नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि भारत विकास का अधिक प्रभावी इंजन, विश्वसनीय और लचीली आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने की आकांक्षा रखता है.
राष्ट्रीय राजधानी में आसियान-भारत व्यापार शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा, 'भारत का आर्थिक सुधार विनिर्माण, श्रम, कृषि, शिक्षा, कौशल और उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों में सुधार से प्रेरित है. भारत विकास का एक अधिक प्रभावी इंजन और विश्वसनीय और लचीला आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने की आकांक्षा रखता है.'
जयशंकर ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि आसियान भारत के वैश्विक आर्थिक जुड़ाव के प्रमुख केंद्रों में से एक है.
आसियान के साथ सहयोग को पुन: परिकल्पित करने की जरूरत पर दिया बल
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आसियान क्षेत्र भारत के वैश्विक आर्थिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण केंद्र है तथा कोरोना वायरस महामारी ने सहयोग को पुन: परिकल्पित करने एवं आकांक्षाओं को बढ़ाने की जरूरत को रेखांकित किया है.
भारतीय उद्योग परिसंघ को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि आसियान का हिन्द प्रशांत क्षेत्र के केंद्र में होना तथा भारत एवं समूह के बीच संबंधों का महत्व स्वयं को प्रमाणित करता है.
उन्होंने कहा कि किंतु यदि इन संबंधों की प्रमुखता को बनाए रखना है तो उन विचारों एवं परिकल्पनाओं की परधि से बाहर जाने का प्रयास करना होगा, जिनकी अवधि बीत चुकी है .
उल्लेखनीय है कि 10 देशों के दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) को क्षेत्र में एक प्रभावशाली समूह माना जाता है जिसमें भारत के अलावा अमेरिका, चीन, जापान, आस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश संवाद भागीदार के रूप में शामिल हैं .
विदेश मंत्री ने कहा कि यह वृहद क्षेत्र महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है और महामारी ने स्पष्ट तौर पर इसकी गति को तेज किया है.
उन्होंने कहा, 'यह महत्वपूर्ण है कि हम... भारत, आसियान और हमारे संबंध..इस बात को समझे कि एक अगल दुनिया हमारी प्रतीक्षा कर रही है. यह एक ऐसी दुनिया है जो विश्वास, पारदर्शिता, लचीलेपन और भरोसा को अधिक महत्व देती है, साथ ही विकल्पों और बाहुल्य को भी.'
जयशंकर ने कहा, 'हमारे समसामयिक संवाद तभी प्रासंगिक होंगे जब हम इन उभरती हुए सरोकारों पर पर्याप्त रूप से ध्यान देंगे.' उन्होंने कहा कि आसियान के साथ भारत के संबंधों की जड़ें इतिहास, भूगोल और संस्कृति से जुड़ी हैं और आपसी हितों एवं घटनाक्रम के संबंध में क्षमताओं को लेकर हाल के वर्षो में बढ़ती जागरूकता ने इन्हें ऊर्जा प्रदान की है.
विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले 25 वर्ष की अवधि में दोनों पक्षों के बीच सहयोग बढ़ने से समन्वय और गठजोड़ एवं सुरक्षा के लिए नये आयाम खुले हैं .
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उन्होंने कहा, 'इसके परिणामस्वरूप हमारी 'लुक ईस्ट पालिसी' परिपक्व होकर 'एक्ट ईस्ट पालिसी' में परिवर्तित हो गई है. इसकी सफलता के कारण भारत की हिन्द प्रशांत क्षेत्र में उपस्थिति अधिक समग्र रूप से हुई है. इसमें कोई शक नहीं है कि आसियान, भारत के वैश्विक आर्थिक संबंधों को लेकर एक महत्वपूर्ण केंद्र है.'
जयशंकर ने कहा, 'जैसे जैसे इसका विकास होगा, स्वभाविक है कि हम अपनी उन आकांक्षाओं के स्तर पर पुनर्विचार करेंगे जो अपनी भागीदारी के लिए निर्धारित की हैं. यह इस क्षेत्र में स्वायत्त बदलाव से भी प्रभावित है. लेकिन जिस बात ने इस उद्देश्य की तात्कालिकता की जरूरत पर बल दिया है, वह कोविड-19 महामरी के मद्देनजर सहयोग को पुन: परिकल्पित करना है.'
विदेश मंत्री ने कहा कि एक संकट अक्सर रचनात्मकता का आधार बन सकता है और महामारी से मजबूती से बाहर निकलने का प्रयास करना चाहिए.
10 देशों का समूह है आसियान
गौरतलब है कि 10 देशों के आसियान समूह में इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, फिलीपीन, मलेशिया, ब्रूनेई, लाओस, म्यामां और कंबोडिया शामिल हैं . भारत और आसियान के बीच पिछले कुछ वर्षो में संबंधों मजबूत हुए हैं और इनके बीच कारोबार, निवेश सहित सुरक्षा एवं रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. भारत सहित आसियान क्षेत्र की संयुक्त आबादी 1.85 अरब है और इनका संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 3.8 ट्रिलियन डालर है.