नई दिल्ली : सशस्त्र बलों के संयुक्त अभियानों के दौरान अनुशासन बनाये रखने के लिए त्वरित कार्रवाई के प्रावधान वाले 'अंतर सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023' को लोकसभा ने शुक्रवार को पारित कर दिया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में मणिपुर के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच विधेयक को चर्चा और पारित करने के लिए रखा. इस पर हुई संक्षिप्त चर्चा पर रक्षा मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी.
सदन में सत्तापक्ष की अग्रिम पंक्ति में बैठने वाले रक्षा मंत्री और सदन के उपनेता राजनाथ सिंह ने आसन के समीप विपक्षी सदस्यों के नारेबाजी करने और तख्तियां दिखाने के कारण पीछे की पंक्ति में जाकर विधेयक प्रस्तुत किया और उस पर हुई चर्चा का जवाब दिया. उन्होंने अपने उत्तर में कहा कि यह विधेयक मौजूदा सेना संबंधी कानूनों में किसी भी तरह के बदलाव का प्रस्ताव नहीं करता और केंद्र सरकार को अंतर सेना संगठनों के गठन की शक्ति प्रदान करने का प्रस्ताव भी करता है.
इससे पहले सिंह ने विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नये-नये सुधारों के माध्यम से राष्ट्र को सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है और पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने हर क्षेत्र में नई पहल की हैं. सिंह ने कहा कि उक्त विधेयक भी इसी कड़ी में बहुत महत्वपूर्ण विधेयक है जो दो महत्वपूर्ण उद्देश्यों को एक साथ पूरा करता है और तीनों सेनाओं के एकीकरण और उनके संयुक्त अभियान चलाने की दिशा में बड़ा कदम है. उन्होंने कहा कि इससे भविष्य की चुनौतियों का एकजुट होकर मुकाबला किया जा सकेगा और यह अंतर सेवा संगठनों में अनुशासन को मजबूत करेगा.
सिंह ने कहा कि सेना में कभी भी किसी परस्थिति में अनुशासनहीनता का कोई मामला सामने आने पर जल्द निर्णय लेना आवश्यक हो जाता है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी अंतर सेना संगठन में अनुशासन बनाये रखने के लिए त्वरित कार्रवाई का प्रावधान करता है. सिंह ने कहा कि तीनों सेनाओं के कर्मी अपने-अपने संबंधित कानूनों और उनके तहत बनाए गए नियमों के अनुसार काम करते हैं. ऐसी स्थिति में अंतर सेना संगठनों में काम करने वाले कर्मियों के आनुशासनिक मामलों में कमांडर-इन-चीफ केवल अपने बल के कर्मियों पर अनुशासन और प्रशासनिक अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं और दूसरे बल के कर्मियों पर नहीं.
लोकसभा में शोर-शराबे के बीच 'अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान विधेयक' पेश
लोकसभा में शुक्रवार को 'अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान विधेयक, 2023' पेश किया गया जिसमें देशभर के विश्वविद्यालयों में अनुसंधान को वित्त पोषित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रतिष्ठान स्थापित करने का प्रावधान किया गया है. निचले सदन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेन्द्र सिंह ने 'अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान विधेयक, 2023' पेश किया. विधेयक पेश किये जाने के दौरान विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर के मुद्दे पर अपनी मांगों को लेकर शोर-शराबा कर रहे थे.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि यह विधेयक अनुसंधान और विकास, वैज्ञानिक खोजों, नई प्रौद्योगिकियों और अभिनव अनुप्रयोगों की आधारशिला है. प्रतिस्पर्धा, वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की सफलता और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के विभिन्न आयामों में चुनौतियों और अवसरों का समाधान करने के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसमें कहा गया है कि विज्ञान के सभी क्षेत्रों में एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का विकास आवश्यक है. इसमें गणितीय विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं पृथ्वी विज्ञान, स्वास्थ्य और कृषि के साथ ही मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान के वैज्ञानिक और तकनीकी आयाम सम्मिलित हैं.
