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G20 Leadership : कांग्रेस बोली, 'ग्लोबल साउथ में कुछ भी नया नहीं, भारत पहले भी विकासशील देशों की उठाता रहा है आवाज' - G20 leadership

कांग्रेस ने कहा है कि सरकार जी20 नेतृत्व को उससे भी अधिक शक्तिशाली बनाने की कोशिश में कहीं अधिक आगे बढ़ गई है. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 10, 2023, 3:14 PM IST

Updated : Sep 10, 2023, 3:29 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने रविवार को कहा कि भारत हमेशा गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) जैसे मंचों के माध्यम से विकासशील देशों की आवाज रहा है और सरकार जी20 के नेतृत्व को लेकर थोड़ा अतिरंजित हो गई है क्योंकि ग्लोबल साउथ की अवधारणा पुरानी है. इस बारे में कांग्रेस नेता सलमान सोज (Congress leaders Salman Soz) ने कहा कि मुझे लगता है कि एक मामले में सरकार जी20 नेतृत्व को उससे भी अधिक शक्तिशाली बनाने की कोशिश में आगे बढ़ गई है. पिछले साल इंडोनेशिया जी20 का नेता था और अगले साल ब्राजील इसकी कमान संभालेगा. क्या इसका मतलब यह है कि इंडोनेशिया और ब्राजील भारत के समान हैं? अतीत में, अमेरिका और कनाडा ने समूह का नेतृत्व किया है और भविष्य में चीन इस पर कब्ज़ा जमा सकता है क्योंकि यह अध्यक्ष का पद का रोटेशन होता है.

उन्होंने ग्लोबल साउथ को लेकर कहा कि मूल रूप से इसमें एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के विकासशील देश हैं. वहीं भारत हमेशा एनएएम का नेता रहा है जिसने विकासशील देशों की आवाज़ उठाई है. कांग्रेस नेता के अनुसार भारत वास्तव में तथाकथित ग्लोबल साउथ में दो मुख्य प्लेयर में से एक है, दूसरा चीन है. लेकिन कोई भी विकासशील देशों की आवाज बनने के भारत के अधिकार को नहीं छीन सकता है.

चीन के अफ्रीकी देशों और लैटिन अमेरिका के साथ गहरे संबंध हैं. लेकिन भारत जो कहेगा उस पर सहमत होना इन देशों के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि तथाकथित ग्लोबल साउथ के देशों के साथ चीन के रिश्ते तल्ख हैं. हालांकि, विकासशील विश्व में भारत का अपना स्थान और कद है. वास्तव में भारत की किसी बात पर सहमति के बिना कुछ नहीं हो सकता. भारत ऐसे किसी भी मंच पर अपनी बात मनवा सकता है और जोरदार आवाज उठाएगा जहां विकासशील देशों के अधिकार शामिल हों. यहां तक ​​कि चीन भी उसे छीन नहीं सकता. भारत एक प्रमुख एशियाई शक्ति है और रहेगा.

कांग्रेस नेता ने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन के मेजबान के रूप में भारत के पास चुनिंदा मुद्दों पर विभिन्न देशों को एकजुट करने का अवसर है. महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रत्येक मेजबान के पास कुछ मुद्दों पर विभिन्न देशों को एक साथ लाने का अवसर है. उदाहरण के लिए अफ्रीकी संघ का जी20 का हिस्सा बनना एक स्वागत योग्य कदम है. इसी तरह जलवायु परिवर्तन से निपटने के सभी नहीं तो कुछ पहलुओं पर समझौते हो सकते हैं. आईएमएफ जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार के लिए भी यही बात लागू होती है. सोज ने कहा कि ऐसी कई चीज़ें हैं जो हमें विभाजित करने वाली चीज़ों की तुलना में एकजुट करती हैं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किए. तथाकथित ग्लोबल साउथ में कई देश हैं. कोई नेतृत्व का पद तो ले सकता है लेकिन नेता नहीं बन सकता. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कई अन्य संप्रभु देश हैं. निश्चित रूप से 2023 जी20 शिखर सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण है. यह एक आगे की छलांग है. इंडोनेशिया में पिछले शिखर सम्मेलन में लगभग 35 सार्वजनिक कार्यक्रम थे. लेकिन इस बार इसकी संख्या लगभग 200 है. इसलिए, आकार और पैमाना दोनों महत्वपूर्ण हैं लेकिन हमें अन्य देशों के प्रति सम्मानजनक होना होगा.

सोज और शर्मा दोनों के अनुसार जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से निपटने पर भारत की स्थिति सुसंगत रही है. जलवायु परिवर्तन पर भारत की स्थिति स्पष्ट रही है. पश्चिम ने सबसे पहले समस्या पैदा की और इसलिए चुनौती से निपटने के लिए सबसे अधिक प्रयास करना चाहिए. यह रुख हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया जाएगा. शर्मा ने कहा कि मुद्दा जटिल है लेकिन विकसित दुनिया ने जलवायु परिवर्तन की चुनौती में योगदान दिया है जिसका सामना सभी कर रहे हैं.

