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'कवच' लगाएगा रेल हादसों पर लगाम, 150 ट्रेनों को किया गया लैस

रेल हादसों से बचाव के लिए भारतीय रेलवे ने 150 ट्रेनों को 'कवच' सिस्टम से लैस कर दिया है. गौरतलब है कि 400 और ट्रेनों में यह कवच जल्द ही लगाया जाएगा.

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'कवच' लगाएगा रेल हादसों पर लगाम, 150 ट्रेनों को किया गया लैस
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Published : Nov 20, 2022, 5:48 PM IST

लखनऊ: रेलवे ने रेल हादसों को रोकने के लिए 150 ट्रेनों को 'कवच' सिस्टम से लैस कर दिया है. 400 और ट्रेनों में यह कवच जल्द ही लगाया जाएगा. दिसंबर 2024 तक दिल्ली से मुंबई और दिल्ली से हावड़ा मेन लाइन की ट्रेनें भी कवच से लैस हो जाएंगी. प्रक्रिया पूरी करने के लिए टेंडर किया जा रहा है. आरडीएसओ स्टेडियम में चल रहे इन्नो रेल प्रदर्शनी के आखिरी दिन शनिवार को अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) के स्टॉल पर लगे कवच आटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम को देखने वालों की भीड़ उमड़ी. प्रदर्शनी में स्कूली बच्चों, एनसीसी कैडेट भी पहुंचे. उन्होंने भारतीय रेल के बदलते स्वरूप को करीब से महसूस किया.

आरडीएसओ के असिस्टेंट डिजाइन इंजीनियर, सिग्नल आरएन सिंह ने कवच प्रोटेक्शन सिस्टम के बारे में बताया कि ट्रेन कोलिजन एवॉयडेंस सिस्टम को ही अपग्रेड कर कवच बनाया गया है. आरडीएसओ लंबे समय से इस पर अनुसंधान कर रहा था. यह सिस्टम न केवल हादसों को रोकेगा, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा को भी करेगा. कवच सिस्टम को अभी साउथ सेंट्रल रेलवे के सिकंदराबाद सेक्शन व नांदेड़ सेक्शन पर लगाकर इस्तेमाल किया जा रहा है. 1600 किलोमीटर रेलखण्ड पर कवच को एक्टिवेट किया गया है. अभी 150 लोको (इंजनों) में कवच लगाया गया है. जल्द ही 400 और लोको में इसे लगाया जाएगा. देश के दोनों प्रमुख रेलखंड दिल्ली से हावड़ा और दिल्ली से मुंबई, जहां ट्रेनें 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी. दिसंबर 2024 तक कवच से लैस करने का लक्ष्य है.

3 उपकरणों से तैयार होता है 'कवच'
इंजीनियर आरएन सिंह बताते हैं कि कवच में कई प्रमुख उपकरण हैं, जिनके समन्वय से ट्रेनों को टकराने से रोकने में काफी सहायता मिलती है. स्टेशन पर जो उपकरण लगाया जाता है. उसे स्टेशनरी कवच कहते हैं. ऐसे ही लोको में लगने वाला उपकरण लोको कवच कहलाता है. ड्राइवर मशीन इंटरफेस भी लगता है और स्टेशन मास्टर रूम में जो उपकरण लगता है, उसे स्टेशन मास्टर ऑपरेशन कम इंडीकेशन पैनल कहते हैं. इस तरह से कवच के अलग अलग रूप होते हैं.

इस तरह करता है काम
स्टेशन पर लगा उपकरण डायवर्जन, कर्व और जरूरी जानकारी रेडियो फ्रीक्वेंसी के माध्यम से लोको में लगे उपकरण को भेजता है. लोको उपकरण से गति, डायरेक्शन स्टेशन पर हर 2 मिनट पर भेजी जाती है. जैसे ही ओवरस्पीड होती है, स्टेशन कवच लोको के उपकरण को मैसेज भेज ट्रेन को तत्काल रोक देता है. सिग्नल पालन न होने पर भी मशीन तत्काल ट्रेन को रोक देती है. स्टेशन पर लगा उपकरण सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. यह हर इंजन को नियंत्रित करता है.

