नई दिल्ली : एप्पल ने आईफोन 15 प्रो और प्रो मैक्स के लिए इसरो द्वारा निर्मित नेविगेशन सिस्टम 'नाविक' के सपोर्ट दिया है. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार अब इसे एक मानक अभ्यास बनाने की योजना बना रही है ताकि सभी स्मार्टफोन में यह सुविधा हो. एप्पल ने मंगलवार को लाॅन्च अपने हाई-एंड आईफोन 15 प्रो और आईफोन 15 प्रो मैक्स मॉडल के लिए ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) के विकल्प के रूप में नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन (नाविक) को अपनाया है.
यह पहली बार है जब आईफोन निर्माता ने अपने मॉडलों में नाविक के लिए सपोर्ट दिया है. मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, “चंद्रयान -3 और आदित्य-एल 1 के सफल मिशन के बाद हम इसरो की नाविक तकनीक के साथ एक और बड़े मील के पत्थर पर पहुंच गए हैं। पहली बार आईफोन ने नाविक तकनीक के लिए सपोर्ट दिया है. यह निश्चित रूप से कोई छोटी बात नहीं है.” भारत का लक्ष्य विश्व स्तर पर नाविक कवरेज का विस्तार करना है और वह चाहता है कि तकनीकी कंपनियां इससे पहले अपने उपकरणों को नए मानक के अनुकूल बना लें.
चंद्रशेखर ने कहा, “हम इसे एक मानक अभ्यास बनाने की योजना बना रहे हैं कि जीपीएस तकनीक का उपयोग करने वाले सभी उपकरणों में नाविक-संचालित चिपसेट या नाविक चिप्स होने चाहिए. जब आप इस बार आईटी पीएलआई योजना को देखते हैं, तो इसमें उन सिस्टम डिजाइनरों और निर्माताओं के लिए प्रोत्साहन शामिल है जो अपने उत्पादों में भारतीय-डिज़ाइन किए गए चिप्स को शामिल करते हैं.”
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, नाविक कवरेज क्षेत्र में भारत और भारतीय सीमा से 1,500 किमी दूर तक का क्षेत्र शामिल है. नाविक सिग्नल अन्य वैश्विक नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम सिग्नल जैसे जीपीएस, ग्लोनास, गैलीलियो और बेइदौ के साथ इंटरऑपरेबल हैं. मंत्री ने कहा, “एक और मील का पत्थर यह है कि जिस दिन न्यूयॉर्क, टोक्यो या लंदन में एक ग्राहक को बिल्कुल नया आईफोन15 मिलेगा, उसी दिन एक भारतीय ग्राहक को भी एक आईफोन 15 मिलेगा. अंतर केवल इतना है कि लंदन में मिलने वाला आईफोन चीन में बना है जबकि भारत में मिलने वाला आईफोन भारत में ही बना है.''
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