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चीन और पाकिस्तान अब एक साथ, युद्ध होगा तो दोनों से होगा : राहुल गांधी - Rahul Gandhi

कांग्रेस ने पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का पूर्व सैनिकों के साथ बातचीत का एक वीडियो जारी किया है. इसमें चीन मुद्दे पर राहुल गांधी को पूर्व सैनिकों के साथ बात करते दिखाया गया है. राहुल ने कहा कि 'चीन और पाकिस्तान सैन्य और आर्थिक दोनों रूप से एक साथ आ गए हैं. युद्ध होगा तो दोनों से एक साथ होगा.' ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

Rahul Gandhi
राहुल गांधी
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Published : Dec 25, 2022, 7:58 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने हाल ही में पूर्व सैनिकों के एक समूह से कहा था कि 'भारत, चीन और पाकिस्तान से एक साथ युद्ध के खतरे का सामना कर रहा है (India faces China Pakistan war threat). सीमा पर क्या हो रहा है? सरकार को इस संबंध में जानकारी देश की जनता के साथ साझा करनी चाहिए.'

राहुल ने हाल ही में हरियाणा में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पूर्व सैनिकों के एक समूह को बताया कि 'चीन और पाकिस्तान सैन्य और आर्थिक रूप से एक साथ आ गए हैं. वे हमारे लिए सरप्राइज तैयार कर रहे हैं. सरकार चुप नहीं रह सकती. उसे लोगों को बताना चाहिए कि सीमाओं पर क्या हो रहा है.'

राहुल ने यह भी कहा कि चीन ने लद्दाख में 2000 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है और उसकी सेना भारतीय सीमा के अंदर बैठी है. राहुल ने कहा 'पीएम ने देश से झूठ बोला. उन्होंने कहा कि कोई भी हमारे क्षेत्र में नहीं आया है और न ही किसी ने हमारी जमीन ली है.'

कांग्रेस की ओर से रविवार को बातचीत का एक वीडियो जारी किया गया. बातचीत के दौरान, पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने पूर्व सैनिकों के साथ सीमा की स्थिति, विशेष रूप से 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी घुसपैठ पर चर्चा की.

राहुल चीन नीति को लेकर सरकार पर निशाना साधते रहे हैं. उन्होंने 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के भूमि हड़पने और विशेष रूप से दोनों सेनाओं के बीच खूनी संघर्ष पर भी सवाल उठाए थे. उस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और इतनी ही संख्या में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक मारे गए थे. पीएलए सैनिकों ने जहां जानबूझकर एलएसी का उल्लंघन किया था और गालवान घाटी में उसके बाद हुए खूनी संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों को एक नए स्तर पर गिरा दिया था.

नतीजतन, दोनों सेनाओं के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद आमना-सामना अभी भी खत्म नहीं हुआ है. पूर्वी लद्दाख से पहले 2017 में डोकलाम पठार पर भारत और चीन की सेनाओं का आमना सामना हुआ था.

राहुल ने पूर्व सैनिकों से कहा 'डोकलाम और गलवान की घटनाएं आपस में जुड़ी हुई हैं. वे पाकिस्तान के साथ मिलकर हम पर हमला करने की चीन की रणनीति का हिस्सा हैं.' राहुल ने कहा कि 'भारतीय सीमा की स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्थिति से जुड़ी हुई है.' उन्होंने आगे कहा कि 'भारतीय सीमा की स्थिति बदल गई थी और चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र के अंदर थे.'

राहुल ने याद किया कि उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय में भारत ने एक अलग विदेश नीति अपनाई थी जो पहले दो मोर्चों पर युद्ध और फिर ढाई मोर्चों पर सीमा पर युद्ध पर आधारित थी.

राहुल ने कहा, 'ढाई मोर्चे की धमकी का मतलब चीन, पाकिस्तान और आतंकवाद (सीमा पार से) था. तब हमारी नीति चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों को अलग रखने की थी. आज यह एकल मोर्चे पर युद्ध का खतरा बन गया है.'

राहुल ने कहा 'जब राजीवजी चीन गए थे तो इसके पीछे विचार था कि ये दोनों देश (चीन-पाकिस्तान) अलग रहें. आज चीन और पाकिस्तान मिलकर काम कर रहे हैं. बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में) और ग्वादर बंदरगाह चीन के लिए महत्वपूर्ण हो गए हैं.'

पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि 'जब चीनी आर्थिक प्रणाली वित्तीय और तकनीकी रूप से तेजी से बढ़ रही थी, तब भारतीय अर्थव्यवस्था 2014 से धीमी हो गई थी. इसके अलावा भारत के सामने कई आंतरिक चुनौतियां थीं जैसे कि आपसी कलह, भ्रम और नफरत.' पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने आगाह किया कि भारतीय रणनीति अभी भी पुराने खतरे की धारणा पर आधारित है.

