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भारत को महाशक्ति नहीं बल्कि मानवता आधारित व्यवस्था में सहायक पथ प्रदर्शक बनना है : भागवत

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत पर आक्रमण करने वाले ब्रिटिश साम्राज्य में कभी सूर्यास्त नहीं होता था, लेकिन आज स्थितियां बदल गई हैं. भागवत ने कहा, भारत सभी आक्रमणों को झेलने के बाद भी है और आगे बढ़ रहा है, क्योंकि हमारे ऊपर दुनिया का दायित्व है.

सर संघचालक मोहन भागवत
सर संघचालक मोहन भागवत
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Published : Nov 23, 2021, 3:28 AM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने सोमवार को कहा कि भारत लगातार विकास कर रहा है और आने वाले दिनों में यह दुनिया के शिखर पर होगा, लेकिन उसे दुनिया के देशों को जीतकर विश्व की सबसे ब़ड़ी महाशक्ति नहीं बनना, बल्कि देशों को उनकी धार्मिक पद्धति, भाषा, परंपरा, इतिहास के आधार पर मानवता आधारित व्यवस्था बनाने में सहायता करना वाला पथ प्रदर्शक बनना है.

भारत विकास परिषद के संस्थापक डॉ. सूरज प्रकाश जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, भारत को विश्व पर राज नहीं करना है, अपने लिये नहीं जीना है, बल्कि दुनिया और मानवता के लिये जीना है. हमें अपने देश का भारत की नजर से विकास करना है. उन्होंने कहा कि ईरान से लेकर मिस्र तथा स्पेन से लेकर साइबेरिया तक पिछले समय में बदल गए और अब अपनी जड़ों को तलाशना भी चाहें, तब भी नहीं मिलेंगी, लेकिन भारत तमाम आक्रमणों को झेलता आया और अपनी मूल पहचान बचाने में सक्षम हुआ तथा आगे बढ़ रहा है.

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत पर आक्रमण करने वाले ब्रिटिश साम्राज्य में कभी सूर्यास्त नहीं होता था, लेकिन आज स्थितियां बदल गई हैं. भागवत ने कहा, भारत सभी आक्रमणों को झेलने के बाद भी है और आगे बढ़ रहा है, क्योंकि हमारे ऊपर दुनिया का दायित्व है. भारत केवल महाशक्ति बनने के लिये ही नहीं उठ रहा है. हमें महाशक्ति नहीं बनना, बल्कि विश्व गुरू बनना है

उन्होंने कहा, आर्थिक बल, सामरिक शक्ति, देश का प्रकृति अनुकूल विकास, पर्यावरण संरक्षण जैसे सभी क्षेत्रों में भारत को पहले स्थान पर रहना है, लेकिन हमें दुनिया को जीतना नहीं है. भागवत ने कहा कि दुनिया के लोग आएं और भारत से सीखे...हमें इस दिशा में प्रयास करना है.

पढ़ें: जय श्रीराम का नारा तो सभी लगाते हैं, लेकिन उनके जैसा कर्म भी करना चाहिए : भागवत

आरएसएस चीफ ने कहा, भारत लगातार विकास कर रहा है और आने वाले दिनों में यह दुनिया के शिखर पर होगा, ऐसे में हमें दुनिया के देशों को उनकी धार्मिक पद्धति, भाषा, परंपरा, इतिहास के आधार पर मानवता आधारित व्यवस्था बनाने में सहायता करने वाला पथ प्रदर्शक बनना है. उन्होंने कहा कि समाज के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों का यह दायित्व है कि वे समाज को एक दिशा दिखाएं.

पीटीआई-भाषा

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने सोमवार को कहा कि भारत लगातार विकास कर रहा है और आने वाले दिनों में यह दुनिया के शिखर पर होगा, लेकिन उसे दुनिया के देशों को जीतकर विश्व की सबसे ब़ड़ी महाशक्ति नहीं बनना, बल्कि देशों को उनकी धार्मिक पद्धति, भाषा, परंपरा, इतिहास के आधार पर मानवता आधारित व्यवस्था बनाने में सहायता करना वाला पथ प्रदर्शक बनना है.

भारत विकास परिषद के संस्थापक डॉ. सूरज प्रकाश जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, भारत को विश्व पर राज नहीं करना है, अपने लिये नहीं जीना है, बल्कि दुनिया और मानवता के लिये जीना है. हमें अपने देश का भारत की नजर से विकास करना है. उन्होंने कहा कि ईरान से लेकर मिस्र तथा स्पेन से लेकर साइबेरिया तक पिछले समय में बदल गए और अब अपनी जड़ों को तलाशना भी चाहें, तब भी नहीं मिलेंगी, लेकिन भारत तमाम आक्रमणों को झेलता आया और अपनी मूल पहचान बचाने में सक्षम हुआ तथा आगे बढ़ रहा है.

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत पर आक्रमण करने वाले ब्रिटिश साम्राज्य में कभी सूर्यास्त नहीं होता था, लेकिन आज स्थितियां बदल गई हैं. भागवत ने कहा, भारत सभी आक्रमणों को झेलने के बाद भी है और आगे बढ़ रहा है, क्योंकि हमारे ऊपर दुनिया का दायित्व है. भारत केवल महाशक्ति बनने के लिये ही नहीं उठ रहा है. हमें महाशक्ति नहीं बनना, बल्कि विश्व गुरू बनना है

उन्होंने कहा, आर्थिक बल, सामरिक शक्ति, देश का प्रकृति अनुकूल विकास, पर्यावरण संरक्षण जैसे सभी क्षेत्रों में भारत को पहले स्थान पर रहना है, लेकिन हमें दुनिया को जीतना नहीं है. भागवत ने कहा कि दुनिया के लोग आएं और भारत से सीखे...हमें इस दिशा में प्रयास करना है.

पढ़ें: जय श्रीराम का नारा तो सभी लगाते हैं, लेकिन उनके जैसा कर्म भी करना चाहिए : भागवत

आरएसएस चीफ ने कहा, भारत लगातार विकास कर रहा है और आने वाले दिनों में यह दुनिया के शिखर पर होगा, ऐसे में हमें दुनिया के देशों को उनकी धार्मिक पद्धति, भाषा, परंपरा, इतिहास के आधार पर मानवता आधारित व्यवस्था बनाने में सहायता करने वाला पथ प्रदर्शक बनना है. उन्होंने कहा कि समाज के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों का यह दायित्व है कि वे समाज को एक दिशा दिखाएं.

पीटीआई-भाषा

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