लखनऊ : ट्रेनों के एसी कोच में यात्रा करने के बाद यात्री अपने साथ रेलवे के तकिया, कवर, कंबल, तौलिया और चादर घर उठा ले जा रहे हैं. इससे रेलवे को हर साल लाखों का नुकसान हो रहा है. पूर्वोत्तर रेलवे और उत्तर रेलवे को मिला लिया जाए तो बड़ी संख्या में यात्री रेलवे के सामानों को अपनी जागीर समझ रहे हैं. तकरीबन 60 लाख रुपए का नुकसान पिछले साल ही रेलवे को उठाना पड़ा है. इस साल भी अब तक लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है.
एसी ट्रेन से यात्रा के दौरान रेलवे की तरफ से यात्रियों को तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. यात्रियों को सफर में परेशानी न हो इसके लिए रेलवे उन्हें अच्छी क्वालिटी के तकिया के कवर, कंबल, चादर, बाथ टॉवेल या हैंड टॉवेल मुहैया कराता है. इससे एसी का तापमान कम और ज्यादा होने पर भी यात्रियों को कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन तमाम यात्री रेलवे के लिए मुसीबत का सबब बन रहे हैं. किराए के एवज में यात्री रेलवे का सामान चोरी कर चूना लगा रहे हैं. यात्रा समाप्त होने पर यात्री रेलवे की तरफ से उपलब्ध कराए गए इन सामानों में से किसी न किसी सामान पर हाथ साफ ही कर देते हैं. तमाम ऐसी शिकायतें और वीडियो सामने आ चुके हैं जिसमें यात्रियों के बैग से चादर, कंबल, तकिया के कवर और तौलिए बरामद किए गए हैं.
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कुल मिलाकर प्रथम श्रेणी के वातानुकूलित कोच में 2940 रुपए और द्वितीय व तृतीय श्रेणी के वातानुकूलित कोच में 1340 रुपए की लिनेन यात्रियों को उपलब्ध कराई जाती हैं.
सबसे ज्यादा चोरी हो रहे तकिया के कवर और बेडशीट : रेलवे के अधिकारियों की मानें तो सफर के दौरान सबसे ज्यादा यात्री बेडशीट और तकिया के कवर चोरी कर रहे हैं. यात्रा पूरी होने पर तमाम सीटों से बेडशीट, तकिया के कवर गायब मिलते हैं. हैंड टॉवेल भी काफी संख्या में यात्री अपने साथ लिए जाते हैं. इससे हर साल रेलवे को लाखों रुपए की चपत लगती है.
दो तरह से होती है लिनेन की आपूर्ति : रेलवे में दो तरह से ट्रेनों में लिनेन की आपूर्ति की जाती है. एक रेलवे अपनी तरफ से लिनेन उपलब्ध कराता है, दूसरा ठेकेदार की तरफ से दिया जाता है. रेलवे प्रशासन की तरफ से ट्रेन में यात्रियों को अगर लिनेन चोरी करते पकड़ा जाता है तो आरपी यूपी एक्ट के अंतर्गत आरपीएफ चोरी का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करती है, जबकि ठेकेदार की तरफ से सप्लाई किए गए लिनेन की चोरी करते कोई यात्री पकड़ा जाता है तो आईपीसी 379 की धारा के अंतर्गत जीआरपी की तरफ से चोरी का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाती है.
सामान चुराने पर सजा का है प्रावधान : कानूनी रूप से रेलवे का सामान चुराना अपराध है. रेलवे के सामान को चुराने या उसे नुकसान पहुंचाने पर रेलवे प्रॉपर्टी एक्ट 1966 के तहत कार्रवाई हो सकती है. रेलवे की संपत्ति को चुराने या नुकसान पहुंचाने पर जुर्माना और जेल दोनों की सजा का प्रावधान है. इसके लिए अधिकतम पांच साल तक की सजा है. चोरी करने वाले यात्री पर अधिकतम जुर्माना न्यायालय की तरफ से तय किया जा सकता है.
क्या कहते हैं कोच अटेंडेंट : कोच अटेंडेंट मिथुन कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि यात्री जब अपनी यात्रा पूरी कर लेते हैं तो कुछ यात्री अपने साथ भूलवश तकिया का कवर, चादर या फिर तौलिया लिए जाते हैं. वहीं कुछ यात्री जान-बूझकर ऐसा करते हैं. हर रोज कुछ न कुछ सामान गायब ही मिलता है.
पूर्वोत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी महेश कुमार गुप्ता का कहना है कि इस तरह की शिकायतें सामने आती हैं, सफर के बाद यात्री अपने साथ लेनिन की सामग्री चुरा कर लिए जाते हैं. यह बिल्कुल भी सही नहीं है. इससे रेलवे को लाखों का नुकसान उठाना पड़ता है. यह कानूनी रूप से गलत है और दंड का भी प्रावधान है. यह रेलवे की संपत्ति होती है. यात्रियों को इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए. दो तरह से ट्रेनों में लिनेन की सप्लाई होती है. अगर यात्री इन सामानों की चोरी करता है तो अलग-अलग कार्रवाई का प्रावधान है. यात्री बेडशीट पर ही खाद्य सामग्री का इस्तेमाल करने लगते हैं. इससे दाग पड़ जाते हैं. उनसे अपील है कि वे ऐसा बिल्कुल न करें. अन्य यात्रियों को भी इसका इस्तेमाल करना होता है.
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