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नई दिल्ली : कांग्रेस ने रविवार को कहा कि भारत हमेशा गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) जैसे मंचों के माध्यम से विकासशील देशों की आवाज रहा है और सरकार जी20 के नेतृत्व को लेकर थोड़ा अतिरंजित हो गई है क्योंकि ग्लोबल साउथ की अवधारणा पुरानी है. इस बारे में कांग्रेस नेता सलमान सोज (Congress leaders Salman Soz) ने कहा कि मुझे लगता है कि एक मामले में सरकार जी20 नेतृत्व को उससे भी अधिक शक्तिशाली बनाने की कोशिश में आगे बढ़ गई है. पिछले साल इंडोनेशिया जी20 का नेता था और अगले साल ब्राजील इसकी कमान संभालेगा. क्या इसका मतलब यह है कि इंडोनेशिया और ब्राजील भारत के समान हैं? अतीत में, अमेरिका और कनाडा ने समूह का नेतृत्व किया है और भविष्य में चीन इस पर कब्ज़ा जमा सकता है क्योंकि यह अध्यक्ष का पद का रोटेशन होता है.

उन्होंने ग्लोबल साउथ को लेकर कहा कि मूल रूप से इसमें एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के विकासशील देश हैं. वहीं भारत हमेशा एनएएम का नेता रहा है जिसने विकासशील देशों की आवाज़ उठाई है. कांग्रेस नेता के अनुसार भारत वास्तव में तथाकथित ग्लोबल साउथ में दो मुख्य प्लेयर में से एक है, दूसरा चीन है. लेकिन कोई भी विकासशील देशों की आवाज बनने के भारत के अधिकार को नहीं छीन सकता है.

चीन के अफ्रीकी देशों और लैटिन अमेरिका के साथ गहरे संबंध हैं. लेकिन भारत जो कहेगा उस पर सहमत होना इन देशों के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि तथाकथित ग्लोबल साउथ के देशों के साथ चीन के रिश्ते तल्ख हैं. हालांकि, विकासशील विश्व में भारत का अपना स्थान और कद है. वास्तव में भारत की किसी बात पर सहमति के बिना कुछ नहीं हो सकता. भारत ऐसे किसी भी मंच पर अपनी बात मनवा सकता है और जोरदार आवाज उठाएगा जहां विकासशील देशों के अधिकार शामिल हों. यहां तक ​​कि चीन भी उसे छीन नहीं सकता. भारत एक प्रमुख एशियाई शक्ति है और रहेगा.

कांग्रेस नेता ने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन के मेजबान के रूप में भारत के पास चुनिंदा मुद्दों पर विभिन्न देशों को एकजुट करने का अवसर है. महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रत्येक मेजबान के पास कुछ मुद्दों पर विभिन्न देशों को एक साथ लाने का अवसर है. उदाहरण के लिए अफ्रीकी संघ का जी20 का हिस्सा बनना एक स्वागत योग्य कदम है. इसी तरह जलवायु परिवर्तन से निपटने के सभी नहीं तो कुछ पहलुओं पर समझौते हो सकते हैं. आईएमएफ जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार के लिए भी यही बात लागू होती है. सोज ने कहा कि ऐसी कई चीज़ें हैं जो हमें विभाजित करने वाली चीज़ों की तुलना में एकजुट करती हैं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किए. तथाकथित ग्लोबल साउथ में कई देश हैं. कोई नेतृत्व का पद तो ले सकता है लेकिन नेता नहीं बन सकता. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कई अन्य संप्रभु देश हैं. निश्चित रूप से 2023 जी20 शिखर सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण है. यह एक आगे की छलांग है. इंडोनेशिया में पिछले शिखर सम्मेलन में लगभग 35 सार्वजनिक कार्यक्रम थे. लेकिन इस बार इसकी संख्या लगभग 200 है. इसलिए, आकार और पैमाना दोनों महत्वपूर्ण हैं लेकिन हमें अन्य देशों के प्रति सम्मानजनक होना होगा.

सोज और शर्मा दोनों के अनुसार जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से निपटने पर भारत की स्थिति सुसंगत रही है. जलवायु परिवर्तन पर भारत की स्थिति स्पष्ट रही है. पश्चिम ने सबसे पहले समस्या पैदा की और इसलिए चुनौती से निपटने के लिए सबसे अधिक प्रयास करना चाहिए. यह रुख हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया जाएगा. शर्मा ने कहा कि मुद्दा जटिल है लेकिन विकसित दुनिया ने जलवायु परिवर्तन की चुनौती में योगदान दिया है जिसका सामना सभी कर रहे हैं.

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Last Updated : Sep 10, 2023, 3:29 PM IST
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