जयपुर. राजस्थान में 16वीं विधानसभा के लिए नए मुख्यमंत्री के चयन के बाद विधानसभा को सत्र बुलाया जाएगा, जिसमें सभी नए विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी. इसके लिए प्रोटेम स्पीकर के रूप में पूर्व मंत्री व वरिष्ठ विधायक कालीचरण सराफ को चुना गया, जिन्होंने सोमवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मौजूदगी में राजभवन में शपथ ली. सराफ को राज्यपाल कलराज मिश्र ने शपथ दिलाई. वहीं, राज्यपाल ने उनके साथ सहयोग के लिए तीन सदस्यीय पैनल भी बनाया है. इसमें वरिष्ठ विधायक दयाराम परमार, प्रताप सिंह सिंघवी और डॉ. किरोड़ी लाल मीणा शामिल हैं.
10 नामों का पैनल : राजस्थान में नई सरकार के गठन और विधानसभा के पहले सत्र की चर्चा के बीच एक सवाल बार-बार उठ रहा था कि प्रदेश का अगला प्रोटेम स्पीकर कौन होगा? इन सब के बीच पूर्व मंत्री व वरिष्ठ विधायक कालीचरण सराफ को राज्यपाल ने इस पद पर नियुक्त किया. प्रोटेम स्पीकर ही सभी निर्वाचित सदस्यों को विधानसभा के सदस्य के रूप में शपथ दिलाएंगे.
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बता दें कि राज्यपाल कलराज मिश्र ने प्रोटेम स्पीकर तय करने के लिए सदन के सबसे अधिक अनुभवी विधायकों के नाम मांगे थे. विधानसभा सचिन महावीर प्रसाद शर्मा ने विधानसभा में सबसे अधिक अनुभवी नामों के आधार पर प्राथमिकता से 10 नामों की सूची राजभवन को भेज दी थी, जिसमें सबसे अधिक अनुभवी विधायक कालीचरण सराफ का नाम सबसे ऊपर था. उसके बाद दयाराम परमार, अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे, श्रवण कुमार, प्रताप सिंह सिंघवी, राजेंद्र पारीक, वासुदेव देवनानी, पुष्पेंद्र राणावत आदि के नाम भी शामिल रहे. वहीं, राज्यपाल ने प्रोटेम स्पीकर के लिए कालीचरण सराफ के नाम को फाइनल किया और उन्हें शपथ दिलाई.
क्या होता है प्रोटेम स्पीकर : कई बार सवाल उठता है कि प्रोटेम स्पीकर कौन सा पद है ? प्रोटेम स्पीकर का काम क्या है और वो विधानसभा अध्यक्ष से कैसे अलग होता है ? तो बता दें कि लोकसभा से लेकर देश के सभी राज्यों की विधानसभाओं में प्रोटेम स्पीकर बनाए जाते हैं. अब तक की परंपरा यही रही है कि चुनाव जीतकर आए सबसे वरिष्ठ विधायक को ही प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है. विधानसभा सचिवालय की ओर से वरिष्ठ विधायकों का एक पैनल राजभवन सचिवालय को भेजता है. राज्यपाल वरिष्ठता की गणना आयु से नहीं करके, बल्कि संसदीय अनुभव से करते हुए प्रोटेम स्पीकर को चुनते हैं और उन्हें शपथ दिलाते हैं.