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भारत का सबसे अमीर गांव जहां हर परिवार में एक NRI

गुजरात के आणंद जिले में एक ऐसा गांव है, जिसे भारत के सबसे अमीर गांव के लिए जाना जाता है. इस गांव के हर परिवार में एक एनआरआई है. गांव में 11 बैंक शाखाएं भी हैं, जिसमें जमाकर्ताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. गांव की सभी सड़के पक्की हैं. धर्मज गांव आर्थिक रूप से समृद्ध और संपन्न है.

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Published : Apr 10, 2023, 8:16 AM IST

Dharmaj village of Gujarat
भारत का सबसे अमीर गांव

आणंद: यूं तो विदेश में रहना सभी का सपना होता है, लेकिन गुजरात का धर्मज गांव भारत का सबसे अमीर गांव है, इस गांव में हर घर से कोई न कोई विदेश में रहता है. गांव में 11 बैंकों की शाखाएं भी हैं. साल 2007 में इस गांव ने सभी ग्रामीणों को गृहनगर लाने के लिए एक सफल प्रयोग शुरू किया. धर्मज गांव की सभी सड़कें पक्की है. गांव होने के बावजूद कहीं भी कूड़े के ढेर नहीं हैं. यहां आपको मिट्टी और पानी के गड्डे नहीं मिलेंगे. सड़क पर कचरा गंदगी या धूल भी नहीं है. स्वच्छता का ऐसा नजारा जिसकी हम शहर में कल्पना भी नहीं कर सकते.

Dharmaj village of Gujarat
धर्मज गांव के हर परिवार में एक एनआरआई

धर्मज गांव आर्थिक रूप से समृद्ध और संपन्न: गांव में 50 बिघा जमीन में घास कि खेती की जाती है, जिससे गांव में रहने वाले चरवाहों को घर में साल भर हरा चारा मिल सके. साथ ही गौचर में लोगों के मनोरंजन के लिए बनाए गए सूरजबा पार्क ने भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है, जहां हर युवा और वृद्ध मामूली दर पर स्विमिंग पूल, बोटिंग और खूबसूरत बगीचों का आनंद ले सकते हैं.

Dharmaj village of Gujarat
गांव में रोहडेसिया हाउस, फिजी रेजिडेंस, मेननगाई नकुरु हॉस्टल जैसी इमारतें

गांंव में पक्की सड़कें मौजूद: इस गांव में पाटीदार, वणिक, ब्राह्मण, सोनी, सुथार, नाई, ठाकोर, भोई, प्रजापति, दलित और अन्य समुदायों के लोग रहते हैं. यहां की सबसे अनोखी बात यह है कि विदेशों में रहने वाले लोग अपने वतन से दूर होते हुए भी गांव के विकास में मदद करते हैं. इसी वजह से यहां इस छोटे से गांव में विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं. धर्मज गांव में प्रवेश करते ही सभी सड़कें पक्की और सड़क के दोनों ओर ब्लॉक लगा देखा जा सकता है. गांव होने के बावजूद कहीं भी कूड़े के ढेर नहीं हैं. यहां आपको मिट्टी और पानी के गड्डे नहीं मिलेंगे. सड़क पर कचरा गंदगी या धूल भी नहीं है. स्वच्छता का ऐसा नजारा जिसकी हम शहर में कल्पना भी नहीं कर सकते.

Dharmaj village of Gujarat
गांव होने के बावजूद कहीं भी कूड़े के ढेर नहीं

ये भी पढ़ें- Ideal Village Afwa: सूरत के आफवा गांव में 80 फीसदी हैं NRI, 1975 से लागू अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम, जानिए खासियत

गांव में अंडर ग्राउंड ड्रेनेज की सुविधा: शहर की तरह अंडर ग्राउंड ड्रेनेज की सुविधा धर्मज गांव में साल 1972 से उपलब्ध है. पंचायत द्वारा गांव में नियमित रूप से सफाई का कार्य किया जाता है. ग्रामीण भी स्वच्छता बनाए रखने की अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए अपने घर को साफ रखते हैं. यहां के एनआरआई भी पंचायत के साथ खड़े रहते हैं और समय-समय पर गांव की मदद करते हैं. महज 17 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले और 11,333 की आबादी वाले इस गांव में राष्ट्रीयकृत, निजी और सहकारी सहित 11 बैंक शाखाएं हैं.

