नई दिल्ली : विश्व राजनीतिक सोच में बदलाव और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में शक्ति संतुलन (balance of power) के साथ लोकतांत्रिक देशों के बीच एक रणनीतिक बदलाव और नए गठबंधन उभर रहे हैं और ऐसा लगता है कि अब भारत लोकतांत्रिक के रणनीतिक गठबंधन (strategic alliance of democratic countrie) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है.
ईटीवी भारत के साथ एक साक्षात्कार में एक राजनीतिक विचारक और विदेश नीति विशेषज्ञ (foreign policy expert ) डॉ सुवरो कमल दत्ता (Dr SuvroKamal Dutta) ने कहा कि भारत पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे आतंकवादी शासन या चीन जैसे क्रूर तानाशाही शासन के खिलाफ लोकतांत्रिक राष्ट्रों के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरेगा.
यह पिछले कुछ महीनों में भारत के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों द्वारा की गई कई राजनयिक यात्राओं को देखते हुए भारत के साथ द्विपक्षीय और रणनीतिक संबंधों (bilateral and strategic ties) को मजबूत करने के लिए विशेष रूप से दुनिया में चीन के बढ़ते प्रभाव से सामने आ रहा है.
भारत की राजनयिक यात्राओं (diplomatic visits to India) की सूची में कोलंबियाई विदेश मंत्री (Colombian Foreign Minister), उपराष्ट्रपति मार्ता लूसिया रामिरेज (Vice President Marta Lucia Ramirez) द्विपक्षीय चर्चा करने के लिए नई दिल्ली में हैं. आज कोलंबियाई नेता ने नई दिल्ली में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (Vice President M Venkaiah Naidu) से मुलाकात की. उन्होंने उपराष्ट्रपति को कोलंबिया आने का निमंत्रण भी दिया. कोलंबिया के विदेश मंत्री का कल विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (External Affairs Minister Dr S Jaishankar) से भी मिलने का कार्यक्रम है.
कोलंबो और भारत के बीच द्विपक्षीय बैठक मुख्य रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी, वैक्सीन विकास और जैव प्रौद्योगिकी पर केंद्रित होगी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (spokesperson Arindam Bagchi) ने ट्वीट किया कि कोलंबियाई वीपी और विदेशमंत्री लूसिया रामिरेज भारत की अपनी यात्रा के दौरान उपराष्ट्रपति एमवी वेंकैया नायडू से मिले हैं. भारत और कोलंबिया के बीच सहयोग की समीक्षा करने और फिर से मजबूत करने का अवसर.
विशेषज्ञ ने कहा कि कोलम्बिया के विदेश मंत्री की भारत यात्रा बहुत महत्वपूर्ण है. यह हमारे लंबे ऐतिहासिक संबंधों का एक हिस्सा है.
पेरू, कोलंबिया, ब्राजील, इक्वाडोर और कई अन्य दक्षिण अमेरिकी देशों को टीके उपलब्ध कराने के मामले में भारत के योगदान को याद करते हुए, सुवरो कमल दत्ता ने कहा कि ये देश भारत सरकार के लिए अत्यधिक बाध्य थे, क्योंकि जब कोई पश्चिमी देश उन्हें टीके उपलब्ध नहीं करा रहा था, भारत सबसे आगे आया था और उसने न केवल दक्षिण अमेरिकी देशों (South American countries) को बल्कि सभी लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों (Latin American and Caribbean nations) को भी टीके उपलब्ध कराए थे.
उन्होंने कहा कि तब से संबंध अधिक सामंजस्यपूर्ण हो गए हैं और कोलंबिया भारत द्वारा प्रदान किए गए टीकों के मुख्य लाभार्थियों में से एक था. इसलिए इसने रिश्ते को काफी हद तक मजबूत किया है. सभी दक्षिण अमेरिकी देश मानते हैं कि भारत उनका सच्चा मित्र है. इसलिए, ये देश भारत के साथ संबंधों और सहयोग का विस्तार करने के लिए भारत की ओर आ रहे है.
उन्होंने बताया कि अधिकांश दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र चीन के संदिग्ध हित को लेकर संशय में हैं क्योंकि चीन ने अतीत में ब्राजील, कोलंबिया, इक्वाडोर, पेरू में संदिग्ध भूमिका निभाई है. इन देशों को लगता है कि चीन, आर्थिक विकास और निवेश (economic development and investment) की आड़ में अपना प्रभुत्व बढ़ाता है और रिश्तों में हेरफेर करने की कोशिश करता है और फिर वह उन देशों में राजनीतिक शासन को नियंत्रित करने की कोशिश करता है.
दत्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी के हालिया संबोधन ने भारत और बाकी दुनिया के बीच समीकरण के संतुलन को झुका दिया है. इसके अलावा भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान के आतंकवादी शासन (terrorist regime of Taliban) को लेकर तालिबान, पाकिस्तान और चीन के बीच विकसित हुए गठजोड़ से दुनिया भर के सभी लोकतांत्रिक देशों को चीन के बारे में बहुत सावधान कर दिया है.
उन्हें डर है कि चीन दुनिया के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह की गतिविधियां कर सकता है. इसलिए सभी देश चीन को लेकर काफी सतर्क हो गए हैं और उन्हें लगता है कि लोकतांत्रिक देशों को एक साथ आना चाहिए
दत्ता ने कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान में पूरी तरह विफल साबित हुआ है, इसलिए, दक्षिण अमेरिकी देशों, लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों को लगता है कि उन्हें 'व्यापक समीकरण' और 'ताजा राजनीतिक संरेखण' पर गौर करना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि ये देश भारत को एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में देखते हैं और एशिया-प्रशांत डिवीजन (Asia-Pacific division) में भारत एक बहुत शक्तिशाली राष्ट्र है, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रणनीतिक संतुलन और समीकरण को पूरी तरह से बदल दिया है. दत्ता ने दोहराया कि भारत धीरे-धीरे एक बहुत शक्तिशाली देश के रूप में उभर रहा है जो चीन का मुकाबला कर सकता है.
कोलंबिया के विदेश मंत्री रामिरेज ने पहले ट्वीट किया, 'हम एक महत्वपूर्ण गठबंधन को सील करने के लिए भारत पहुंचे, जो हमें कोलंबिया में टीके बनाने की अनुमति देगा.'
इस सप्ताह सोमवार को मीनाक्षी लेखी (Mos MEA Meenakshi Lekhi) ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए कोलंबिया के उपराष्ट्रपति और विदेश मंत्री के साथ बैठक की. बैठक के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए.
कोलंबिया और भारत ने 19 जनवरी 1959 को राजनयिक संबंध स्थापित किए और 2019 में 60 साल पूरे किए. मार्च 1972 में कोलंबिया ने नई दिल्ली में अपना दूतावास खोला.
भारत ने अगले वर्ष कोलंबिया में अपना दूतावास खोला. पिछले कुछ वर्षों में, दोनों देशों के बीच संबंध राजनीतिक, वाणिज्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में पारस्परिक हित के सभी क्षेत्रों में मजबूत और विविधतापूर्ण रहे हैं.