ETV Bharat / bharat

समंदर में चीन को मिलेगी भारतीय नौसेना की चुनौती, 6 पनडुब्बी के निर्माण को मंजूरी - मेक इन इंडिया भारत सबमरीन

हिंद महासागर में जिस तरीके से चीन लगातार अपनी ताकत बढ़ाता जा रहा है, भारत के लिए जरूरी हो गया है कि वह समंदर के अंदर अपनी ताकत बढ़ाए. इसे ध्यान में रखते हुए भारत ने शुक्रवार को छह पनडुब्बी के निर्माण को मंजूरी प्रदान कर दी. इसे मेक इन इंडिया के अंतर्गत पूरा किया जाएगा. चीन के पास 350 वॉरशिप्स हैं. इसमें 50 परंपरागत और 10 न्यूक्लियर सबमरीन है. भारत के पास 15 परंपरागत और दो परमाणु पनडुब्बी है. 25 पनडुब्बी खरीदने की योजना बन चुकी है.

etv bharat
भारतीय सबमरीन
author img

By

Published : Jun 4, 2021, 6:45 PM IST

Updated : Jun 4, 2021, 7:26 PM IST

नई दिल्ली : रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए करीब 43,000 करोड़ रुपये की लागत से छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दे दी है. चीन की तेजी से बढ़ती नौसैन्य क्षमताओं के मद्देनजर भारत की क्षमताएं बढ़ाने के उद्देश्य से यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है.

आयात पर निर्भरता घटाने के लिए ये पनडुब्बियां उस रणनीतिक साझेदारी के तहत बनाई जाएंगी, जो घरेलू रक्षा उपकरण निर्माताओं को विदेशों की रक्षा निर्माण क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों के साथ साझेदारी में अत्याधुनिक सैन्य मंच बनाने की अनुमति देता है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने करीब 6800 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न सैन्य हथियारों और उपकरणों की खरीद संबंधी प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी. एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में डीएसी ने सशस्त्र बलों को दिए गए अधिकार के तहत तत्काल खरीद की समयसीमा 31 अगस्त, 2021 तक बढ़ा दी, ताकि वे अपनी आपातकालीन खरीद को पूरा कर सकें.

रक्षा खरीद परिषद ने लिया फैसला

रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में 'पी-75 इंडिया' नाम की इस परियोजना को अनुमति देने का निर्णय लिया गया. डीएसी खरीद संबंधी निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च इकाई है. परियोजना में 43,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अत्याधुनिक प्रणोदन प्रणाली से युक्त छह पारंपरिक पनडुब्बियों का देश में निर्माण किया जाएगा.

सबसे बड़ी 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट में से एक

यह परियोजना सबसे बड़ी मेक इन इंडिया परियोजनाओं में से एक होगी. इससे भारत में पनडुब्बी के निर्माण के लिए प्रोद्यौगिकी और औद्योगिक ढांचे को बढ़ावा मिलेगा. इसे रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत मंजूरी दी गई है.

आयात पर घटेगी निर्भरता

इस परियोजना से हमारी निर्भरता आयात पर घटेगी. हम देशी स्रोतों से आपूर्ति सुनिश्चत कर पाएंगे. यह आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाएगा.

देश में पनडुब्बियों के निर्माण को मिलेगी नई ताकत

इस परियोजना की मंजूरी मिलने के बाद भारत में पनडुब्बी निर्माण को नई ताकत मिलेगी. उसके डिजाइन भी भारत में ही तय किए जाएंगे. सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि अगले 30 सालों में पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम में भारत आत्मनिर्भरता हासिल कर ले.

घरेलू रक्षा निर्माताओं को एडवांटेज

रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत घरेलू रक्षा निर्माताओं को अत्याधुनिक सैन्य उपकरण तैयार करने के संबंध में आयात पर निर्भरता घटाने के लिए अग्रणी विदेशी रक्षा कंपनियों से हाथ मिलाने की अनुमति होगी.

12 वर्ष में पूरी हो जाएगी यह परियोजना

अधिकारियों ने बताया कि यह परियोजना 12 वर्ष की अवधि में लागू की जाएगी और रडार को चकमा देने में सक्षम पनडुब्बियों में हथियारों की जो प्रणालियां शामिल की जाएगी,उसके अनुरूप अंतिम लागत में इजाफा हो सकता है. डीएसी ने पोत निर्माता लार्सन एंड टूब्रो (एल एंड टी) और सरकारी उपक्रम माझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) को अनुरोध पत्र या निविदा जारी करने को मंजूरी दे दी.

भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों से ले सकेंगी मदद

परियोजना के लिए ये दोनों कंपनियां किस विदेशी कंपनी के साथ हाथ मिलाना चाहती हैं यह उनका अपना फैसला होगा. इसके लिए पांच विदेशी कंपनियों रोसोबोरोनेएक्सपोर्ट (रूस), दाईवू (दक्षिण कोरिया), थायसीनक्रूप मरीन सिस्टम (जर्मनी), नवंतिया (स्पेन) और नवल ग्रूप (फ्रांस) की सूची बनाई गई है.

ऐसी उम्मीद है कि आरएफपी महीने भर के भीतर जारी हो जाएगा तथा उस पर एल एंड टी तथा एमडीएल के जवाब का विस्तार से आकलन करने के बाद इसका ठेका दिया जाएगा.

रक्षा मंत्रालय और नौसेना के अलग-अलग दल इस परियोजना की आरपीएफ जारी करने के लिए आवश्यक सभी जरूरतों और पनडुब्बियों की खूबियों समेत सभी जमीनी काम पूरे कर चुके हैं.

नौसेना के पास 15 परंपरागत पनडुब्बी मौजूद है

भारतीय नौसेना की पानी के नीचे अपनी युद्धक क्षमता को बढ़ाने के लिए परमाणु हमला करने में सक्षम छह पनडुब्बियों समेत 24 नई पनडुब्बियों को खरीदने की योजना है. फिलहाल नौसेना के पास 15 परंपरागत पनडुब्बी और दो परमाणु पनडुब्बी हैं.

हिंद महासागर में बढ़ेगी भारत की क्षमता

हिंद महासागर में अपनी सैन्य क्षमता में इजाफा करने के चीन के निरंतर बढ़ते प्रयासों के मद्देनजर नौसेना अपनी सभी क्षमताओं को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने पर ध्यान दे रही है. भारत के सामरिक हितों के लिहाज से हिंद महासागर की अहमियत बढ़ गई है.

चीन के पास 50 पनडुब्बी

वैश्विक विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की नौसेना के पास अभी 50 पनडुब्बी और करीब 350 पोत हैं. अगले आठ से दस वर्ष में उसके पास 500 से अधिक पोत तथा पनडुब्बियां हो सकते हैं.

भारतीय नौसेना रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत 57 लड़ाकू विमान, 111 हेलीकॉप्टर (एनयूएच) और 123 बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टर खरीदने की प्रक्रिया में है.

पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने भारत को रक्षा निर्माण का केंद्र बनाने के उद्देश्य से कई सुधार कदम उठाए हैं.

नई दिल्ली : रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए करीब 43,000 करोड़ रुपये की लागत से छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दे दी है. चीन की तेजी से बढ़ती नौसैन्य क्षमताओं के मद्देनजर भारत की क्षमताएं बढ़ाने के उद्देश्य से यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है.

आयात पर निर्भरता घटाने के लिए ये पनडुब्बियां उस रणनीतिक साझेदारी के तहत बनाई जाएंगी, जो घरेलू रक्षा उपकरण निर्माताओं को विदेशों की रक्षा निर्माण क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों के साथ साझेदारी में अत्याधुनिक सैन्य मंच बनाने की अनुमति देता है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने करीब 6800 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न सैन्य हथियारों और उपकरणों की खरीद संबंधी प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी. एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में डीएसी ने सशस्त्र बलों को दिए गए अधिकार के तहत तत्काल खरीद की समयसीमा 31 अगस्त, 2021 तक बढ़ा दी, ताकि वे अपनी आपातकालीन खरीद को पूरा कर सकें.

रक्षा खरीद परिषद ने लिया फैसला

रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में 'पी-75 इंडिया' नाम की इस परियोजना को अनुमति देने का निर्णय लिया गया. डीएसी खरीद संबंधी निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च इकाई है. परियोजना में 43,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अत्याधुनिक प्रणोदन प्रणाली से युक्त छह पारंपरिक पनडुब्बियों का देश में निर्माण किया जाएगा.

सबसे बड़ी 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट में से एक

यह परियोजना सबसे बड़ी मेक इन इंडिया परियोजनाओं में से एक होगी. इससे भारत में पनडुब्बी के निर्माण के लिए प्रोद्यौगिकी और औद्योगिक ढांचे को बढ़ावा मिलेगा. इसे रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत मंजूरी दी गई है.

आयात पर घटेगी निर्भरता

इस परियोजना से हमारी निर्भरता आयात पर घटेगी. हम देशी स्रोतों से आपूर्ति सुनिश्चत कर पाएंगे. यह आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाएगा.

देश में पनडुब्बियों के निर्माण को मिलेगी नई ताकत

इस परियोजना की मंजूरी मिलने के बाद भारत में पनडुब्बी निर्माण को नई ताकत मिलेगी. उसके डिजाइन भी भारत में ही तय किए जाएंगे. सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि अगले 30 सालों में पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम में भारत आत्मनिर्भरता हासिल कर ले.

घरेलू रक्षा निर्माताओं को एडवांटेज

रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत घरेलू रक्षा निर्माताओं को अत्याधुनिक सैन्य उपकरण तैयार करने के संबंध में आयात पर निर्भरता घटाने के लिए अग्रणी विदेशी रक्षा कंपनियों से हाथ मिलाने की अनुमति होगी.

12 वर्ष में पूरी हो जाएगी यह परियोजना

अधिकारियों ने बताया कि यह परियोजना 12 वर्ष की अवधि में लागू की जाएगी और रडार को चकमा देने में सक्षम पनडुब्बियों में हथियारों की जो प्रणालियां शामिल की जाएगी,उसके अनुरूप अंतिम लागत में इजाफा हो सकता है. डीएसी ने पोत निर्माता लार्सन एंड टूब्रो (एल एंड टी) और सरकारी उपक्रम माझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) को अनुरोध पत्र या निविदा जारी करने को मंजूरी दे दी.

भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों से ले सकेंगी मदद

परियोजना के लिए ये दोनों कंपनियां किस विदेशी कंपनी के साथ हाथ मिलाना चाहती हैं यह उनका अपना फैसला होगा. इसके लिए पांच विदेशी कंपनियों रोसोबोरोनेएक्सपोर्ट (रूस), दाईवू (दक्षिण कोरिया), थायसीनक्रूप मरीन सिस्टम (जर्मनी), नवंतिया (स्पेन) और नवल ग्रूप (फ्रांस) की सूची बनाई गई है.

ऐसी उम्मीद है कि आरएफपी महीने भर के भीतर जारी हो जाएगा तथा उस पर एल एंड टी तथा एमडीएल के जवाब का विस्तार से आकलन करने के बाद इसका ठेका दिया जाएगा.

रक्षा मंत्रालय और नौसेना के अलग-अलग दल इस परियोजना की आरपीएफ जारी करने के लिए आवश्यक सभी जरूरतों और पनडुब्बियों की खूबियों समेत सभी जमीनी काम पूरे कर चुके हैं.

नौसेना के पास 15 परंपरागत पनडुब्बी मौजूद है

भारतीय नौसेना की पानी के नीचे अपनी युद्धक क्षमता को बढ़ाने के लिए परमाणु हमला करने में सक्षम छह पनडुब्बियों समेत 24 नई पनडुब्बियों को खरीदने की योजना है. फिलहाल नौसेना के पास 15 परंपरागत पनडुब्बी और दो परमाणु पनडुब्बी हैं.

हिंद महासागर में बढ़ेगी भारत की क्षमता

हिंद महासागर में अपनी सैन्य क्षमता में इजाफा करने के चीन के निरंतर बढ़ते प्रयासों के मद्देनजर नौसेना अपनी सभी क्षमताओं को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने पर ध्यान दे रही है. भारत के सामरिक हितों के लिहाज से हिंद महासागर की अहमियत बढ़ गई है.

चीन के पास 50 पनडुब्बी

वैश्विक विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की नौसेना के पास अभी 50 पनडुब्बी और करीब 350 पोत हैं. अगले आठ से दस वर्ष में उसके पास 500 से अधिक पोत तथा पनडुब्बियां हो सकते हैं.

भारतीय नौसेना रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत 57 लड़ाकू विमान, 111 हेलीकॉप्टर (एनयूएच) और 123 बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टर खरीदने की प्रक्रिया में है.

पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने भारत को रक्षा निर्माण का केंद्र बनाने के उद्देश्य से कई सुधार कदम उठाए हैं.

Last Updated : Jun 4, 2021, 7:26 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.