Dharmaj village of Gujarat
धर्मज गांव आर्थिक रूप से समृद्ध और संपन्न

इस गांव में कर्जदारों से ज्यादा जमाकर्ता: बेशक इसे निवेशकों का गांव कहा जाता है क्योंकि दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जहां धर्मज के मूल निवासी नहीं रहते हैं. विदेशों में बसे परिवारों द्वारा किए गए जमा के कारण धर्मज बैंकिंग क्षेत्र में एक व्यापार केंद्र बनता जा रहा है. इसके अलावा, पेटलाद और बोरसद तालुका की भौगोलिक सीमा पर स्थित गाँव को एक तालुका मुख्यालय की आवश्यकता है ताकि आसपास के गांवों के सभी लेन-देन भी इसके साथ हों.

धर्मज में बैंकिंग क्षेत्र का विकास भी बहुत पुराना है. साल 1959 में देना बैंक की पहली शाखा गांव में 18 दिसंबर को खोली गई थी. ग्राम सहकारी बैंक की शुरुआत 16 जनवरी 1969 को हुई थी. इसके संस्थापक अध्यक्ष साहब धर्मज के पुत्र और देश के वित्त मंत्री श्री एचएम पटेल थे. इसके साथ बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखाएं भी शुरू की गईं. लोगो नें 1895 में धर्मज से विदेश जाना शुरू किया. इसलिए आज गांव के लगभग हर घर में कोई न कोई विदेश में रहता है.

Dharmaj village of Gujarat
धर्मज गांव में अंडर ग्राउंड ड्रेनेज की सुविधा साल 1972 से उपलब्ध

ये भी पढ़ें- Ram Navami In Gujarat: जर्मन पन्नों पर सोने की स्याही से लिखी रामायण, कुल 19 किलो सोने का इस्तेमाल, भक्तों ने किया दर्शन

आणंद जिले का धर्मज गांव भारत का सबसे अमीर गांव: गांधीजी से लेकर आज के सभी राजनेता पंचायत राज की बात तो करते हैं लेकिन आत्मनिर्भर पंचायत की बात नहीं करते, जब तक पंचायत के पास ग्राम विकास के संसाधन नहीं होंगे तब तक पंचायती राज का सही अर्थ पूरा नहीं होता. आज देश भर से लोग इस धर्मज ग्राम पंचायत में आत्मनिर्भर पंचायत मॉडल का अध्ययन करने आते हैं. आर्थिक विकास की दौड़ में देश के गांव आज भी पीछे छूट गए हैं. रोजगार के अभाव में बड़े शहरों की ओर लोगों का रुझान बढ़ रहा है, फिर 11,333 की आबादी वाला आणंद जिले का धर्मज गांव भारत का सबसे अमीर गांव बन गया.

इस गांव में 2770 परिवार रहते हैं. गांव में सड़कों पर मर्सिडीज, ऑडी और बीएमडब्ल्यू जैसी महंगी कारें दौड़ती नजर आती हैं. इस गांव में शहर जैसी सुविधाएं हैं. होटल, कैफे, बच्चों के लिए बगीचा, स्विमिंग पूल, आरसीसी रोड और धर्मज में पक्की सड़कें, साफ-सुथरी इमारतें, स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य संबंधी सभी सुविधाओं से लैस मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल हैं. हर साल 12 जनवरी को धर्मज दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसमें विदेश में बसे एनआर भी बड़ी संख्या में परिवार के साथ आते हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस गांव के 1700 परिवार ब्रिटेन में, 800 परिवार अमेरिका में, 300 परिवार कनाडा में, 150 परिवार ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड देशों में बसे हुए हैं. अफ्रीकी देशों और दुनिया के अन्य देशों में रहने वाले परिवारों की संख्या अलग-अलग है.

धर्मज गाँव के मूल निवासी और राजू धर्मज के नाम से लोकप्रिय राजेशभाई पटेल ने गांव के बारे में एक किताब लिखी है 'धर्मज - एक उदाहरणीय गांव'. उन्होंने 'चलो धर्मज' शीर्षक से 500 तस्वीरों के साथ गांव के बारे में बुक भी तैयार की है. एक समय जब विदेश जाना मुश्किल समझा जाता था, गांव के जोताराम काशीराम पटेल मांझा और चतुरभाई पटेल मबाले, युगांडा गये थे. मानचेस्टर गए प्रभुदास पटेल गांव में मांचेस्टरवाला के नाम से जाने जाते थे. गोविंदभाई पटेल ने एडन में तंबाकू का कारोबार शुरू किया. गांव में अभी भी रोहडेसिया हाउस, फिजी रेजिडेंस, मेननगाई नकुरु हॉस्टल जैसी इमारतें हैं. गांव के कब्रिस्तान में उस समय की मुद्रा, उस समय अफ्रीका से आए दान की राशि, शिलिंग में लिखी हुई एक दान पट्टिका है.

