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आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत तय संकेतकों में सुधार की जरुरत: यूएनडीपी रिपोर्ट - United Nations Development Programme

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की रिपोर्ट के अनुसार आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) के तहत संकेतकों को नये सिरे से तय करने की जरुरत है. साथ ही प्रतिस्पर्धात्मक सोच पर भी ध्यान कम करने की जरुरत है ताकि जिलों के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. यूएनडीपी की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में यह सुझाव दिए गए हैं.

यूएनडीपी रिपोर्ट
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Published : Jun 12, 2021, 8:07 AM IST

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की रिपोर्ट के अनुसार आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) के तहत संकेतकों को नये सिरे से तय करने की जरुरत है. साथ ही प्रतिस्पर्धात्मक सोच पर भी ध्यान कम करने की जरुरत है ताकि जिलों के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. यूएनडीपी की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में यह सुझाव दिए गए हैं.

ये सुझाव आकांक्षी जिला कार्यक्रम की शुक्रवार को जारी आकलन रिपार्ट का हिस्सा हैं.

बता दें, सरकार ने आकांक्षी जिला कार्यक्रम जनवरी 2018 में शुरू किया. इस कार्यक्रम का मकसद विकास के अहम मानदंडों में पिछड़े 28 राज्यों के 112 आकांक्षी जिलों में सुधार लाना है.

यूएनडीपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कई हितधारकों के साथ चर्चा में कार्यक्रम के लिये तय संकेतकों में संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है. साथ ही प्रतिस्पर्धी दृष्टिकोण को लेकर कम ध्यान देने की जरूरत सामने आई है. क्योंकि इससे जिलों द्वारा गलत जानकारी देने की संभावना है.

इसके अलावा और प्रशिक्षण और सीखने के कार्यक्रमों की भी आवश्यकता है. यूएनडीपी ने कहा कि एडीपी का एक नुकसान यह है कि जिलों के बीच असमानताएं हैं. जो निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और तुलना को नहीं दर्शाता है. इन मसलों का हल करने के लिए जिलों को उनकी सामान्य विशेषताओं के आधार पर एक साथ समूहीकृत किया जा सकता है और तदनुसार समर्थित किया जा सकता है.

रिपोर्ट में पाया कि जिलों में जिला और ब्लॉक स्तर पर मानव संसाधन और तकनीकी क्षमताओं की कमी रही है. इसमें कहा गया है कि जिलों को प्रभारी अधिकारी और नीति आयोग से समर्थन मिला है फिर भी जमीनी सतर पर क्षमता निर्माण की आवश्यकता है. इसके लिये एक आकांक्षी जिला सहकर्मी अथवा कार्यक्रम के प्रतिनिधि को जिले में तैनात किया जा सकता है.

एनडीपी ने हालांकि रिपोर्ट में कहा है कि एडीपी से आकांक्षी जिलों में विकास की गति तेज करने में मदद मिली है. स्वास्थ्य देखभाल और पोषण, शिक्षा और कुछ हद तक कृषि और जल संसाधनों जैसे कुछ क्षेत्रों में कुछ बड़े बदलाव देखे गए हैं.

यूएनडीपी ने कहा है कि यह उत्साहवर्धक है क्योंकि विकास का आकलन करने के लिये यह काफी अहम क्षेत्र हैं. उसके अनुसार मूल ढांचागत सुविधाओं, वित्तीय समावेश और कौशल विकास के क्षेत्र में भी संकेतकों में सुधार हासिल किया गया है.

यूएनडीपी ने कहा कि प्रभारी कार्यालयों और निति आयोग के समर्थन के बावजूद जमीनी स्तर पर क्षमता निर्माण की आवश्यकता है.

यूएनडीपी के मुताबिक प्रतिस्पर्धा, गठबंधन और समावेश इन तीन रुझानों में से ज्यादातर पक्षकारों ने जिनसे बातचीत की गई विभिन्न कार्यों का एक जगह समावेश करने को ही सबसे अहम कदम बताया जिससे जिलों का प्रदर्शन बेहतर हुआ है.

पढ़ें : प्रधानमंत्री मोदी 47वें G7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्रों को करेंगे संबोधित

रिपोर्ट में शीर्ष नेतृत्व की प्रशंसा करते हुये कहा गया है कि इस कार्यक्रम की सफलता के पीछे जो सबसे बड़ी बात है जिसका बड़ा योगदान रहा है, वह है शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व द्वारा देश के अल्पविकसित क्षेत्रों में तेज प्रगति के लिये प्रतिबद्धता के साथ काम करना. इसमें प्रधानमंत्री के सतर पर कार्यक्रम की नियमित तौर पर निगरानी भी महत्वपूर्ण रही है.

