नई दिल्ली : लोकसभा ने विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच 'भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021' को मंजूरी दी. विधेयक में 'महाविमानपत्तन' की परिभाषा में संशोधन करने और छोटे विमानपत्तनों के विकास को प्रोत्साहित करने का उल्लेख किया गया है.
नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सदन में विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिए रखते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में हवाई यात्रा का लोकतंत्रीकरण हुआ है जो पहले कभी नहीं हुआ था और यह सरकार देश की गरीब जनता को सुलभ हवाई यात्रा मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आने वाले समय में भारत उड्डयन के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करे.
निचले सदन ने विभिन्न विषयों पर विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी.
इससे पहले सिंधिया ने कहा कि यह सरकार भविष्य में देश की शहरी आबादी के साथ ग्रामीण जनता को भी सुलभ हवाई यात्रा प्रदान करने के लिए कटिबद्ध है. उन्होंने कहा, 'देश में यदि हवाई यात्रा का लोकतंत्रीकरण हुआ है तो वह नरेंद्र मोदी की सरकार में ही हुआ है. यह आत्मनिर्भर भारत की सोच से जुड़ा है.'
सिंधिया ने पेगासस जासूसी मामले और केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों को रद्द करने समेत विभिन्न विषयों पर नारेबाजी कर रहे कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों पर निशाना साधते हुए कहा, 'संवाद के बदले नारेबाजी के माहौल में भी सरकार किसान, गरीब और देश के विकास के लिए संकल्पित है. ये (विपक्षी सदस्य) कोरोना वायरस के माहौल में भी संवाद और चर्चा नहीं चाहते.'
उन्होंने केंद्र की 'उड़ान' योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि बिहार के दरभंगा शहर में स्वतंत्रता के समय हवाईपट्टी बनी थी जहां 1950 से 1962 तक एक निजी एयरलाइन्स उड़ानों का संचालन करती थी, लेकिन उसके बाद दरभंगा शहर देश के नागर विमानन क्षेत्र के नक्शे से मिट गया. लेकिन इस योजना के कारण 9 नवंबर, 2020 को दिल्ली से दरभंगा पहली उड़ान पहुंची. सिंधिया ने कहा कि ऐसे अनेक छोटे शहर हैं जो हवाई मार्ग से बड़े शहरों से जुड़ गये हैं.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि विमानपत्तनों, एयरलाइनों तथा यात्रियों के हितों को संरक्षित करने के लिये एक स्वतंत्र विनियामक होने के नाते भारतीय विमानपत्तन विनियामक प्राधिकरण अपनी स्थापना से ही देश के महाविमानपत्तनों पर वैमानिकी प्रभारों के शुल्क का निर्धारण करता है.
इसमें कहा गया है कि वर्तमान अधिनियम के अधीन महाविमानपत्तनों को किसी ऐसे विमानपत्तन के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमें वार्षिक रूप से 35 लाख से अधिक यात्री आते हैं या कोई अन्य विमानपत्तन के रूप में जिसे केंद्र सरकार की अधिसूचना के जरिये उस रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है.(पीटीआई-भाषा)