आणंद: यूं तो विदेश में रहना सभी का सपना होता है, लेकिन गुजरात का धर्मज गांव भारत का सबसे अमीर गांव है, इस गांव में हर घर से कोई न कोई विदेश में रहता है. गांव में 11 बैंकों की शाखाएं भी हैं. साल 2007 में इस गांव ने सभी ग्रामीणों को गृहनगर लाने के लिए एक सफल प्रयोग शुरू किया. धर्मज गांव की सभी सड़कें पक्की है. गांव होने के बावजूद कहीं भी कूड़े के ढेर नहीं हैं. यहां आपको मिट्टी और पानी के गड्डे नहीं मिलेंगे. सड़क पर कचरा गंदगी या धूल भी नहीं है. स्वच्छता का ऐसा नजारा जिसकी हम शहर में कल्पना भी नहीं कर सकते.

Dharmaj village of Gujarat
धर्मज गांव के हर परिवार में एक एनआरआई

धर्मज गांव आर्थिक रूप से समृद्ध और संपन्न: गांव में 50 बिघा जमीन में घास कि खेती की जाती है, जिससे गांव में रहने वाले चरवाहों को घर में साल भर हरा चारा मिल सके. साथ ही गौचर में लोगों के मनोरंजन के लिए बनाए गए सूरजबा पार्क ने भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है, जहां हर युवा और वृद्ध मामूली दर पर स्विमिंग पूल, बोटिंग और खूबसूरत बगीचों का आनंद ले सकते हैं.

Dharmaj village of Gujarat
गांव में रोहडेसिया हाउस, फिजी रेजिडेंस, मेननगाई नकुरु हॉस्टल जैसी इमारतें

गांंव में पक्की सड़कें मौजूद: इस गांव में पाटीदार, वणिक, ब्राह्मण, सोनी, सुथार, नाई, ठाकोर, भोई, प्रजापति, दलित और अन्य समुदायों के लोग रहते हैं. यहां की सबसे अनोखी बात यह है कि विदेशों में रहने वाले लोग अपने वतन से दूर होते हुए भी गांव के विकास में मदद करते हैं. इसी वजह से यहां इस छोटे से गांव में विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं. धर्मज गांव में प्रवेश करते ही सभी सड़कें पक्की और सड़क के दोनों ओर ब्लॉक लगा देखा जा सकता है. गांव होने के बावजूद कहीं भी कूड़े के ढेर नहीं हैं. यहां आपको मिट्टी और पानी के गड्डे नहीं मिलेंगे. सड़क पर कचरा गंदगी या धूल भी नहीं है. स्वच्छता का ऐसा नजारा जिसकी हम शहर में कल्पना भी नहीं कर सकते.

Dharmaj village of Gujarat
गांव होने के बावजूद कहीं भी कूड़े के ढेर नहीं

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गांव में अंडर ग्राउंड ड्रेनेज की सुविधा: शहर की तरह अंडर ग्राउंड ड्रेनेज की सुविधा धर्मज गांव में साल 1972 से उपलब्ध है. पंचायत द्वारा गांव में नियमित रूप से सफाई का कार्य किया जाता है. ग्रामीण भी स्वच्छता बनाए रखने की अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए अपने घर को साफ रखते हैं. यहां के एनआरआई भी पंचायत के साथ खड़े रहते हैं और समय-समय पर गांव की मदद करते हैं. महज 17 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले और 11,333 की आबादी वाले इस गांव में राष्ट्रीयकृत, निजी और सहकारी सहित 11 बैंक शाखाएं हैं.

