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भारत, चीन, पाकिस्तान अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार करते प्रतीत होते हैं: SIPRI अध्ययन

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Published : Jun 15, 2021, 5:11 PM IST

स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान (SIPRI) के एक अध्ययन में जानकारी दी गई है कि चीन, पाकिस्तान और भारत के पास कई परमाणु आयुध हैं और तीनों ही देश परमाणु शस्त्रागारों का विस्तार कर रहे हैं.

परमाणु शस्त्रागार
परमाणु शस्त्रागार

नई दिल्ली : चीन, पाकिस्तान और भारत (india, China and Pakistan) के पास इस साल जनवरी तक क्रमश: 350, 165 और 156 परमाणु आयुध हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि तीनों देश अपने परमाणु शस्त्रागारों (nuclear arsenals) का विस्तार कर रहे हैं. स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान (SIPRI) के एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है.

एसआईपीआरआई के अनुसार, अनुमानित 13,080 वैश्विक परमाणु हथियारों का 90 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा रूस और अमेरिका के पास है.

एसआईपीआरआई के अध्ययन में सोमवार को बताया गया कि पिछले साल जनवरी तक चीन, पाकिस्तान और भारत के पास क्रमशः 320, 160 और 150 परमाणु हथियार थे.

पढ़ें - सेल्स मेन का बेटा उत्कर्ष सेना में बना लेफ्टिनेंट

दुनिया में नौ देशों अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया के पास परमाणु हथियार हैं. अध्ययन में कहा गया है, 'चीन अपने परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण और विस्तार कर रहा है, और भारत और पाकिस्तान भी अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार कर रहे हैं.'

पूर्वी लद्दाख में पांच मई, 2020 को भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुए सैन्य गतिरोध को एक साल से अधिक समय हो गया और इस दौरान दोनों पक्षों के जवान हताहत हुए थे. भारत और पाकिस्तान ने इस साल 25 फरवरी को अपने सैन्य अभियानों के महानिदेशकों के बीच बातचीत के बाद नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम की घोषणा करते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया था.

पढ़ें - चीन का मुकाबला करना नाटो के लिए काफी चुनौतीपूर्ण : विशेषज्ञ

एसआईपीआरई के अध्ययन में उन कच्चे माल के भंडारों के बारे में भी बात की गई है जो अपने परमाणु हथियार बनाने के लिए देशों के पास हैं.

उसने कहा, 'परमाणु हथियारों के लिए कच्चा माल विखंडनीय सामग्री है, यह या तो अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम (एचईयू) है या पृथक प्लूटोनियम ... भारत और इजरायल ने मुख्य रूप से प्लूटोनियम का उत्पादन किया है, और पाकिस्तान ने मुख्य रूप से एचईयू का उत्पादन किया है, लेकिन वह अब प्लूटोनियम का उत्पादन करने की अपनी क्षमता बढ़ा रहा है.'

अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका ने अपने परमाणु हथियारों में उपयोग के लिए एचईयू और प्लूटोनियम दोनों का उत्पादन किया है.

इसमें कहा गया है, 'भारत और पाकिस्तान की सरकारें अपने कुछ मिसाइल परीक्षणों के बारे में बयान देती हैं लेकिन वे अपने (परमाणु) शस्त्रागार की स्थिति या आकार के बारे में कोई जानकारी नहीं देती हैं.'

पढ़ें - अनंतनाग में आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी की

'एसआईपीआरआई ईयरबुक 2021' में उल्लिखित अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया में कुल 13,080 वैश्विक परमाणु आयुधों में से लगभग 2,000 आयुध को 'उच्च परिचालन अलर्ट की स्थिति में रखा गया है.'

उसने यह भी कहा कि सऊदी अरब, भारत, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया और चीन 2016 और 2020 के बीच दुनिया में प्रमुख हथियारों के पांच सबसे बड़े आयातक थे. इस समयावधि में प्रमुख हथियारों के वैश्विक आयात में सऊदी अरब की 11 प्रतिशत और भारत की 9.5 प्रतिशत हिस्सेदारी थी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : चीन, पाकिस्तान और भारत (india, China and Pakistan) के पास इस साल जनवरी तक क्रमश: 350, 165 और 156 परमाणु आयुध हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि तीनों देश अपने परमाणु शस्त्रागारों (nuclear arsenals) का विस्तार कर रहे हैं. स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान (SIPRI) के एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है.

एसआईपीआरआई के अनुसार, अनुमानित 13,080 वैश्विक परमाणु हथियारों का 90 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा रूस और अमेरिका के पास है.

एसआईपीआरआई के अध्ययन में सोमवार को बताया गया कि पिछले साल जनवरी तक चीन, पाकिस्तान और भारत के पास क्रमशः 320, 160 और 150 परमाणु हथियार थे.

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दुनिया में नौ देशों अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया के पास परमाणु हथियार हैं. अध्ययन में कहा गया है, 'चीन अपने परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण और विस्तार कर रहा है, और भारत और पाकिस्तान भी अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार कर रहे हैं.'

पूर्वी लद्दाख में पांच मई, 2020 को भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुए सैन्य गतिरोध को एक साल से अधिक समय हो गया और इस दौरान दोनों पक्षों के जवान हताहत हुए थे. भारत और पाकिस्तान ने इस साल 25 फरवरी को अपने सैन्य अभियानों के महानिदेशकों के बीच बातचीत के बाद नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम की घोषणा करते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया था.

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एसआईपीआरई के अध्ययन में उन कच्चे माल के भंडारों के बारे में भी बात की गई है जो अपने परमाणु हथियार बनाने के लिए देशों के पास हैं.

उसने कहा, 'परमाणु हथियारों के लिए कच्चा माल विखंडनीय सामग्री है, यह या तो अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम (एचईयू) है या पृथक प्लूटोनियम ... भारत और इजरायल ने मुख्य रूप से प्लूटोनियम का उत्पादन किया है, और पाकिस्तान ने मुख्य रूप से एचईयू का उत्पादन किया है, लेकिन वह अब प्लूटोनियम का उत्पादन करने की अपनी क्षमता बढ़ा रहा है.'

अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका ने अपने परमाणु हथियारों में उपयोग के लिए एचईयू और प्लूटोनियम दोनों का उत्पादन किया है.

इसमें कहा गया है, 'भारत और पाकिस्तान की सरकारें अपने कुछ मिसाइल परीक्षणों के बारे में बयान देती हैं लेकिन वे अपने (परमाणु) शस्त्रागार की स्थिति या आकार के बारे में कोई जानकारी नहीं देती हैं.'

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'एसआईपीआरआई ईयरबुक 2021' में उल्लिखित अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया में कुल 13,080 वैश्विक परमाणु आयुधों में से लगभग 2,000 आयुध को 'उच्च परिचालन अलर्ट की स्थिति में रखा गया है.'

उसने यह भी कहा कि सऊदी अरब, भारत, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया और चीन 2016 और 2020 के बीच दुनिया में प्रमुख हथियारों के पांच सबसे बड़े आयातक थे. इस समयावधि में प्रमुख हथियारों के वैश्विक आयात में सऊदी अरब की 11 प्रतिशत और भारत की 9.5 प्रतिशत हिस्सेदारी थी.

(पीटीआई-भाषा)

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