नई दिल्ली: चीन अपनी फितरत से बाज नहीं आ रहा है. ड्रैगन भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच दरार पैदा कर रहा है (China is provoking neighbors). श्रीलंका और नेपाल को फंसाने के बाद अब ड्रैगन की नजर बांग्लादेश पर है. वाम शासित चीन ने आर्थिक और सैन्य शक्ति का खतरा दिखाकर भारत के 'दोस्तों' को बरगलाया है.
चीन ने इन देशों को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का डर दिखाया. हाल ही में आईपीएस अधिकारियों ने भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के बीच खाई खोदने में लगे चीन का पर्दाफाश किया है.
दरअसल पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) और महानिरीक्षकों (आईजीपी) के सम्मेलन में आईपीएस अधिकारियों ने इससे जुड़े दस्तावेज पेश किए हैं. इंटेलिजेंस ब्यूरो के बैनर तले हुए इस कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी शिरकत की थी. चीन की इस साजिश पर देश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में विस्तार से चर्चा हुई. कुल मिलाकर कहा जाए तो चीन के भड़काने की वजह से नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देश भारत से दूर जा रहे हैं.
सम्मेलन में छाया रहा चीन का मुद्दा : सम्मेलन के दौरान एक दर्जन से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए गए. ये सभी 'चीनी पड़ोस में प्रभाव डाल रहा, जिसका भारत पर असर' विषय पर थे. पूर्वोत्तर में तैनात आईजी रैंक के एक आईपीएस ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का हवाला दिया.
उन्होंने कहा कि इससे चीन को बांग्लादेश में घुसने का रास्ता मिल गया है. दक्षिण में तैनात एक अधिकारी ने कहा कि भारत के 'बिग ब्रदर' वाले रवैये ने नेपाल को अलग-थलग कर दिया है. ज्यादातर अधिकारियों का तर्क था कि चीन की आर्थिक और सैन्य ताकत ने पड़ोसियों को जरूर लुभाया होगा, ड्रैगन धीरे-धीरे उन्हें भारत के खिलाफ भड़का रहा है.
चीन का फंदा श्रीलंका, नेपाल और अब बांग्लादेश तक पहुंचा : बांग्लादेश में बढ़ते चीनी प्रभाव पर एक पेपर में कहा गया, 'नेपाल और श्रीलंका जैसे भारत के मित्रवत पड़ोसियों को निशाना बनाने के बाद चीन ने अब बांग्लादेश पर ध्यान केंद्रित किया है...' पेपर में चीन के युद्धाभ्यास का भी जिक्र है. ढाका को लगता है कि एनआरसी के जरिए भारत सभी अवैध विदेशियों को बांग्लादेश भेजेगा. सीएए पारित होने के तुरंत बाद, बीजिंग ने बांग्लादेश के 97% निर्यात को शुल्क मुक्त और कोटा मुक्त कर दिया.
शोधपत्र में कहा गया है कि 'चीन की ढाका के पास एक मेगा स्मार्ट शहर, पूर्वी बांग्लादेश के सिलहट में हवाई अड्डा बनाने की योजना है. नई दिल्ली को भड़काने के लिए चीन ढाका पर कुछ बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी परियोजनाओं को सौंपने का दबाव बना रहा है.' पेपर के मुताबिक, चीन ने बांग्लादेश को टैंक, फ्रिगेट, सबमरीन और फाइटर जेट के अलावा कई सैन्य उपकरण भी मुहैया कराए हैं.
पेपर में दावा किया गया है कि नगा समझौते पर सरकार से बातचीत कर रहे एनएससीएन-आईएम के कुछ नेता चीन-म्यांमार सीमा पर मौजूद हैं. वे चीन की मदद से पुराने दिनों में वापस जाने की हद तक चले गए हैं. चीनी सरकार ने 1960 और 70 के दशक में मिजो और नगा उग्रवादियों के हाथ काफी मजबूत कर दिए थे. पूर्वोत्तर में तैनात एक अन्य अधिकारी ने कहा कि चीन बांग्लादेश में 'भारत विरोधी माहौल' भड़का सकता है.
'बिग ब्रदर' वाले रवैये की आलोचना: कई आईपीएस अधिकारियों ने नेपाल से बिगड़ते संबंधों पर भी चिंता जताई है. दक्षिणी राज्य से आने वाले एक आईपीएस अधिकारी ने इसके लिए भारत के 'बिग ब्रदर' वाले रवैये की जमकर आलोचना की. उन्होंने अपने पेपर में कहा, 'भारत को इन देशों के साथ पार्टनर की तरह व्यवहार करना चाहिए. भारत को 'बिग ब्रदर' जैसा व्यवहार करने से बचना चाहिए.
एक अन्य पेपर में तो यहां तक कह दिया गया कि पाकिस्तान के बाद अगर भारत के किसी पड़ोसी से सबसे खराब संबंध हैं, तो वह नेपाल है.अधिकतर आईपीएस अधिकारियों ने चीन की 'ऋण जाल नीति' का जिक्र किया.
उनका मानना है कि भारत इसे उजागर करे. इसके साथ ही सॉफ्ट पावर के अधिक उपयोग और तेज आर्थिक प्रगति की दिशा में काम करने के सुझाव भी दिए. उनका मानना है कि भारत ने जिस तरह से आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की मदद की, उसी तरह दूसरे पड़ोसी देशों की भी मदद करनी चाहिए. वहीं, पाकिस्तान के संबंध में ज्यादातर पेपर में कहा गया कि उसका कूटनीतिक बहिष्कार होना चाहिए या सार्क को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए.
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