इसे भी पढे़ं- फिर पटरी पर नजर आ सकती है वरुणा एक्सप्रेस, हजारों यात्रियों को मिल सकती है राहत

लखनऊ: रेलवे ने रेल हादसों को रोकने के लिए 150 ट्रेनों को 'कवच' सिस्टम से लैस कर दिया है. 400 और ट्रेनों में यह कवच जल्द ही लगाया जाएगा. दिसंबर 2024 तक दिल्ली से मुंबई और दिल्ली से हावड़ा मेन लाइन की ट्रेनें भी कवच से लैस हो जाएंगी. प्रक्रिया पूरी करने के लिए टेंडर किया जा रहा है. आरडीएसओ स्टेडियम में चल रहे इन्नो रेल प्रदर्शनी के आखिरी दिन शनिवार को अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) के स्टॉल पर लगे कवच आटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम को देखने वालों की भीड़ उमड़ी. प्रदर्शनी में स्कूली बच्चों, एनसीसी कैडेट भी पहुंचे. उन्होंने भारतीय रेल के बदलते स्वरूप को करीब से महसूस किया.

आरडीएसओ के असिस्टेंट डिजाइन इंजीनियर, सिग्नल आरएन सिंह ने कवच प्रोटेक्शन सिस्टम के बारे में बताया कि ट्रेन कोलिजन एवॉयडेंस सिस्टम को ही अपग्रेड कर कवच बनाया गया है. आरडीएसओ लंबे समय से इस पर अनुसंधान कर रहा था. यह सिस्टम न केवल हादसों को रोकेगा, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा को भी करेगा. कवच सिस्टम को अभी साउथ सेंट्रल रेलवे के सिकंदराबाद सेक्शन व नांदेड़ सेक्शन पर लगाकर इस्तेमाल किया जा रहा है. 1600 किलोमीटर रेलखण्ड पर कवच को एक्टिवेट किया गया है. अभी 150 लोको (इंजनों) में कवच लगाया गया है. जल्द ही 400 और लोको में इसे लगाया जाएगा. देश के दोनों प्रमुख रेलखंड दिल्ली से हावड़ा और दिल्ली से मुंबई, जहां ट्रेनें 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी. दिसंबर 2024 तक कवच से लैस करने का लक्ष्य है.

3 उपकरणों से तैयार होता है 'कवच'
इंजीनियर आरएन सिंह बताते हैं कि कवच में कई प्रमुख उपकरण हैं, जिनके समन्वय से ट्रेनों को टकराने से रोकने में काफी सहायता मिलती है. स्टेशन पर जो उपकरण लगाया जाता है. उसे स्टेशनरी कवच कहते हैं. ऐसे ही लोको में लगने वाला उपकरण लोको कवच कहलाता है. ड्राइवर मशीन इंटरफेस भी लगता है और स्टेशन मास्टर रूम में जो उपकरण लगता है, उसे स्टेशन मास्टर ऑपरेशन कम इंडीकेशन पैनल कहते हैं. इस तरह से कवच के अलग अलग रूप होते हैं.

इस तरह करता है काम
स्टेशन पर लगा उपकरण डायवर्जन, कर्व और जरूरी जानकारी रेडियो फ्रीक्वेंसी के माध्यम से लोको में लगे उपकरण को भेजता है. लोको उपकरण से गति, डायरेक्शन स्टेशन पर हर 2 मिनट पर भेजी जाती है. जैसे ही ओवरस्पीड होती है, स्टेशन कवच लोको के उपकरण को मैसेज भेज ट्रेन को तत्काल रोक देता है. सिग्नल पालन न होने पर भी मशीन तत्काल ट्रेन को रोक देती है. स्टेशन पर लगा उपकरण सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. यह हर इंजन को नियंत्रित करता है.

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