(भाषा)

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की रिपोर्ट के अनुसार आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) के तहत संकेतकों को नये सिरे से तय करने की जरुरत है. साथ ही प्रतिस्पर्धात्मक सोच पर भी ध्यान कम करने की जरुरत है ताकि जिलों के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. यूएनडीपी की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में यह सुझाव दिए गए हैं.

ये सुझाव आकांक्षी जिला कार्यक्रम की शुक्रवार को जारी आकलन रिपार्ट का हिस्सा हैं.

बता दें, सरकार ने आकांक्षी जिला कार्यक्रम जनवरी 2018 में शुरू किया. इस कार्यक्रम का मकसद विकास के अहम मानदंडों में पिछड़े 28 राज्यों के 112 आकांक्षी जिलों में सुधार लाना है.

यूएनडीपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कई हितधारकों के साथ चर्चा में कार्यक्रम के लिये तय संकेतकों में संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है. साथ ही प्रतिस्पर्धी दृष्टिकोण को लेकर कम ध्यान देने की जरूरत सामने आई है. क्योंकि इससे जिलों द्वारा गलत जानकारी देने की संभावना है.

इसके अलावा और प्रशिक्षण और सीखने के कार्यक्रमों की भी आवश्यकता है. यूएनडीपी ने कहा कि एडीपी का एक नुकसान यह है कि जिलों के बीच असमानताएं हैं. जो निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और तुलना को नहीं दर्शाता है. इन मसलों का हल करने के लिए जिलों को उनकी सामान्य विशेषताओं के आधार पर एक साथ समूहीकृत किया जा सकता है और तदनुसार समर्थित किया जा सकता है.

रिपोर्ट में पाया कि जिलों में जिला और ब्लॉक स्तर पर मानव संसाधन और तकनीकी क्षमताओं की कमी रही है. इसमें कहा गया है कि जिलों को प्रभारी अधिकारी और नीति आयोग से समर्थन मिला है फिर भी जमीनी सतर पर क्षमता निर्माण की आवश्यकता है. इसके लिये एक आकांक्षी जिला सहकर्मी अथवा कार्यक्रम के प्रतिनिधि को जिले में तैनात किया जा सकता है.

एनडीपी ने हालांकि रिपोर्ट में कहा है कि एडीपी से आकांक्षी जिलों में विकास की गति तेज करने में मदद मिली है. स्वास्थ्य देखभाल और पोषण, शिक्षा और कुछ हद तक कृषि और जल संसाधनों जैसे कुछ क्षेत्रों में कुछ बड़े बदलाव देखे गए हैं.

यूएनडीपी ने कहा है कि यह उत्साहवर्धक है क्योंकि विकास का आकलन करने के लिये यह काफी अहम क्षेत्र हैं. उसके अनुसार मूल ढांचागत सुविधाओं, वित्तीय समावेश और कौशल विकास के क्षेत्र में भी संकेतकों में सुधार हासिल किया गया है.

यूएनडीपी ने कहा कि प्रभारी कार्यालयों और निति आयोग के समर्थन के बावजूद जमीनी स्तर पर क्षमता निर्माण की आवश्यकता है.

यूएनडीपी के मुताबिक प्रतिस्पर्धा, गठबंधन और समावेश इन तीन रुझानों में से ज्यादातर पक्षकारों ने जिनसे बातचीत की गई विभिन्न कार्यों का एक जगह समावेश करने को ही सबसे अहम कदम बताया जिससे जिलों का प्रदर्शन बेहतर हुआ है.

पढ़ें : प्रधानमंत्री मोदी 47वें G7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्रों को करेंगे संबोधित

रिपोर्ट में शीर्ष नेतृत्व की प्रशंसा करते हुये कहा गया है कि इस कार्यक्रम की सफलता के पीछे जो सबसे बड़ी बात है जिसका बड़ा योगदान रहा है, वह है शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व द्वारा देश के अल्पविकसित क्षेत्रों में तेज प्रगति के लिये प्रतिबद्धता के साथ काम करना. इसमें प्रधानमंत्री के सतर पर कार्यक्रम की नियमित तौर पर निगरानी भी महत्वपूर्ण रही है.

(भाषा)

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