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भारत, पाकिस्तान, चीन ने 2020 में बढ़ाई परमाणु हथियारों की संख्या - Line of Actual Control

भारत, चीन और पाकिस्तान ने 2020 में परमाणु हथियारों की संख्या में लगभग 41 हथियारों का और इजाफा किया है. इस ट्रेंड के अभी और आगे बढ़ने की संभावना है. पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

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Published : Jun 14, 2021, 3:31 PM IST

नई दिल्ली : जहां एक ओर विश्वभर में परमाणु हथियारों (Nuclear Weapons) के वृद्धि में मामूली से कमी देखने को मिली है. वहीं दूसरी ओर भारत, पाकिस्तान और चीन ने 2020 में अपने परमाणु हथियारों की संख्या में वृद्धि की है.

इस बात का खुलासा हथियार व्यापार पर वैश्विक निगरानी संस्था (global watchdog) और थिंक टैंक (think-tank) इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (Stockholm International Peace Research Institute) ने अपनी रिपोर्ट में किया है.

आगे भी जारी रहेगा ट्रेंड

रिपोर्ट के अनुसार भारत ने अपने परमाणु भंडार को150 से बढ़ाकर जनवरी 2021 में 156 कर दिया है, जबकि चीन ने इसी अवधि में अपनी संख्या 320 से 350 और पाकिस्तान ने इसी अवधि में 160 से 165 कर दिया है. इसलिए इन तीनों देशों ने मिलकर पिछले साल लगभग 41 और परमाणु हथियार इकठ्ठा किए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ट्रेंड आगे भी जारी रहने की आशंका है.

दक्षिण एशिया क्षेत्र (South Asia region) में विकास को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसे एक संभावित फ्लैशपॉइंट के रूप में देखा जाता है, विशेष रूप से एक तरफ भारत और दूसरी तरफ चीन-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण और जुझारू संबंधों की पृष्ठभूमि में इसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.

नियंत्रण रेखा (Line of Control ) पर बंदूकें खामोश हैं- भारत और पाकिस्तान द्वारा वास्तविक सीमा पर 24 फरवरी, 2021 से दोनों पक्षों द्वारा सीमा संघर्ष विराम (ceasefire violations ) का पालन किया जा रहा है, जबकि 28 जनवरी तक नियंत्रण रेखा पर 299 बार संघर्ष विराम उल्लंघन हुआ था . 2020 में 5,133 उल्लंघन हुए थे, इससे पहले 2019 में 3,168 और 2018 में 1,629 थे.

दूसरी ओर अप्रैल-मई 2021 के बाद से भारतीय और चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर कुछ विवादों को लेकर उलझी हुई है, जिससे गतिरोध जारी है. इस गतिरोध के कारण दोनों पक्षों के लगभग 1,00,000 सैनिकों, युद्ध उपकरणों के साथ सीमा पर डटे हुए हैं.

चीनी सेना का आधुनिकीकरण

चिंता की बात यह है कि चीन कथित तौर पर अपनी समग्र सेना के आधुनिकीकरण और संवर्द्धन (modernization and augmentation) की नीति पर चल रहा है. इसमें उसका परमाणु बल भी शामिल है. इस कारण क्षेत्र में परमाणु हथियारों की दौड़ (race for nuclear weapons ) के बढ़ने का संभावना है.

पढ़ें - UNDP रिपोर्ट में आकांक्षी जिला कार्यक्रम की सराहना, अपनाने की हुई सिफारिश

अमेरिका के पास सबसे अधिक परमाणु हथियार

वैश्विक हथियारों (global arsenal) में कमी के बावजूद, वर्तमान में परिचालन बलों के साथ तैनात परमाणु हथियारों की संख्या पिछले साल 3,720 से बढ़कर 3,825 हो गई. यह हथियार अमेरिका और रूस के पास सबसे अधिक थे.

इन दोनों देशों के पास एक साल पहले की तुलना में 2021 की शुरुआत में ऑपरेशन में लगभग 50 से अधिक परमाणु हथियार तैनात होने का अनुमान है.

अमेरिका के पास पहले से ही 1,800 परमाणु हथियार हैं, जो विश्व में किसी भी देश के पास सबसे अधिक संख्या है. इसके बाद रूस 1,625 के साथ दूसरे नंबर पर आता है.

