नई दिल्ली : सरकार यदि चाहे तो एमएसपी पर खरीद की गारंटी के लिए कानून बना कर किसान आंदोलन को शांत करने का प्रयास कर सकती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति से ज्यादा उम्मीदें नहीं है. यह बात इंडियन चैम्बर्स ऑफ फ़ूड एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष एमजे खान ने कही.
आज सरकार और कृषि कानूनों के मुद्दे पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच दसवें दौर की वार्ता हो रही है. वार्ता से पहले ईटीवी भारत ने कृषि मामलों के विशेषज्ञ और इंडियन चैम्बर्स ऑफ फ़ूड एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष एमजे खान से विशेष चर्चा की.
एमजे खान ने कहा है कि जिस तरह से पिछले नौ दौर की वार्ता में कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया उसी तरह दसवें दौर की वार्ता से भी ज्यादा उम्मीदें नहीं की जा सकती हैं. यदि सरकार की तरफ से मंत्रियों की समिति बातचीत में सक्रिय है, उसमें कुछ बदलाव हो या फिर किसानों की तरफ से देशभर के अलग-अलग संगठनों को वार्ता में शामिल किया जाए, तो आगे कुछ बात बन सकती है.
सरकार के द्वारा अभी जो वार्ता का दौर चल रहा है, इसमें मुख्यतः पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों का ही प्रतिनिधित्व है, जबकि यह मुद्दा देशव्यापी है.
एमएसपी पर कानून के मुद्दे पर एमजे खान ने कहा कि यह एक संभव कदम हो सकता है. इससे जो प्राइवेट कंपनियां खरीददारी या फसल से पहले करार के लिए किसानों के पास जाएंगी, उन्हें एमएसपी पर फसल के खरीद की अनिवार्यता होगी.
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इसके अलावा केंद्र सरकार चाहे, तो तीन कृषि कानूनों को लागू करने का अधिकार फिलहाल के लिए राज्यों पर छोड़ सकती है, जो राज्य सरकार चाहे वह तीन कानूनों को अपने राज्य में लागू करे, बाद में जब इनके लाभ सामने आएंगे तो अन्य राज्य भी अपने आप इसको स्वीकार करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति पर टिप्पणी करते हुए एमजे खान ने कहा कि आंदोलनरत किसान संगठनों ने पहले ही समिति के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति से भी बातचीत को वह तैयार नहीं हैं. यह मसला सरकार और किसानों के बीच ही हल हो सकता है.