Dharmaj village of Gujarat
धर्मज गांव आर्थिक रूप से समृद्ध और संपन्न

इस गांव में कर्जदारों से ज्यादा जमाकर्ता: बेशक इसे निवेशकों का गांव कहा जाता है क्योंकि दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जहां धर्मज के मूल निवासी नहीं रहते हैं. विदेशों में बसे परिवारों द्वारा किए गए जमा के कारण धर्मज बैंकिंग क्षेत्र में एक व्यापार केंद्र बनता जा रहा है. इसके अलावा, पेटलाद और बोरसद तालुका की भौगोलिक सीमा पर स्थित गाँव को एक तालुका मुख्यालय की आवश्यकता है ताकि आसपास के गांवों के सभी लेन-देन भी इसके साथ हों.

धर्मज में बैंकिंग क्षेत्र का विकास भी बहुत पुराना है. साल 1959 में देना बैंक की पहली शाखा गांव में 18 दिसंबर को खोली गई थी. ग्राम सहकारी बैंक की शुरुआत 16 जनवरी 1969 को हुई थी. इसके संस्थापक अध्यक्ष साहब धर्मज के पुत्र और देश के वित्त मंत्री श्री एचएम पटेल थे. इसके साथ बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखाएं भी शुरू की गईं. लोगो नें 1895 में धर्मज से विदेश जाना शुरू किया. इसलिए आज गांव के लगभग हर घर में कोई न कोई विदेश में रहता है.

Dharmaj village of Gujarat
धर्मज गांव में अंडर ग्राउंड ड्रेनेज की सुविधा साल 1972 से उपलब्ध

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आणंद जिले का धर्मज गांव भारत का सबसे अमीर गांव: गांधीजी से लेकर आज के सभी राजनेता पंचायत राज की बात तो करते हैं लेकिन आत्मनिर्भर पंचायत की बात नहीं करते, जब तक पंचायत के पास ग्राम विकास के संसाधन नहीं होंगे तब तक पंचायती राज का सही अर्थ पूरा नहीं होता. आज देश भर से लोग इस धर्मज ग्राम पंचायत में आत्मनिर्भर पंचायत मॉडल का अध्ययन करने आते हैं. आर्थिक विकास की दौड़ में देश के गांव आज भी पीछे छूट गए हैं. रोजगार के अभाव में बड़े शहरों की ओर लोगों का रुझान बढ़ रहा है, फिर 11,333 की आबादी वाला आणंद जिले का धर्मज गांव भारत का सबसे अमीर गांव बन गया.

इस गांव में 2770 परिवार रहते हैं. गांव में सड़कों पर मर्सिडीज, ऑडी और बीएमडब्ल्यू जैसी महंगी कारें दौड़ती नजर आती हैं. इस गांव में शहर जैसी सुविधाएं हैं. होटल, कैफे, बच्चों के लिए बगीचा, स्विमिंग पूल, आरसीसी रोड और धर्मज में पक्की सड़कें, साफ-सुथरी इमारतें, स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य संबंधी सभी सुविधाओं से लैस मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल हैं. हर साल 12 जनवरी को धर्मज दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसमें विदेश में बसे एनआर भी बड़ी संख्या में परिवार के साथ आते हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस गांव के 1700 परिवार ब्रिटेन में, 800 परिवार अमेरिका में, 300 परिवार कनाडा में, 150 परिवार ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड देशों में बसे हुए हैं. अफ्रीकी देशों और दुनिया के अन्य देशों में रहने वाले परिवारों की संख्या अलग-अलग है.

धर्मज गाँव के मूल निवासी और राजू धर्मज के नाम से लोकप्रिय राजेशभाई पटेल ने गांव के बारे में एक किताब लिखी है 'धर्मज - एक उदाहरणीय गांव'. उन्होंने 'चलो धर्मज' शीर्षक से 500 तस्वीरों के साथ गांव के बारे में बुक भी तैयार की है. एक समय जब विदेश जाना मुश्किल समझा जाता था, गांव के जोताराम काशीराम पटेल मांझा और चतुरभाई पटेल मबाले, युगांडा गये थे. मानचेस्टर गए प्रभुदास पटेल गांव में मांचेस्टरवाला के नाम से जाने जाते थे. गोविंदभाई पटेल ने एडन में तंबाकू का कारोबार शुरू किया. गांव में अभी भी रोहडेसिया हाउस, फिजी रेजिडेंस, मेननगाई नकुरु हॉस्टल जैसी इमारतें हैं. गांव के कब्रिस्तान में उस समय की मुद्रा, उस समय अफ्रीका से आए दान की राशि, शिलिंग में लिखी हुई एक दान पट्टिका है.

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