न्यूयॉर्क : यूक्रेन संघर्ष का प्रक्षेपवक्र पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय बनते देखते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि दुनिया ने खाद्यान्न, उर्वरक और ईंधन की बढ़ती कीमत और कमी के रूप में इसके परिणामों का अनुभव किया है. यूएनएससी में यूक्रेन पर विदेश मंत्री ने कहा कि यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करना और बातचीत के जरिये हल निकालना, समय की मांग है.
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#WATCH | "India is strongly reiterating the need for an
— ANI (@ANI) September 22, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
immediate cessation of all hostilities and a return to dialogue
and diplomacy," says EAM Dr S Jaishankar at UNSC briefing on Ukraine pic.twitter.com/99QvAgsl9r
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उन्होंने कहा, "यह परिषद कूटनीति का सबसे शक्तिशाली प्रतीक है. इसे अपने उद्देश्य पर खरा उतरते रहना चाहिए." जयशंकर ने एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक के दौरान यूक्रेन संघर्ष के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी को याद किया.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं होना केवल हमारे लिए ही नहीं बल्कि इस वैश्विक निकाय के लिए भी सही नहीं है तथा इसमें सुधार बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था. जयशंकर से पूछा गया था कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने में कितना वक्त लगेगा? उन्होंने कहा कि वह भारत को स्थायी सदस्यता दिलाने के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने बुधवार को कहा, "जब मैं कहता हूं कि मैं इस पर काम कर रहा हूं तो इसका मतलब है कि मैं इसे लेकर गंभीर हूं."
जयशंकर कोलंबिया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स के राज सेंटर में कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तथा नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के साथ बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा, "स्वभाविक रूप ये यह बहुत कठिन काम है क्योंकि अंत में आप अगर आप कहेंगे कि हमारी वैश्विक व्यवस्था की परिभाषा क्या है. वैश्विक व्यवस्था की परिभाषा को लेकर पांच स्थायी सदस्य बहुत महत्वपूण हैं इसलिए हम जो मांग कर रहे हैं, वह बहुत ही मौलिक, बहुत गहरे बदलाव से जुड़ा है."
ज्ञात हो कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका हैं तथा इन देशों किसी भी प्रस्ताव पर वीटो करने का अधिकार प्राप्त है. समसामयिक वैश्विक वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग बढ़ रही है. इस बीच, विदेश मंत्री ने कहा कि हम मानते हैं कि बदलाव काफी समय से अपेक्षित है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र 80 वर्ष पहले की स्थितियों के परिणामस्वरूप बनी.
उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा, यह दुनिया की सबसे घनी आबादी वाला देश होगा. उन्होंने कहा, "ऐसे देश का अहम वैश्विक परिषदों का हिस्सा न होना जाहिर तौर पर न केवल हमारे लिए बल्कि वैश्विक परिषद के लिए भी अच्छा नहीं है." गौरतलब है कि भारत के पास अभी सुरक्षा परिषद के गैर स्थायी सदस्य के तौर पर दो साल का कार्यकाल है। उसका कार्यकाल दिसंबर में समाप्त हो जाएगा.
(पीटीआई-भाषा)