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यूक्रेन पर पैनी नजर, अमेरिका-रूस के संपर्क में भारत

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Published : Jan 28, 2022, 7:36 PM IST

भारत यूक्रेन की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है. कीव स्थित भारतीय दूतावास स्थानीय गतिविधियों को करीब से वॉच कर रहा है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि हम पूरे विवाद पर अमेरिका और रूस दोनों ही देशों के संपर्क में हैं. भारत चाहता है कि पूरे विवाद का शांतिपूर्वक हल निकले. पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा की एक रिपोर्ट.

arindam bagchi , mea , spokesperson
अरिंदम बागची, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय

नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव पर भारत की पैनी नजर बनी हुई है. शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत इस मामले पर अमेरिका और रूस दोनों ही देशों से संपर्क में है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमारा दूतावास कीव में स्थानीय गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है. बागची ने कहा कि हम पूरे विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में हैं. इसके लिए लगातार राजनयिक प्रयास चलता रहे, भारत इसका समर्थन करता है, ताकि पूरे क्षेत्र में लंबे समय तक शांति बनी रहे.

आपको बता दें कि ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने इस मामले पर कहा था कि भारत स्पष्ट रूप से न तो यूक्रेन-अमेरिका और न ही रूस की ओर झुकता हुआ दिखना चाहेगा. उन्होंने कहा कि भारत के लिए रूस बहुत अलग महत्व रखता है. हमारा उनके साथ अलग लेवल का रिश्ता है. यूरोपियन मामलों के विशेषज्ञ जेएनयू के प्रोफेसर गुलशन सचदेवा ने भी ईटीवी भारत के साथ बातचीत में कहा कि यूक्रेन को लेकर रूस-यूरोपियन यूनियन-अमेरिका-नाटो जिस तरह से उलझ रहे हैं, उनमें पूरी दुनिया की राजनीति की गतिशीलता को प्रभावित करने की संभावना है. इसके बावजूद भारत रूस के खिलाफ नहीं बोलेगा. इसकी वजह दोनों देशों के बीच दशकों पुराना रिश्ता है. दोनों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंध हैं. प्रो. सचदेवा ने कहा कि भारत हमेशा से ही स्वतंत्रता और संप्रभुता का समर्थक रहा है. वह क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांत का भी आह्वान करता रहा है. इसलिए वह किसी भी पक्ष को लेकर स्पष्ट स्टैंड नहीं लेगा. भारत राजनयिक कौशलता दिखाएगा.

रूस से एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली की खरीद पर अमेरिका द्वारा चिंता व्यक्त करने के बीच भारत ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि वह स्वतंत्र विदेश नीति का अनुसरण करता है जो रक्षा खरीद एवं आपूर्ति पर भी लागू होती है और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के तहत मार्गदर्शित होते हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने सप्ताहिक प्रेस वार्ता में यह बात कही. उनसे अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के उस बयान के बारे में पूछा गया था जिसमें उन्होंने कहा था कि रूस से भारत द्वारा एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली की खरीद को लेकर अमेरिका की चिंताओं में कोई बदलाव नहीं आया है.

बागची ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच समग्र वैश्विक सामरिक गठजोड़ है. वहीं, रूस के साथ भारत का विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक गठजोड़ है. उन्होंने कहा कि हम स्वतंत्र विदेश नीति का अनुसरण करते हैं. यह हमारे रक्षा खरीद और आपूर्ति पर भी लागू होती है और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के तहत मार्गदर्शित होती हैं. गौरतलब है कि अमेरिका ने कहा है कि रूस का भारत को एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली बेचना क्षेत्र में और संभवत: उससे परे भी अस्थिरता पैदा करने में मॉस्को की भूमिका को प्रदर्शित करता है. अमेरिका भारत द्वारा रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदे जाने पर कई बार चिंता व्यक्त कर चुका है. भारत ने जोर देकर कहा है कि उसके फैसले उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के हित पर आधारित हैं.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक दिन पहले कहा था कि एस-400 प्रणाली को लेकर जो हमारी चिंताएं है, उनमें कोई बदलाव नहीं आया है. मुझे लगता है कि यह क्षेत्र में और संभावित रूप से उससे परे अस्थिरता पैदा करने में रूस की भूमिका को उजागर करता है. उल्लेखनीय है कि भारत ने अक्तूबर 2018 में रूस के साथ एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली के पांच इकाई की खरीद के सौदे पर हस्ताक्षर किये थे.