माना जाता है कि नौ परमाणु-सशस्त्र राज्य- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया के पास 2021 की शुरुआत में लगभग 13,080 परमाणु हथियार थे, जबकि 2020 की शुरुआत में यह संख्या13,400 थी.

नई दिल्ली : जहां एक ओर विश्वभर में परमाणु हथियारों (Nuclear Weapons) के वृद्धि में मामूली से कमी देखने को मिली है. वहीं दूसरी ओर भारत, पाकिस्तान और चीन ने 2020 में अपने परमाणु हथियारों की संख्या में वृद्धि की है.

इस बात का खुलासा हथियार व्यापार पर वैश्विक निगरानी संस्था (global watchdog) और थिंक टैंक (think-tank) इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (Stockholm International Peace Research Institute) ने अपनी रिपोर्ट में किया है.

आगे भी जारी रहेगा ट्रेंड

रिपोर्ट के अनुसार भारत ने अपने परमाणु भंडार को150 से बढ़ाकर जनवरी 2021 में 156 कर दिया है, जबकि चीन ने इसी अवधि में अपनी संख्या 320 से 350 और पाकिस्तान ने इसी अवधि में 160 से 165 कर दिया है. इसलिए इन तीनों देशों ने मिलकर पिछले साल लगभग 41 और परमाणु हथियार इकठ्ठा किए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ट्रेंड आगे भी जारी रहने की आशंका है.

दक्षिण एशिया क्षेत्र (South Asia region) में विकास को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसे एक संभावित फ्लैशपॉइंट के रूप में देखा जाता है, विशेष रूप से एक तरफ भारत और दूसरी तरफ चीन-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण और जुझारू संबंधों की पृष्ठभूमि में इसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.

नियंत्रण रेखा (Line of Control ) पर बंदूकें खामोश हैं- भारत और पाकिस्तान द्वारा वास्तविक सीमा पर 24 फरवरी, 2021 से दोनों पक्षों द्वारा सीमा संघर्ष विराम (ceasefire violations ) का पालन किया जा रहा है, जबकि 28 जनवरी तक नियंत्रण रेखा पर 299 बार संघर्ष विराम उल्लंघन हुआ था . 2020 में 5,133 उल्लंघन हुए थे, इससे पहले 2019 में 3,168 और 2018 में 1,629 थे.

दूसरी ओर अप्रैल-मई 2021 के बाद से भारतीय और चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर कुछ विवादों को लेकर उलझी हुई है, जिससे गतिरोध जारी है. इस गतिरोध के कारण दोनों पक्षों के लगभग 1,00,000 सैनिकों, युद्ध उपकरणों के साथ सीमा पर डटे हुए हैं.

चीनी सेना का आधुनिकीकरण

चिंता की बात यह है कि चीन कथित तौर पर अपनी समग्र सेना के आधुनिकीकरण और संवर्द्धन (modernization and augmentation) की नीति पर चल रहा है. इसमें उसका परमाणु बल भी शामिल है. इस कारण क्षेत्र में परमाणु हथियारों की दौड़ (race for nuclear weapons ) के बढ़ने का संभावना है.

पढ़ें - UNDP रिपोर्ट में आकांक्षी जिला कार्यक्रम की सराहना, अपनाने की हुई सिफारिश

अमेरिका के पास सबसे अधिक परमाणु हथियार

वैश्विक हथियारों (global arsenal) में कमी के बावजूद, वर्तमान में परिचालन बलों के साथ तैनात परमाणु हथियारों की संख्या पिछले साल 3,720 से बढ़कर 3,825 हो गई. यह हथियार अमेरिका और रूस के पास सबसे अधिक थे.

इन दोनों देशों के पास एक साल पहले की तुलना में 2021 की शुरुआत में ऑपरेशन में लगभग 50 से अधिक परमाणु हथियार तैनात होने का अनुमान है.

अमेरिका के पास पहले से ही 1,800 परमाणु हथियार हैं, जो विश्व में किसी भी देश के पास सबसे अधिक संख्या है. इसके बाद रूस 1,625 के साथ दूसरे नंबर पर आता है.

माना जाता है कि नौ परमाणु-सशस्त्र राज्य- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया के पास 2021 की शुरुआत में लगभग 13,080 परमाणु हथियार थे, जबकि 2020 की शुरुआत में यह संख्या13,400 थी.

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