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रूस फिर से भारत के शीर्ष रक्षा साझेदार के रूप में उभरा

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Published : Nov 3, 2021, 7:33 PM IST

भारत द्वारा रूसी हथियारों पर अपनी निर्भरता को खत्म करने के प्रयास के बावजूद, रूस फिर से भारत के शीर्ष रक्षा साझेदार के रूप में उभरा है. मॉस्को में भारत के राजदूत द्वारा यह खुलासा किया गया है. पढ़िए, वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

रूस भारत रक्षा सहयोग
रूस भारत रक्षा सहयोग

नई दिल्ली : भारत और रूस के बीच अच्छे संबंध हैं, खासकर सैन्य क्षेत्र में. ऐसा माना जा रहा था कि आत्मनिर्भर भारत अभियान चलते रूस से सैन्य हथियारों की खरीदारी में कमी आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. इसके विपरीत, रूस, भारत के शीर्ष रक्षा साझेदार के रूप में फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए अपनी जगह फिर से बहाल कर ली है.

रूस में भारत के राजदूत वेंकटेश वर्मा ने कहा कि हमारे तरीके में एक मौलिक बदलाव आया है, भारत और रूस के बीच पिछले तीन वर्षों में रक्षा संबंध आगे बढ़े हैं. रूस भारत के शीर्ष रक्षा साझेदार के रूप में एक बार फिर उभरा है.

उन्होंने कहा, जब मैं 2018 में रूस में राजदूत बना तो भारत-रूस रक्षा अनुबंध प्रति वर्ष केवल 2-3 बिलियन डॉलर था. आज कुल राशि लगभग 9-10 बिलियन डॉलर है.

इतना ही नहीं, राजदूत ने संकेत दिया कि दिसंबर में भारत-रूस द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में प्रमुख रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है, जहां अगले दशक 2021-2031 के लिए सैन्य-तकनीकी सहयोग की घोषणा की जाएगी.

लेकिन अगर आंकड़ों को देखा जाए तो 2016 से 2020 तक चार साल की अवधि में रूसी हथियारों की खरीद में 53 प्रतिशत की गिरावट आई.

भारत, रूस के अलावा फ्रांस, अमेरिका, इजराइल, दक्षिण कोरिया और उज्बेकिस्तान से हथियारों और सैन्य प्रणालियों की खरीद करता है.

फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने के लिए लगभग नौ बिलियन डॉलर की डीले से भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सौदों का मूल्य बढ़ गया था.

ईटीवी भारत से बात करते हुए एक वरिष्ठ भारतीय सैन्य सूत्र ने कहा, 'रूस के साथ रक्षा अनुबंधों की राशि में वृद्धि हाल के वर्षों में कई महत्वपूर्ण सौदों के कारण हुई है. हमने बहुत सारे रूसी गोला-बारूद खरीदे हैं. अक्टूबर में भारत और रूस के बीच एस-400 वायु रक्षा प्रणाली सौदा पर हस्ताक्षर किए गए थे.

उन्होंने कहा कि 2025 में अपेक्षित डिलीवरी के साथ अकुला-श्रेणी (Akula-class) परमाणु-संचालित पनडुब्बी को पट्टे पर देना, सुखोई-30 और MIG-29 लड़ाकू विमान डील, कामोव (Kamov) हेलीकॉप्टर डील के कारण रक्षा अनुबंधों की राशि में वृद्धि हुई है.

यह भी पढ़ें- रूस के सुरक्षा प्रमुख ने मास्को में CIA निदेशक से मुलाकात की

प्रतिबंध लगाने की अमेरिका की धमकी के बाद भी रूस से एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने की डील के बाद भारत-रूस रक्षा संबंधों में आया उतार-चढ़ाव महत्वपूर्ण है.

