नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का बुधवार काे सातवां दिन (seventh day of Russia and Ukraine war) है. रूस लगातार यूक्रेन के अलग-अलग शहरों को निशाना बना रहा (Russia targeting different cities of Ukraine) है. हमलों की चपेट में यूक्रेन की कई प्रशासनिक इमारतें भी आ चुकी हैं. आस-पास के इलाके भी क्षतिग्रस्त हुए हैं. यूक्रेन में लोग डरे हुए हैं. खासकर वे लोग जो प्रवासी हैं. इनमें एक बड़ी संख्या भारतीयाें की भी है. आकड़ों के मुताबिक, यूक्रेन में हजारों की संख्या में भारतीय फंसे हुए हैं, जिनमें ज्यादातर मेडिकल के छात्र हैं.
इसी बीच, यूक्रेन में फंसे कई भारतीय छात्र लगातार ईटीवी भारत से संपर्क में हैं. वहां आ रही परेशानी के बारे में बता रहे हैं. ईटीवी भारत इन छात्रों द्वारा बनाये गये वीडियाे काे यूक्रेन के दयनीय मंजर (ukraine war video) को आपसे साझा कर रहा है. यूक्रेन के उजगोरोड में मेडिकल की पढ़ाई के लिए गए छात्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि वहां के वर्तमान हालात बेहद खराब हैं. खाने-पीने से लेकर अन्य सारी मूलभूत सुविधाओं की कमी हो रही है. राशन की दुकानों पर सामान भी खत्म हो चुका है. एटीएम में कैश उपलब्ध नहीं है.
स्थिति बदतर होती जा रही है. चीजें महंगी हो रही हैं, जिसके चलते लोगों की चिंताए बढ़ गई हैं. भारतीय छात्र जल्द से जल्द अपने घर लौटना चाहते हैं. लगातार भारतीय दूतावास से संपर्क करने का प्रयास भी कर रहा है. छात्रों का कहना है कि यूक्रेन के संवेदनशील इलाकों में भारतीय दूतावास छात्रों की किसी प्रकार की कोई मदद नहीं कर रही है. छात्रों का कहना है कि कॉलेज और विश्वविद्यालय के स्तर पर भी कोई मदद नहीं की जा रही है.
इसीलिए चले आए हैं यूक्रेन...
दरअसल, यूक्रेन, रोमानिया और आस-पास के मुल्क मेडिकल की पढ़ाई के लिए काफी किफायती हैं. भारत में मेडिकल की पढ़ाई और डॉक्टर बनने की पूरी प्रक्रिया बहुत जटिल और खर्चीली है. साथ ही आरक्षण और मेडिकल कॉलेजों में सीट कम होने की वजह से भारत में इस क्षेत्र में अधिक प्रतिस्पर्धा है. ईटीवी भारत को इन छात्रों ने बताया कि यहां भारत से छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए जिन लोगों के माध्य से आते हैं, वो और ज्यादा छात्रों को लाने की एवज में कई सुविधाएं भी देते हैं. इसीलिए, यूक्रेन में एक ही शहर से कई छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने चले जाते हैं.
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ईटीवी भारत को इन छात्रों ने बताया कि भारत में मेडिकल की पढ़ाई में कम से कम एक करोड़ रुपये तक का खर्च आता है. वहीं, इन देशों में 10-20 लाख में ही पढ़ाई पूरी हो जाती है. हालांकि, बाहरी देशों से मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए आने वालों को भारत में प्रेक्टिस को भी विशेष परीक्षा से गुजरना होता है. लेकिन वो यूक्रेन से डॉक्टर की डिग्री मिलने के बाद की प्रक्रिया है. ज्यादातर छात्र यह परीक्षा देकर भारत में सेवाएं देने की कोशिश करते हैं, लेकिन अगर परीक्षा पास नहीं कर पाए तो डॉक्टर बनकर विदेश में बस जाने का विकल्प भी खुला रहता है. इसलिए, भारत ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप से छात्र डॉक्टर बनने का सपना लेकर यूक्रेन आते हैं. लेकिन इस दौर में युद्ध कब थमेगा, नियमित पढ़ाई कैसे हो पाएगी, वर्तमान बारूद के गोलों के बीच कैद है और भविष्य को लेकर उनके सपनों के आसमान पर अनिश्चितता की गर्द छाई हुई है. पहले सपना डॉक्टर बनना था, अब सपना है कि किसी तरह वतन वापसी हो सके और परिवार के लोगों से मिल सकें.