ये भी पढ़ें : यूक्रेन को लेकर रूस और अमेरिका आमने-सामने, किसका पक्ष लेगा भारत, पढ़ें विशेषज्ञों की राय

नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव पर भारत की पैनी नजर बनी हुई है. शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत इस मामले पर अमेरिका और रूस दोनों ही देशों से संपर्क में है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमारा दूतावास कीव में स्थानीय गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है. बागची ने कहा कि हम पूरे विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में हैं. इसके लिए लगातार राजनयिक प्रयास चलता रहे, भारत इसका समर्थन करता है, ताकि पूरे क्षेत्र में लंबे समय तक शांति बनी रहे.

आपको बता दें कि ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने इस मामले पर कहा था कि भारत स्पष्ट रूप से न तो यूक्रेन-अमेरिका और न ही रूस की ओर झुकता हुआ दिखना चाहेगा. उन्होंने कहा कि भारत के लिए रूस बहुत अलग महत्व रखता है. हमारा उनके साथ अलग लेवल का रिश्ता है. यूरोपियन मामलों के विशेषज्ञ जेएनयू के प्रोफेसर गुलशन सचदेवा ने भी ईटीवी भारत के साथ बातचीत में कहा कि यूक्रेन को लेकर रूस-यूरोपियन यूनियन-अमेरिका-नाटो जिस तरह से उलझ रहे हैं, उनमें पूरी दुनिया की राजनीति की गतिशीलता को प्रभावित करने की संभावना है. इसके बावजूद भारत रूस के खिलाफ नहीं बोलेगा. इसकी वजह दोनों देशों के बीच दशकों पुराना रिश्ता है. दोनों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंध हैं. प्रो. सचदेवा ने कहा कि भारत हमेशा से ही स्वतंत्रता और संप्रभुता का समर्थक रहा है. वह क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांत का भी आह्वान करता रहा है. इसलिए वह किसी भी पक्ष को लेकर स्पष्ट स्टैंड नहीं लेगा. भारत राजनयिक कौशलता दिखाएगा.

रूस से एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली की खरीद पर अमेरिका द्वारा चिंता व्यक्त करने के बीच भारत ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि वह स्वतंत्र विदेश नीति का अनुसरण करता है जो रक्षा खरीद एवं आपूर्ति पर भी लागू होती है और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के तहत मार्गदर्शित होते हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने सप्ताहिक प्रेस वार्ता में यह बात कही. उनसे अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के उस बयान के बारे में पूछा गया था जिसमें उन्होंने कहा था कि रूस से भारत द्वारा एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली की खरीद को लेकर अमेरिका की चिंताओं में कोई बदलाव नहीं आया है.

बागची ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच समग्र वैश्विक सामरिक गठजोड़ है. वहीं, रूस के साथ भारत का विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक गठजोड़ है. उन्होंने कहा कि हम स्वतंत्र विदेश नीति का अनुसरण करते हैं. यह हमारे रक्षा खरीद और आपूर्ति पर भी लागू होती है और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के तहत मार्गदर्शित होती हैं. गौरतलब है कि अमेरिका ने कहा है कि रूस का भारत को एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली बेचना क्षेत्र में और संभवत: उससे परे भी अस्थिरता पैदा करने में मॉस्को की भूमिका को प्रदर्शित करता है. अमेरिका भारत द्वारा रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदे जाने पर कई बार चिंता व्यक्त कर चुका है. भारत ने जोर देकर कहा है कि उसके फैसले उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के हित पर आधारित हैं.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक दिन पहले कहा था कि एस-400 प्रणाली को लेकर जो हमारी चिंताएं है, उनमें कोई बदलाव नहीं आया है. मुझे लगता है कि यह क्षेत्र में और संभावित रूप से उससे परे अस्थिरता पैदा करने में रूस की भूमिका को उजागर करता है. उल्लेखनीय है कि भारत ने अक्तूबर 2018 में रूस के साथ एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली के पांच इकाई की खरीद के सौदे पर हस्ताक्षर किये थे.

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