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BJP के अलावा सभी पार्टियाें के निशाने पर कैप्टन, बदलेंगे सियासी समीकरण! - कांग्रेस पार्टी

कैप्टन अमरिंदर सिंह के नई पार्टी बनाने के एलान और भाजपा का उन्हें देशभक्त बताना पंजाब की सियासत को गर्मा गया है. कैप्टन अमरिंदर पर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने निशाना साधा है.

कैप्टन अमरिंदर सिंह
कैप्टन अमरिंदर सिंह
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Published : Oct 22, 2021, 10:01 PM IST

चंड़ीगढ़ : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अब अन्य दलों के निशाने पर हैं. कांग्रेस समेत सभी दल उन पर हमलावर हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ से नई राजनैतिक पार्टी बनाने के एलान और भाजपा के साथ जाने के संकेत के बाद पंजाब में राजनैतिक समीकरण बदलते नज़र आ रहे हैं. हालांकि कैप्टन अमरिंदर सिंह पहली बार कोई राजनैतिक पार्टी नहीं बना रहे, इससे पहले भी शिरोमणी अकाली दल काबिल नाम से पार्टी बनाई थी, लेकिन पंजाब के लोगों ने ज्यादा तरजीह नहीं दी थी.

अमरिंदर के पुराने साथी रहे, पंजाब के मौजूदा डिप्टी सीएम सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने कहा है कि कैप्टन ने कांग्रेस पार्टी की पीठ में छुरा मारा है. इसी तरह अकाली दल की बठिंडा से सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि पंजाब की कांग्रेस सरकार का रिमोट केंद्र की भाजपा सरकार के हाथ में रहा है. इससे पहले भी कैप्टन अमरिंदर सिंह कई बार भाजपा के सीनियर लीडरशिप के साथ मुलाकातें करते रहे हैं.

आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि 'आप' को पंजाब में रोकनो के लिए पहले ही तीन राजनैतिक पार्टियां सक्रिय हैं, यदि कैप्टन अमरिंदर सिंह चौथी पार्टी बनाते हैं तो भी पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आने से नहीं रोक सकते.

ढींडसा की पार्टी का क्या होगा असर
उधर, शिरोमणी अकाली दल बादल से अलग हुए सुखदेव सिंह ढींडसा की तरफ से भी राजनैतिक पार्टी बनाई गई है, जिस का नाम शिरोमणी अकाली दल टकसाली रखा गया है और उनकी तरफ से भी अपने आप को तीसरे बादल के तौर पर पेश किया जा रहा है. लेकिन फ़िलहाल इनकी राजनैतिक पार्टी का कोई बहुत प्रभाव रसूख लोगों में देखने को नहीं मिल रहा.

मनप्रीत बादल ने भी बनाई थी पार्टी
मनप्रीत सिंह बादल की तरफ से शिरोमणी अकाली दल को अलविदा कह पंजाब पीपलज़ पार्टी का गठन किया गया था. 2012 के विधानसभा चुनाव में इसका फ़ायदा शिरोमणी अकाली दल बादल को मिला और उन्होंने बहुमत के साथ सरकार बनाई. फिर मनप्रीत सिंह बादल ने पंजाब पीपलज़ पार्टी को भंग कर कांग्रेस का 'हाथ' पकड़ लिया. 2017 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने चुनाव लड़ा और विरोधी पक्ष का रुतबा हासिल किया.

कुल मिलाकर सवाल ये भी है कि जब कृषि बिलों के विरोध में जहां देश भर की किसान जत्थेबंदियां आंदोलन कर रही हैं, ऐसे में कैप्टन अगर भाजपा से गठजोड़ करेंगे तो क्या उनके लिए आसान होगा. पश्चिमी बंगाल विधान सभा चुनाव में किसान जत्थेबंदियाें भाजपा के विरुद्ध प्रचार किया था. यही वजह रही कि भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा. अब किसानों की तरफ से पंजाब और यूपी के चुनाव में भी भाजपा के विरुद्ध प्रचार करने का एलान किया गया है. लगातार महापंचायतें की जा रही हैं.

2017 में किसे मिले कितने वोट
यदि 2017 पंजाब विधानसभा मतदान की बात करें तो कांग्रेस को 38.64 प्रतीशत वोट पोल हुए थे. आम आदमी पार्टी और लोग इंसाफ़ पार्टी के गठजोड़ को 25.03 प्रतिशत और शिरोमणी अकाली दल और भाजपा गठजोड को 30.74 प्रतिशत वोट पोल हुई थी.

