इंदौर : दुनियाभर में लगातार सिमट रहे जंगल और प्राकृतिक वातावरण के कारण पक्षियों की कई दुर्लभ प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं. इस दौर में भी पक्षियों को बचाए रखने के लिए इंदौर आगे आया है, जहां देश और दुनिया के दुर्लभ पक्षियों के लिए प्राकृतिक आश्रय स्थल मुहैया कराई जा रही है. साथ ही कई एकड़ में फैले शहर के पित्र पर्वत पर पक्षियों के लिए टाउनशिप बनाने की कोशिश की जा रही है. पहले चरण में यहां विकसित किए गए जंगल में पक्षियों के लिए 1000 प्राकृतिक घरौंदे तैयार किए जा रहे हैं, जहां उन्मुक्त होकर पक्षी अपने घोंसले बना सकेंगे.
- पक्षियों की मदद के लिए आगे आ रहे पक्षी प्रेमी
देश के अन्य तमाम महानगरों की तरह ही 3,898 वर्ग किलोमीटर में फैले इंदौर के आसपास जितने भी वन क्षेत्र और पक्षियों के प्राकृतिक आवास स्थल थे, वह कृषि भूमि के विस्तार और तेजी से बढ़ते शहरीकरण से उजड़ चुके हैं. कोरोना काल के दौरान यहां विकसित किए गए बगीचों में भी पक्षियों के आवास स्थल छिन चुके हैं. इन हालातों में जितने पक्षी अब बचे हैं, उन्हें अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए संकट से जूझना पड़ रहा है. लिहाजा पक्षी प्रेमी पक्षियों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं.
- पेड़ों पर बनाए जा रहे पक्षियों के घरौंदे
हाल ही में पुलिस मुख्यालय परिसर में तोतों के लिए पेड़ों पर घरौंदे बनाए गए. इसके अलावा पेड़ों पर ही पानी की व्यवस्था भी की गई है. अब इसी काम को आगे बढ़ाने का काम पित्र पर्वत पर किया जा रहा है. यहां मौजूद पेड़ों पर पक्षियों के लिए 1000 घरौंदे तैयार किए जाएंगे.
दरअसल, पित्र पर्वत एक ऐसी पहाड़ी है, जहां पर शहर भर के लोग बीते कई सालों से अपने पूर्वजों और पितरों की याद में पौधे लगा चुके हैं. यही पौधे कई सालों बाद पेड़ के रूप में तब्दील हो गए, जो अब पक्षियों के आश्रय स्थल बन चुके हैं.
- प्राणी संग्रहालय में भी तैयार हुआ पक्षी विहार
प्रस्तावित बर्ड टाउनशिप के पहले ही इंदौर नगर निगम ने प्राणी संग्रहालय में पक्षी विहार तैयार किया है. इसमें करीब 30 से ज्यादा दुर्लभ पक्षियों को प्राकृतिक माहौल प्रदान किया जा रहा है. पूरे परिसर में परिंदों के बैठने के लिए खूबसूरत स्थानों का प्राकृतिक निर्माण किया गया है. यहां पर ब्राजील से मकाउ तोता, कैलिफोर्निया से क्वेल पक्षी सहित कनूर, बोकादू, पजरीगर, कोकाटील ट्विल्स से विभिन्न आकार के रंग-बिरंगे तोते लाए गए हैं.
दरअसल, शहर में यह प्रयोग विदेशों में बनाए जाने वाले पक्षी विहार के पैटर्न पर किया गया है, जहां कई एकड़ में ओपन पिंजरे बनाकर पक्षियों के लिए तमाम तरह की आवासीय सुविधा और आवश्यक संसाधन मुहैया कराए जाते हैं.
- पशु चिकित्सा और वन विभाग के प्रयास भी जारी
रालामंडल वन क्षेत्र में पक्षियों की देखरेख की व्यवस्था की गई है. यहां इलाज के साथ-साथ उन्हें विचरण करने की पूरी आजादी है. घायल और अन्य जरूरतमंद पक्षियों के लिए पशु चिकित्सा विभाग द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं. इसके अलावा अन्य स्थानों के पक्षियों को भी बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
- सिरपुर तालाब भी है पक्षियों का आश्रय स्थल
सिरपुर तालाब के बैक वॉटर में सर्दियों के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का डेरा रहता है. यहां पर साइबेरिया और मंगोलिया के ग्रेलेक ग्रूस, वारहेड ग्रूस, इंडियन पिट्टा, कॉमन कूट, स्पॉट बिल, नार्दन शावलर, पिंटेल गार्गेनी, क्रिस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड के पक्षी आते हैं, जो फरवरी माह के अंत तक यहां प्रवास करते हैं. इसके अलावा कई स्थानीय पक्षी यहां विचरण करते हैं. इन पक्षियों के लिए भी बर्ड सेंचुरी विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं.