कोलकाता : भारतीय तटरक्षक बल की पोत एक दिन पहले भारत के ज्यूरिडिक्शन में आने वाले समुद्री क्षेत्र में फंसी रोहिंग्या शरणार्थियों की नाव तक पहुंच गई है. इस नाव में 90 शरणार्थी और बांग्लादेश के चालक दल के तीन सदस्य सवार हैं.
हाई सी (समुद्र का ऐसा इलाका, जो किसी भी देश के ज्यूरिडिक्शन में नहीं आता है) में रोहिंग्याओं की निगरानी करने वाले मानवीय समूहों ने कहा है कि भारतीय तट रक्षकों ने इन लोगों तक भोजन-पानी पहुंचाया है. लेकिन उनके बचाव का अभियान अब तक पूरा नहीं हुआ है.
बैंकॉक के अराकान प्रोजेक्ट की क्रिस लेवा ने कहा कि हमने आखिरी बार रोहिंग्याओं की आवाज सोमवार की शाम को सुनी थी और उन्होंने बताया था कि भारतीय नौकाएं उनकी नाव तक पहुंच गई हैं और उन्हें भोजन-पानी उपलब्ध कराया गया है.
रोहिंग्याओं की हालत खराब
फंसे हुए शरणार्थियों को मदद करने के लिए लंबे समय से प्रोजेक्ट चला रहीं लेवा ने भारत द्वारा की गई मदद की सराहना की है. उन्होंने कहा कि उस नाव पर सवार रोहिंग्याओं को मदद की बहुत ज्यादा जरूरत है, क्योंकि उनमें से कई लोग डिहाइड्रेशन, डायरिया आदि के कारण भयानक रूप से बीमार हैं. उनमें से कम से कम आठ लोगों की तो मौत हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि उन्हें अभी तक भारतीय जहाजों द्वारा बचाव अभियान पूरा करने की सूचना नहीं मिली है, लेकिन अभियान का जल्द पूरा होना बहुत जरूरी है. वरना कई रोहिंग्या मारे जाएंगे. उन्होंने नाव में 65 रोहिंग्या महिलाओं-युवतियों, दो साल से कम उम्र के पांच बच्चों और 20 पुरुषों के सवार होने की पुष्टि की है.
छह दिन पहले बंद हुए नाव के इंजन
लेवा ने कहा कि नाव के इंजनों ने छह दिन पहले काम करना बंद कर दिया था और अब यह नाव भारत के अंडमान द्वीपों की ओर बह रही है. हालांकि भारतीय नौसेना के सूत्रों ने कहा कि वे अंडमान तट से भारतीय पानी में बहकर आई नाव की पहचान का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.
वहीं, लेवा ने कहा है कि वह नाव में सवार रोहिग्याओं की मदद करने के लिए सीधे भारत सरकार से अपील कर रही हैं. साथ ही विशेष रूप से अंडमान में तैनात भारतीय नौसेना और तट रक्षकों से हस्तक्षेप करने के लिए कह रही हैं.
कोविड-19 की वजह से प्रतिबंध
बता दें कि 2017 में म्यांमार में हुई क्रूर सैन्य कार्रवाई के बाद हजारों-लाखों मुस्लिम रोहिंग्या बांग्लादेश में शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं. सताए गए इन लोगों के लिए मुस्लिम-बहुल मलेशिया पंसदीदा जगह है. लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण दक्षिण पूर्व एशिया की सरकारों ने सीमा प्रतिबंध कड़े कर दिए हैं, जिससे इनकी नावों के जरिए की जाने वाली यात्रााओं में खासी कमी आई है.
मलेशिया में यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी (यूएनएससीआर) में वर्तमान में 1,02,250 रोहिंग्या पंजीकृत हैं, हालांकि असल संख्या इससे कहीं ज्यादा है.
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यूएनएचसीआर ने कहा है कि शरणार्थियों और प्रवासियों की इन घातक यात्राओं में हो रही मौतों को देखते हुए इनके बचाव और विस्थापन के लिए तत्काल और सामूहिक क्षेत्रीय प्रयासों की जरूरत है.