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अगले स्वतंत्रता दिवस पर हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन शुरू करेगा भारत

भारत हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों का विकास कर रहा है और वे 2023 तक बनकर तैयार हो जाएंगी. बिजली और ईंधन बचाने के उद्देश्य से हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन पर प्रमुखता से सरकार फोकस कर रही है. आने वाले समय में ईंधन पर से निर्भरता हटाने के लिए सरकार प्रयासरत है.

अगले स्वतंत्रता दिवस पर हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन शुरू करेगा भारत
अगले स्वतंत्रता दिवस पर हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन शुरू करेगा भारत
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Published : Sep 17, 2022, 6:48 AM IST

भुवनेश्वर: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि अगले स्वतंत्रता दिवस पर भारत की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन पेश की जाएगी जिसका निर्माण और डिजाइन स्वदेशी होगा. रेलवे, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत दुनिया की सर्वश्रेष्ठ ट्रेने बनाने में सक्षम है और अगला बड़ा काम 15 अगस्त 2023 को होगा जब हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें शुरू की जाएंगी.
विश्व की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन पिछले महीने जर्मनी में शुरू की गई थी. हाइड्रोजन प्रदूषण रहित ईंधन है. वैष्णव ने कहा कि इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में बनी एक ट्रेन, हाल ही में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ पांच में से एक है. उन्होंने कहा कि इस ट्रेन ने 180 किमी प्रति घंटे की गति से यात्रा की जिसने दुनिया को चकित कर दिया. यह ट्रेन सभी से बेहतर है. चालक के केबिन में रखा एक गिलास पानी भी नहीं गिरता है.

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ट्रेन अपनी स्थिरता का संकेत देते हुए अधिकतम गति से चलती है. वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि शून्य गति से 100 किमी प्रति घंटे की गति से चलने में केवल 52 सेकंड का समय लगता है, जबकि जापान में प्रसिद्ध बुलेट ट्रेन इसके लिए 55 सेकंड लेती है. हालांकि शुरू में रेलवे इंजीनियरों ने ट्रेन के घटकों को आयात करने के बारे में सोचा था.

पढ़ें: रेलवे ने 'मेक इन इंडिया' के तहत हर साल 80,000 पहिए बनाने का टेंडर जारी किया : वैष्णव

क्या होगी इस ट्रेन की खासियत?: हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों में आवश्यक बिजली की आपूर्ति एक ईंधन सेल के माध्यम से की जाती है, जो हवा में ऑक्सीजन के साथ ट्रेन की छत पर स्टोर की गई हाइड्रोजन को मिलाकर ऊर्जा उत्पन्न करती है. इस प्रक्रिया में कार्बन-डाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं होता है. हाइड्रोजन ट्रेनों को कहीं भी तैनात किया जा सकता है. मौजूदा ट्रेनों और लाइनों में भी लगाया जा सकता है. इसके लिए अलग से कोई व्यवस्था करने की जरूरत नहीं पड़ती है.

हाइड्रोजन ईंधन सेल ट्रेनों से 140 किमी/घंटा की अधिकतम स्पीड पर 1000 किलोमीटर तक की लंबी दूरी तय की जा सकती है. इलेक्ट्रिक ट्रेनों की तुलना में यह दस गुना अधिक दूरी तय करती है और इसमें ईंधन भरने में भी अधिक समय नहीं लगता है. 20 मिनट में 18 घंटे की दूरी तय करने जितना ईंधन भरा जा सकता है. ईंधन सेल की लागत और रखरखाव में कम खर्च आते हैं.

कंसल्टिंग फर्म रोलैंड बर्जर की एक रिपोर्ट के अनुसार, डीजल या इलेक्ट्रिक से चलने वाली ट्रेनो की तुलना में इसकी लागत बेहद कम आती है. हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें आरामदायक होती हैं. इसके चलने पर अधिक आवाज नहीं निकलता है. हाइड्रोजन एक बेहतरीन ड्राइविंग एक्सपीरिएंस प्रदान करता है. यह उन क्षेत्रों के लिए अधिक जरूरी है जहां प्रदूषण एक बड़ी समस्या बना हुआ है.

पढ़ें: ओडिशा को पहले चरण में मिलेगा 5जी नेटवर्क: अश्विनी वैष्णव

भुवनेश्वर: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि अगले स्वतंत्रता दिवस पर भारत की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन पेश की जाएगी जिसका निर्माण और डिजाइन स्वदेशी होगा. रेलवे, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत दुनिया की सर्वश्रेष्ठ ट्रेने बनाने में सक्षम है और अगला बड़ा काम 15 अगस्त 2023 को होगा जब हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें शुरू की जाएंगी.
विश्व की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन पिछले महीने जर्मनी में शुरू की गई थी. हाइड्रोजन प्रदूषण रहित ईंधन है. वैष्णव ने कहा कि इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में बनी एक ट्रेन, हाल ही में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ पांच में से एक है. उन्होंने कहा कि इस ट्रेन ने 180 किमी प्रति घंटे की गति से यात्रा की जिसने दुनिया को चकित कर दिया. यह ट्रेन सभी से बेहतर है. चालक के केबिन में रखा एक गिलास पानी भी नहीं गिरता है.

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ट्रेन अपनी स्थिरता का संकेत देते हुए अधिकतम गति से चलती है. वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि शून्य गति से 100 किमी प्रति घंटे की गति से चलने में केवल 52 सेकंड का समय लगता है, जबकि जापान में प्रसिद्ध बुलेट ट्रेन इसके लिए 55 सेकंड लेती है. हालांकि शुरू में रेलवे इंजीनियरों ने ट्रेन के घटकों को आयात करने के बारे में सोचा था.

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क्या होगी इस ट्रेन की खासियत?: हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों में आवश्यक बिजली की आपूर्ति एक ईंधन सेल के माध्यम से की जाती है, जो हवा में ऑक्सीजन के साथ ट्रेन की छत पर स्टोर की गई हाइड्रोजन को मिलाकर ऊर्जा उत्पन्न करती है. इस प्रक्रिया में कार्बन-डाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं होता है. हाइड्रोजन ट्रेनों को कहीं भी तैनात किया जा सकता है. मौजूदा ट्रेनों और लाइनों में भी लगाया जा सकता है. इसके लिए अलग से कोई व्यवस्था करने की जरूरत नहीं पड़ती है.

हाइड्रोजन ईंधन सेल ट्रेनों से 140 किमी/घंटा की अधिकतम स्पीड पर 1000 किलोमीटर तक की लंबी दूरी तय की जा सकती है. इलेक्ट्रिक ट्रेनों की तुलना में यह दस गुना अधिक दूरी तय करती है और इसमें ईंधन भरने में भी अधिक समय नहीं लगता है. 20 मिनट में 18 घंटे की दूरी तय करने जितना ईंधन भरा जा सकता है. ईंधन सेल की लागत और रखरखाव में कम खर्च आते हैं.

कंसल्टिंग फर्म रोलैंड बर्जर की एक रिपोर्ट के अनुसार, डीजल या इलेक्ट्रिक से चलने वाली ट्रेनो की तुलना में इसकी लागत बेहद कम आती है. हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें आरामदायक होती हैं. इसके चलने पर अधिक आवाज नहीं निकलता है. हाइड्रोजन एक बेहतरीन ड्राइविंग एक्सपीरिएंस प्रदान करता है. यह उन क्षेत्रों के लिए अधिक जरूरी है जहां प्रदूषण एक बड़ी समस्या बना हुआ है.

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