वह इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा आयोजित इनोवेटिव टीबी हेल्थ टेक्नोलॉजी वर्कशॉप में भाग ले रही थीं.

स्वामीनाथन ने कहा कि टीबी एक पुरानी समस्या है लेकिन हाल ही में इसे खत्म करने पर बहुत जोर दिया गया है, क्योंकि यह एक बड़ी समस्या है, खासकर गरीबों के लिए.

स्वामीनाथन ने कहा कि 'भारत एक नैदानिक ​​परीक्षण विकसित करने की संभावना भी देख रहा है जो कम समय में परिणाम देने के लिए पर्याप्त प्रभावी हो.' इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि टीबी को खत्म करने का लक्ष्य केवल नवाचारों की मदद से सफल हो सकता है. स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि बीमारी को प्रभावी ढंग से खत्म करने के लिए निदान, उपचार और सामुदायिक भागीदारी अनिवार्य है.

भूषण ने कहा कि 'टीबी उन्मूलन के लिए संपूर्ण सरकार और संपूर्ण समाज के दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है.' उन्होंने नवोन्मेषकों से अपील की कि वे न केवल नवोन्मेषी प्रायोगिक उत्पाद लाएं बल्कि उन्हें ऐसा नवोन्मेष (innovation) भी लाना चाहिए जिसे प्रोग्रामेटिक तरीके से रोल आउट किया जा सके.'

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि किसी भी स्वास्थ्य देखभाल समाधान के लिए तकनीकी समाधान अपरिहार्य हैं. डॉ. बहल ने कहा कि 'भारत में नवोन्मेषकों की कमी है, लेकिन अधिकांश नवाचार प्रक्रिया या अप्रूवल में देरी आदि जैसे विभिन्न कारणों से बड़े पैमाने पर नहीं पहुंच पाते हैं. इस तरह की कार्यशाला से न केवल टीबी बल्कि भविष्य के लिए भी तकनीकी आवश्यकताओं पर नवोन्मेषकों को अधिक जानकारी मिलनी चाहिए.'

आईसीएमआर द्वारा आयोजित की जा रही कार्यशाला का उद्देश्य टीबी के मूल्यांकन के लिए नवीन स्वास्थ्य तकनीकों को प्रोत्साहित करना है. स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने दोहराया कि केंद्र सरकार का लक्ष्य 2025 तक टीबी को खत्म करना है. उन्होंने कहा कि '2025 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रतिबद्धता को दर्शाता है.'

बघेल ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन जैसे केंद्र सरकार के कार्यक्रमों के आक्रामक कार्यान्वयन से जल, स्वच्छता और स्वच्छता संकेतकों में काफी सुधार हुआ है जो भारत से टीबी को कम करने में भी मदद कर रहा है.

ये भी पढ़ें- ICMR Report : मॉडरेट असर वाला टीका भारत में टीबी के खिलाफ लड़ाई में होगा कारगर

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन (Dr Soumya Swaminathan) ने गुरुवार को कहा कि तपेदिक (टीबी) को खत्म करने में भारत की सफलता से इसके वैश्विक उन्मूलन में काफी मदद मिलेगी, जैसा कि पोलियो जैसी अन्य बीमारियों से पहले देखा गया था.

स्वामीनाथन ने नई दिल्ली में कहा कि 'दुनिया भारत की ओर देख रही है क्‍योंकि यह सामर्थ्य और स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल में नवीनता लाता है.' वह इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा आयोजित इनोवेटिव टीबी हेल्थ टेक्नोलॉजी वर्कशॉप में भाग ले रही थीं.

स्वामीनाथन ने कहा कि टीबी एक पुरानी समस्या है लेकिन हाल ही में इसे खत्म करने पर बहुत जोर दिया गया है, क्योंकि यह एक बड़ी समस्या है, खासकर गरीबों के लिए.

स्वामीनाथन ने कहा कि 'भारत एक नैदानिक ​​परीक्षण विकसित करने की संभावना भी देख रहा है जो कम समय में परिणाम देने के लिए पर्याप्त प्रभावी हो.' इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि टीबी को खत्म करने का लक्ष्य केवल नवाचारों की मदद से सफल हो सकता है. स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि बीमारी को प्रभावी ढंग से खत्म करने के लिए निदान, उपचार और सामुदायिक भागीदारी अनिवार्य है.

भूषण ने कहा कि 'टीबी उन्मूलन के लिए संपूर्ण सरकार और संपूर्ण समाज के दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है.' उन्होंने नवोन्मेषकों से अपील की कि वे न केवल नवोन्मेषी प्रायोगिक उत्पाद लाएं बल्कि उन्हें ऐसा नवोन्मेष (innovation) भी लाना चाहिए जिसे प्रोग्रामेटिक तरीके से रोल आउट किया जा सके.'

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि किसी भी स्वास्थ्य देखभाल समाधान के लिए तकनीकी समाधान अपरिहार्य हैं. डॉ. बहल ने कहा कि 'भारत में नवोन्मेषकों की कमी है, लेकिन अधिकांश नवाचार प्रक्रिया या अप्रूवल में देरी आदि जैसे विभिन्न कारणों से बड़े पैमाने पर नहीं पहुंच पाते हैं. इस तरह की कार्यशाला से न केवल टीबी बल्कि भविष्य के लिए भी तकनीकी आवश्यकताओं पर नवोन्मेषकों को अधिक जानकारी मिलनी चाहिए.'

आईसीएमआर द्वारा आयोजित की जा रही कार्यशाला का उद्देश्य टीबी के मूल्यांकन के लिए नवीन स्वास्थ्य तकनीकों को प्रोत्साहित करना है. स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने दोहराया कि केंद्र सरकार का लक्ष्य 2025 तक टीबी को खत्म करना है. उन्होंने कहा कि '2025 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रतिबद्धता को दर्शाता है.'

बघेल ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन जैसे केंद्र सरकार के कार्यक्रमों के आक्रामक कार्यान्वयन से जल, स्वच्छता और स्वच्छता संकेतकों में काफी सुधार हुआ है जो भारत से टीबी को कम करने में भी मदद कर रहा है.

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