वर्तमान में, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश में लगभग 7.3 बिलियन डॉलर की रक्षा उत्पादन परियोजनाएं चल रही हैं. इन परियोजनाओं में उन्नत आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS), पिनाका रॉकेट सिस्टम (Pinaka Rocket Systems), शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम (Short Span Bridging System), हेवीवेट टॉरपीडो के लिए 'वरुणास्त्र' (Varunastra) प्रणाली, अर्जुन टैंक एमके-1ए (Arjun tank Mk-1A) आदि का उत्पादन शामिल है.

नई दिल्ली : भारत और रूस के बीच अच्छे संबंध हैं, खासकर सैन्य क्षेत्र में. ऐसा माना जा रहा था कि आत्मनिर्भर भारत अभियान चलते रूस से सैन्य हथियारों की खरीदारी में कमी आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. इसके विपरीत, रूस, भारत के शीर्ष रक्षा साझेदार के रूप में फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए अपनी जगह फिर से बहाल कर ली है.

रूस में भारत के राजदूत वेंकटेश वर्मा ने कहा कि हमारे तरीके में एक मौलिक बदलाव आया है, भारत और रूस के बीच पिछले तीन वर्षों में रक्षा संबंध आगे बढ़े हैं. रूस भारत के शीर्ष रक्षा साझेदार के रूप में एक बार फिर उभरा है.

उन्होंने कहा, जब मैं 2018 में रूस में राजदूत बना तो भारत-रूस रक्षा अनुबंध प्रति वर्ष केवल 2-3 बिलियन डॉलर था. आज कुल राशि लगभग 9-10 बिलियन डॉलर है.

इतना ही नहीं, राजदूत ने संकेत दिया कि दिसंबर में भारत-रूस द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में प्रमुख रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है, जहां अगले दशक 2021-2031 के लिए सैन्य-तकनीकी सहयोग की घोषणा की जाएगी.

लेकिन अगर आंकड़ों को देखा जाए तो 2016 से 2020 तक चार साल की अवधि में रूसी हथियारों की खरीद में 53 प्रतिशत की गिरावट आई.

भारत, रूस के अलावा फ्रांस, अमेरिका, इजराइल, दक्षिण कोरिया और उज्बेकिस्तान से हथियारों और सैन्य प्रणालियों की खरीद करता है.

फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने के लिए लगभग नौ बिलियन डॉलर की डीले से भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सौदों का मूल्य बढ़ गया था.

ईटीवी भारत से बात करते हुए एक वरिष्ठ भारतीय सैन्य सूत्र ने कहा, 'रूस के साथ रक्षा अनुबंधों की राशि में वृद्धि हाल के वर्षों में कई महत्वपूर्ण सौदों के कारण हुई है. हमने बहुत सारे रूसी गोला-बारूद खरीदे हैं. अक्टूबर में भारत और रूस के बीच एस-400 वायु रक्षा प्रणाली सौदा पर हस्ताक्षर किए गए थे.

उन्होंने कहा कि 2025 में अपेक्षित डिलीवरी के साथ अकुला-श्रेणी (Akula-class) परमाणु-संचालित पनडुब्बी को पट्टे पर देना, सुखोई-30 और MIG-29 लड़ाकू विमान डील, कामोव (Kamov) हेलीकॉप्टर डील के कारण रक्षा अनुबंधों की राशि में वृद्धि हुई है.

यह भी पढ़ें- रूस के सुरक्षा प्रमुख ने मास्को में CIA निदेशक से मुलाकात की

प्रतिबंध लगाने की अमेरिका की धमकी के बाद भी रूस से एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने की डील के बाद भारत-रूस रक्षा संबंधों में आया उतार-चढ़ाव महत्वपूर्ण है.

वर्तमान में, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश में लगभग 7.3 बिलियन डॉलर की रक्षा उत्पादन परियोजनाएं चल रही हैं. इन परियोजनाओं में उन्नत आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS), पिनाका रॉकेट सिस्टम (Pinaka Rocket Systems), शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम (Short Span Bridging System), हेवीवेट टॉरपीडो के लिए 'वरुणास्त्र' (Varunastra) प्रणाली, अर्जुन टैंक एमके-1ए (Arjun tank Mk-1A) आदि का उत्पादन शामिल है.

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