नई दिल्ली : तेल उत्पादकों के कार्टेल (OPEC) की बैठक से पहले भारत ने मंगलवार को कहा कि मौजूदा तेल की कीमतें बहुत चुनौतीपूर्ण हैं और दरों को थोड़ा संभालने की आवश्यकता है, कहीं ऐसा न हो कि वे खपत-आधारित रिकवरी वैश्विक अर्थव्यवस्था (global economy) को प्रभावित करें.
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि भारत कीमत को लेकर संवेदनशील बजार है और वह जहां कहीं भी प्रतिस्पर्धी दर होगी, वहां से तेल खरीदेगा. पिछले सप्ताह ही मंत्री ने ओपेक से उत्पादन में कटौती को समाप्त करने का फिर से आग्रह किया था.
मांग में सुधार के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल कीमतों में तेजी आयी है। इससे भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम तेजी से चढ़े हैं.
देश भर में ईंधन के दाम ऊंचे हैं और कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पेट्रोल 100 रुपये लीटर को पार कर गया है.वहीं राजस्थान और ओड़िशा में डीजल 100 रुपये लीटर से ऊपर निकल गया है.
प्रधान ने बीएनईएफ शिखर सम्मेलन में कहा, 'आज कीमत काफी चुनौतीपूर्ण है. मैं अपने उत्पादक मित्रों से तेल की उपयुक्त कीमत का आग्रह कर रहा हूं.'
मंत्री ने कहा कि उनकी ओपेक महासचिव मोहम्मद बारकिंडो के साथ पिछले सप्ताह काफी सार्थक बातचीत हुई. 'अगले कुछ दिनों में ओपेक की बैठक होने वाली है और मुझे उम्मीद है कि कीमत में कुछ नरमी आएगी.'
ओपेक, रूस और अन्य सहयोगी देशों की अगस्त और संभवत: उसके बाद के उत्पादन कोटा पर निर्णय को लेकर एक जुलाई को बैठक होनी है. ऐसी संभावना है कि ओपेक और उसके सहयोगी देश वैश्विक तेल मांग और आपूर्ति के बीच अंतर को देखते हुए 500,000 से 7,00,000 बैरल प्रतिदिन उत्पादन बढ़ाने को सहमत हों.
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उल्लेखनीय है कि मांग बढ़ने तथा आपूर्ति कम होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत बढ़कर 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर तक चली गयी है जो अप्रैल 2019 के बाद सर्वाधिक है.
तेल के ऊंचे दाम मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ा रहे हैं.प्रधान ने कहा कि ऊंची मुद्रास्फीति आर्थिक वृद्धि के लिये चुनौती है.