राहुल ने कहा कि 'भारत अभी भी ढाई मोर्चों पर युद्ध के बारे में सोचता है और संयुक्त अभियान और साइबर युद्ध के बारे में नहीं सोचता. हमें पांच साल पहले कार्रवाई शुरू करनी चाहिए थी लेकिन हमने ऐसा नहीं किया. हालांकि, अगर हम अभी कार्रवाई शुरू नहीं करते हैं, तो देश को बहुत नुकसान हो सकता है.' पूर्व सैनिकों ने भी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के साथ चीन और पाकिस्तान के खतरे पर अपने विचार साझा किए.

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीडीएस संधू के मुताबिक, 'एलएसी की सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि जमीन पर क्या हो रहा है और ये परेशान करने वाला है. सीमा पर क्या हो रहा है, इस बारे में देश को 'तस्वीर' में रखना चाहिए.'

मेजर जनरल बी दयाल ने कहा कि चीन ने 1950 के दशक में ब्रिटिश शासन के दौरान भारत के साथ हुए सभी भूमि समझौतों को रद्द कर दिया था और अब मौजूदा शांति समझौतों का फायदा उठा रहा है.

उन्होंने कहा कि '1967 से 2020 तक चीन के साथ हुई झड़पों में हमने एक भी जान नहीं गंवाई क्योंकि चीन हमसे डरता था. हमें चीन को बताना होगा कि या तो आप हमारे साथ संधि करें या हम आपका बहिष्कार करेंगे.'

राहुल ने कहा, 'अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में सीमा पर जो हो रहा है, उसे लेकर मैं बेहद चिंतित हूं. मैं आपसे प्यार करता हूं और आपका सम्मान करता हूं क्योंकि आप देश की रक्षा करते हैं.'

राहुल गांधी की पूर्व सैनिकों से यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब उन्होंने केंद्र की आलोचना करते हुए कहा था कि जब चीन युद्ध की तैयारी कर रहा था, तब सरकार सीमा पर झड़पों की अनदेखी कर रही थी.

कांग्रेस ने संसद के शीतकालीन सत्र में चीन नीति पर बहस की मांग की थी लेकिन सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए इसके लिए तैयार नहीं हुई. हालांकि, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने टिप्पणी के लिए राहुल की आलोचना की और कहा कि कांग्रेस नेता को भारतीय सैनिकों के लिए 'पिटाई' शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था.

पढ़ें- चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है, सरकार छिपा रही सच्चाई- राहुल गांधी

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने हाल ही में पूर्व सैनिकों के एक समूह से कहा था कि 'भारत, चीन और पाकिस्तान से एक साथ युद्ध के खतरे का सामना कर रहा है (India faces China Pakistan war threat). सीमा पर क्या हो रहा है? सरकार को इस संबंध में जानकारी देश की जनता के साथ साझा करनी चाहिए.'

राहुल ने हाल ही में हरियाणा में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पूर्व सैनिकों के एक समूह को बताया कि 'चीन और पाकिस्तान सैन्य और आर्थिक रूप से एक साथ आ गए हैं. वे हमारे लिए सरप्राइज तैयार कर रहे हैं. सरकार चुप नहीं रह सकती. उसे लोगों को बताना चाहिए कि सीमाओं पर क्या हो रहा है.'

राहुल ने यह भी कहा कि चीन ने लद्दाख में 2000 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है और उसकी सेना भारतीय सीमा के अंदर बैठी है. राहुल ने कहा 'पीएम ने देश से झूठ बोला. उन्होंने कहा कि कोई भी हमारे क्षेत्र में नहीं आया है और न ही किसी ने हमारी जमीन ली है.'

कांग्रेस की ओर से रविवार को बातचीत का एक वीडियो जारी किया गया. बातचीत के दौरान, पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने पूर्व सैनिकों के साथ सीमा की स्थिति, विशेष रूप से 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी घुसपैठ पर चर्चा की.

राहुल चीन नीति को लेकर सरकार पर निशाना साधते रहे हैं. उन्होंने 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के भूमि हड़पने और विशेष रूप से दोनों सेनाओं के बीच खूनी संघर्ष पर भी सवाल उठाए थे. उस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और इतनी ही संख्या में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक मारे गए थे. पीएलए सैनिकों ने जहां जानबूझकर एलएसी का उल्लंघन किया था और गालवान घाटी में उसके बाद हुए खूनी संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों को एक नए स्तर पर गिरा दिया था.