इसके अनुसार, विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड अधिनियम 2008 में अब तक ऐसे अनुसंधान में लगे व्यक्तियों को वित्तीय सहायता के माध्यम से विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अच्छा अवसर प्रदान किया गया. फिर भी विज्ञान अधिनियम के माध्यम से गठित विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड का पैमाना और क्षेत्र सीमित रहा. विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि देश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र में निर्णायक बदलाव लाने में सक्षम अनुसंधान और नवाचार के लिए अधिक समग्र दृष्टिकोण के जरिये एकीकृत योजना और समन्वय की आवश्यकता है. हमारे देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षित मानव संसाधनों का एक विशाल समूह है जिनमें से कई लोग भारत के बाहर के विश्वविद्यालय और संस्थाओं में वैज्ञानिक अनुसंधान के अवसर तलाश सकते हैं.
शिक्षक संस्थानों में योग को अनिवार्य बनाने, नैतिक शिक्षा के प्रावधान वाले गैर सरकारी विधेयक पेश
शिक्षण संस्थानों में योग को अनिवार्य बनाने, नैतिक शिक्षा की कक्षाएं होने और सूचना के अधिकार कानून में संशोधन के प्रावधान वाले गैर सरकारी विधेयक शुक्रवार को लोकसभा में पेश किए गए. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य सुकांत मजूमदार ने सदन में 'विद्यालय और अन्य शिक्षण संस्थानों में अनिवार्य योग अभ्यास विधेयक, 2023' पेश किया. इस गैर सरकारी विधेयक में सभी स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थानों में योगाभ्यास को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव किया गया है.
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एन के प्रेमचंद्रन ने पत्रकारों की सुरक्षा के प्रावधान वाला 'पत्रकार (हिंसा तथा संपत्ति को क्षति अथवा हानि की रोकथाम) विधेयक, 2022' पेश किया. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने जनगणना संबंधी कानून में संशोधन से संबंधित निजी विधेयक पेश किया. भाजपा सदस्य जगदंबिका पाल ने 'सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2023' पेश किया. इस विधेयक में सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है. कांग्रेस सांसद हिबी ईडेन ने माहवारी के समय महिला कर्मियों के लिए सवैतिनक अवकाश के प्रावधान वाला निजी विधेयक पेश किया. भाजपा सदस्य रवि किशन ने शिक्षण संस्थानों में नैतिक शिक्षा दिए जाने के प्रावधान वाला गैर सरकारी विधेयक पेश किया. भाजपा सांसद मनोज कोटक ने सोशल मीडिया में फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए एक विनियामक प्राधिकरण गठित करने के प्रावधान वाला गैर सरकारी विधेयक पेश किया. इनके अलावा मनोज राजौरिया, संजय भाटिया, जसवीर सिंह गिल, रवि किशन, सुनीता दुग्गल, गणेश सेल्वम, कुलदीप शर्मा, एम के राघवन और हनुमान बेनीवाल समेत विभिन्न दलों के कुछ सदस्यों ने भी अपने-अपने गैर सरकारी विधेयक प्रस्तुत किये.
लोकसभा ने शोर-शराबे के बीच 'भारतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक' को मंजूरी दी
लोकसभा ने शुक्रवार को विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच 'भारतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक, 2023' को मंजूरी दी. इसके माध्यम से भारतीय प्रबंध संस्थान अधिनियम 2017 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है. निचले सदन में विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिए रखते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से मुंबई स्थित राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान (नीति) को भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) का दर्जा दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह संस्थान 1963 से चल रहा है जो तकनीकी-प्रबंधन पाठ्यक्रम में विशेषज्ञता रखता है. प्रधान ने कहा कि विधेयक में संस्थान को बिना वित्तीय बोझ के आईआईएम का दर्जा देने का प्रस्ताव है. विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जगदंबिका पाल और वाईएसआर कांग्रेस के लावू कृष्णा देवरायालू ने भाग लिया. देवरायालू ने इन संस्थाओं में अकादमिक स्वायत्ता से जुड़े कुछ विषय उठाए. शिक्षा मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने 'भारतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक, 2023' को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. इस दौरान विपक्षी सदस्य मणिपुर के मुद्दे पर शोर-शराबा कर रहे थे.
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(पीटीआई-भाषा)