नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम से संबंधित कई मुद्दों पर भारत और अमेरिका की सोच एक समान है, जिसमें आतंकवाद के लिए अफगान भूमि के संभावित उपयोग को लेकर चिंताएं भी शामिल हैं.
अमेरिका भारत रणनीतिक साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के वार्षिक नेतृत्व सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने यह भी कहा कि कई ऐसे पहलू हैं, जिन पर दोनों के विचार समान नहीं हैं. उन्होंने कहा कि तालिबान शासन को मान्यता देने संबंधी किसी भी प्रश्न का निदान दोहा समझौते में समूह द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के आधार पर किया जाना चाहिए.
जयशंकर ने कहा, 'मुझे लगता है कि हम इनमें से कई मुद्दों पर सैद्धांतिक स्तर पर समान सोच रखते हैं. इसमें निश्चित रूप से आतंकवाद शामिल है. अफगान भूमि का आतंकवाद के लिए उपयोग हम दोनों को बहुत दृढ़ता से महसूस होता है और जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की थी तो इस पर चर्चा की गई थी.'
उन्होंने पाकिस्तान का हवाला देते हुए कहा, ऐसे मुद्दे होंगे जिन पर हम अधिक सहमत होंगे, ऐसे मुद्दे भी होंगे जिन पर हम कम सहमत होंगे. हमारे अनुभव कुछ मामलों में आपसे (अमेरिका से) अलग हैं. हम उस क्षेत्र में सीमा पार आतंकवाद के पीड़ित हैं और इसने कई तरह से अफगानिस्तान के कुछ पड़ोसियों के बारे में हमारा दृष्टिकोण तय किया है. विदेश मंत्री ने कहा कि यह अमेरिका को तय करना है कि वह इस विचार को साझा करता है या नहीं.
जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान क्षेत्र के लिए मुद्दे पेश करता है, भारत-प्रशांत एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है और इसे नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर आधारित होना चाहिए और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका के संबंध आगे बढ़ रहे हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग 150 बिलियन डॉलर पहुंच गया है, इसके और भी अधिक बढ़ने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि निवेश के मामले में पिछले साल हमें अब तक का सबसे ज्यादा एफडीआई मिला है और इसमें बहुत बड़ा हिस्सा अमेरिका से है.
(पीटीआई-भाषा)