पढ़ें- अमरिंदर देशभक्त, देशहित सर्वोपरि रखने वालों के साथ BJP गठबंधन को तैयार : दुष्यंत गौतम

पढ़ें- कैप्टन-अरूसा की दोस्ती पर पंजाब के उप मुख्यमत्री ने उठाए सवाल, मिला ऐसा जवाब

चंड़ीगढ़ : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अब अन्य दलों के निशाने पर हैं. कांग्रेस समेत सभी दल उन पर हमलावर हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ से नई राजनैतिक पार्टी बनाने के एलान और भाजपा के साथ जाने के संकेत के बाद पंजाब में राजनैतिक समीकरण बदलते नज़र आ रहे हैं. हालांकि कैप्टन अमरिंदर सिंह पहली बार कोई राजनैतिक पार्टी नहीं बना रहे, इससे पहले भी शिरोमणी अकाली दल काबिल नाम से पार्टी बनाई थी, लेकिन पंजाब के लोगों ने ज्यादा तरजीह नहीं दी थी.

अमरिंदर के पुराने साथी रहे, पंजाब के मौजूदा डिप्टी सीएम सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने कहा है कि कैप्टन ने कांग्रेस पार्टी की पीठ में छुरा मारा है. इसी तरह अकाली दल की बठिंडा से सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि पंजाब की कांग्रेस सरकार का रिमोट केंद्र की भाजपा सरकार के हाथ में रहा है. इससे पहले भी कैप्टन अमरिंदर सिंह कई बार भाजपा के सीनियर लीडरशिप के साथ मुलाकातें करते रहे हैं.

आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि 'आप' को पंजाब में रोकनो के लिए पहले ही तीन राजनैतिक पार्टियां सक्रिय हैं, यदि कैप्टन अमरिंदर सिंह चौथी पार्टी बनाते हैं तो भी पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आने से नहीं रोक सकते.

ढींडसा की पार्टी का क्या होगा असर
उधर, शिरोमणी अकाली दल बादल से अलग हुए सुखदेव सिंह ढींडसा की तरफ से भी राजनैतिक पार्टी बनाई गई है, जिस का नाम शिरोमणी अकाली दल टकसाली रखा गया है और उनकी तरफ से भी अपने आप को तीसरे बादल के तौर पर पेश किया जा रहा है. लेकिन फ़िलहाल इनकी राजनैतिक पार्टी का कोई बहुत प्रभाव रसूख लोगों में देखने को नहीं मिल रहा.

मनप्रीत बादल ने भी बनाई थी पार्टी
मनप्रीत सिंह बादल की तरफ से शिरोमणी अकाली दल को अलविदा कह पंजाब पीपलज़ पार्टी का गठन किया गया था. 2012 के विधानसभा चुनाव में इसका फ़ायदा शिरोमणी अकाली दल बादल को मिला और उन्होंने बहुमत के साथ सरकार बनाई. फिर मनप्रीत सिंह बादल ने पंजाब पीपलज़ पार्टी को भंग कर कांग्रेस का 'हाथ' पकड़ लिया. 2017 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने चुनाव लड़ा और विरोधी पक्ष का रुतबा हासिल किया.

कुल मिलाकर सवाल ये भी है कि जब कृषि बिलों के विरोध में जहां देश भर की किसान जत्थेबंदियां आंदोलन कर रही हैं, ऐसे में कैप्टन अगर भाजपा से गठजोड़ करेंगे तो क्या उनके लिए आसान होगा. पश्चिमी बंगाल विधान सभा चुनाव में किसान जत्थेबंदियाें भाजपा के विरुद्ध प्रचार किया था. यही वजह रही कि भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा. अब किसानों की तरफ से पंजाब और यूपी के चुनाव में भी भाजपा के विरुद्ध प्रचार करने का एलान किया गया है. लगातार महापंचायतें की जा रही हैं.

2017 में किसे मिले कितने वोट
यदि 2017 पंजाब विधानसभा मतदान की बात करें तो कांग्रेस को 38.64 प्रतीशत वोट पोल हुए थे. आम आदमी पार्टी और लोग इंसाफ़ पार्टी के गठजोड़ को 25.03 प्रतिशत और शिरोमणी अकाली दल और भाजपा गठजोड को 30.74 प्रतिशत वोट पोल हुई थी.

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