नतीजतन, दोनों सेनाओं के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद आमना-सामना अभी भी खत्म नहीं हुआ है. पूर्वी लद्दाख से पहले 2017 में डोकलाम पठार पर भारत और चीन की सेनाओं का आमना सामना हुआ था.

राहुल ने पूर्व सैनिकों से कहा 'डोकलाम और गलवान की घटनाएं आपस में जुड़ी हुई हैं. वे पाकिस्तान के साथ मिलकर हम पर हमला करने की चीन की रणनीति का हिस्सा हैं.' राहुल ने कहा कि 'भारतीय सीमा की स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्थिति से जुड़ी हुई है.' उन्होंने आगे कहा कि 'भारतीय सीमा की स्थिति बदल गई थी और चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र के अंदर थे.'

राहुल ने याद किया कि उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय में भारत ने एक अलग विदेश नीति अपनाई थी जो पहले दो मोर्चों पर युद्ध और फिर ढाई मोर्चों पर सीमा पर युद्ध पर आधारित थी.

राहुल ने कहा, 'ढाई मोर्चे की धमकी का मतलब चीन, पाकिस्तान और आतंकवाद (सीमा पार से) था. तब हमारी नीति चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों को अलग रखने की थी. आज यह एकल मोर्चे पर युद्ध का खतरा बन गया है.'

राहुल ने कहा 'जब राजीवजी चीन गए थे तो इसके पीछे विचार था कि ये दोनों देश (चीन-पाकिस्तान) अलग रहें. आज चीन और पाकिस्तान मिलकर काम कर रहे हैं. बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में) और ग्वादर बंदरगाह चीन के लिए महत्वपूर्ण हो गए हैं.'

पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि 'जब चीनी आर्थिक प्रणाली वित्तीय और तकनीकी रूप से तेजी से बढ़ रही थी, तब भारतीय अर्थव्यवस्था 2014 से धीमी हो गई थी. इसके अलावा भारत के सामने कई आंतरिक चुनौतियां थीं जैसे कि आपसी कलह, भ्रम और नफरत.' पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने आगाह किया कि भारतीय रणनीति अभी भी पुराने खतरे की धारणा पर आधारित है.

राहुल ने कहा कि 'भारत अभी भी ढाई मोर्चों पर युद्ध के बारे में सोचता है और संयुक्त अभियान और साइबर युद्ध के बारे में नहीं सोचता. हमें पांच साल पहले कार्रवाई शुरू करनी चाहिए थी लेकिन हमने ऐसा नहीं किया. हालांकि, अगर हम अभी कार्रवाई शुरू नहीं करते हैं, तो देश को बहुत नुकसान हो सकता है.' पूर्व सैनिकों ने भी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के साथ चीन और पाकिस्तान के खतरे पर अपने विचार साझा किए.

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीडीएस संधू के मुताबिक, 'एलएसी की सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि जमीन पर क्या हो रहा है और ये परेशान करने वाला है. सीमा पर क्या हो रहा है, इस बारे में देश को 'तस्वीर' में रखना चाहिए.'

मेजर जनरल बी दयाल ने कहा कि चीन ने 1950 के दशक में ब्रिटिश शासन के दौरान भारत के साथ हुए सभी भूमि समझौतों को रद्द कर दिया था और अब मौजूदा शांति समझौतों का फायदा उठा रहा है.

उन्होंने कहा कि '1967 से 2020 तक चीन के साथ हुई झड़पों में हमने एक भी जान नहीं गंवाई क्योंकि चीन हमसे डरता था. हमें चीन को बताना होगा कि या तो आप हमारे साथ संधि करें या हम आपका बहिष्कार करेंगे.'

राहुल ने कहा, 'अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में सीमा पर जो हो रहा है, उसे लेकर मैं बेहद चिंतित हूं. मैं आपसे प्यार करता हूं और आपका सम्मान करता हूं क्योंकि आप देश की रक्षा करते हैं.'

राहुल गांधी की पूर्व सैनिकों से यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब उन्होंने केंद्र की आलोचना करते हुए कहा था कि जब चीन युद्ध की तैयारी कर रहा था, तब सरकार सीमा पर झड़पों की अनदेखी कर रही थी.

कांग्रेस ने संसद के शीतकालीन सत्र में चीन नीति पर बहस की मांग की थी लेकिन सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए इसके लिए तैयार नहीं हुई. हालांकि, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने टिप्पणी के लिए राहुल की आलोचना की और कहा कि कांग्रेस नेता को भारतीय सैनिकों के लिए 'पिटाई' शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था.

पढ़ें- चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है, सरकार छिपा रही सच्चाई- राहुल गांधी

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