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आईएमडी ने 7 मई से उत्तर पश्चिम, मध्य भारत में लू की दी चेतावनी

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Published : May 6, 2022, 7:23 AM IST

आईएमडी ने कहा कि राजस्थान में सात मई से नौ मई तक, और आठ मई और नौ मई को दक्षिण हरियाणा, दिल्ली, दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में लू की स्थिति बनने का अनुमान है. उत्तर मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ के अलग-अलग हिस्सों में लू की स्थिति बन सकती है.

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आईएमडी ने सात मई से उत्तर पश्चिम, मध्य भारत में लू चलने की चेतावनी दी

नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गुरुवार को कहा कि उत्तर पश्चिम भारत में सात मई से और मध्य भारत में आठ मई से फिर से लू चलने की संभावना है. आईएमडी ने कहा कि राजस्थान में सात मई से नौ मई तक, और आठ मई और नौ मई को दक्षिण हरियाणा, दिल्ली, दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में लू की स्थिति बनने का अनुमान है. उत्तर मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ के अलग-अलग हिस्सों में लू की स्थिति बन सकती है. स्काईमेट वेदर के अनुसार, अगले 24 घंटों के दौरान, दक्षिण कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक दो स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है.

मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, सिक्किम, ओडिशा के कुछ हिस्सों, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है. उत्तरी राजस्थान के कुछ हिस्सों और पंजाब, दिल्ली और हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों में हल्की बारिश, धूल भरी आंधी, गरज के साथ बौछारें पड़ सकती हैं. तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के एक या दो हिस्सों में हल्की बारिश संभव है. कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के कारण कम बारिश के साथ, उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में 122 वर्षों में इस साल अप्रैल सबसे गर्म रहा, जिसमें औसत अधिकतम तापमान क्रमशः 35.9 डिग्री सेल्सियस और 37.78 डिग्री सेल्सियस था.

स्काईमेट वेदर के अनुसार, पिछले 24 घंटों के दौरान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पूर्वोत्तर मध्य प्रदेश, रायलसीमा, केरल, तटीय कर्नाटक, तमिलनाडु और सिक्किम में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हुई. पंजाब, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में धूल भरी आंधी, गरज और कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि की गतिविधियां देखी गईं. जम्मू कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और तेलंगाना के अलग-अलग हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हुई. छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, तटीय आंध्र प्रदेश, पूर्वी अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और लक्षद्वीप में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश हुई. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तरी छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों और उत्तर और पूर्वोत्तर मध्य प्रदेश में न्यूनतम तापमान में काफी गिरावट आई है.

गर्मी या आग की घटनाओं से बचाव को हरसंभव कदम उठाएं : प्रधानमंत्री : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विभिन्न हिस्सों में पड़ रही भीषण गर्मी से निपटने और मॉनसून से जुड़ी तैयारियों की समीक्षा के लिए एक अहम बैठक की अध्यक्षता की. उन्होंने भीषण गर्मी या आग लगने की घटनाओं से होने वाली मौतों को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाने की आवश्यकता जताई. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा कि इस बैठक में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने देशभर में मार्च से मई 2022 के दौरान तापमान उच्च बने रहने के बारे में जानकारी दी.

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पीएमओ के बयान के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें भीषण गर्मी या आग की घटनाओं से लोगों की मौत को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाने होंगे. उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की किसी भी घटना पर कार्रवाई में कम से कम समय लगना चाहिए. प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि बढ़ते तापमान को देखते हुए अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा संबंधी ऑडिट नियमित तौर पर किए जाने की जरूरत है. मोदी ने देशभर में विविधतापूर्ण वन पारिस्थितिकी तंत्र में जंगलों में आग लगने के जोखिम को कम करने के लिए काम करने की जरूरत बताई.

वन कर्मियों और संस्थाओं की क्षमता बढ़ाने पर जोर : उन्होंने संभावित आग की घटना का समय पर पता लगाने, आग की घटनाओं से निपटने और इसके बाद भरपाई के लिए वन कर्मियों और संस्थाओं की क्षमता बढ़ाने पर भी जोर दिया. प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया कि आगामी मॉनसून के मद्देनजर पेयजल की गुणवत्ता पर निगरानी के लिए बंदोबस्त सुनिश्चित किए जाएं ताकि पानी दूषित नहीं हो तथा जलजनित बीमारियां नहीं फैलें. पीएमओ ने बताया कि बैठक में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की तैयारियों को लेकर सभी राज्यों को ‘बाढ़ तैयारियों की योजना’ बनाने की सलाह भी दी गई.

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जिला व शहर स्तर पर एक कार्य योजना तैयार करने की सलाह: प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि भीषण गर्मी और आगामी मॉनसून के मद्देनजर किसी भी घटना के लिए सभी प्रणालियों की तैयारी सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय और राज्य स्तरीय एजेंसियों के बीच प्रभावी समन्वय की जरूरत पर भी बैठक में चर्चा हुई. बयान के मुताबिक राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को भीषण गर्मी से निपटने के लिए राज्य से लेकर जिला व शहर स्तर पर एक कार्य योजना तैयार करने की सलाह दी गई. दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून की तैयारियों के बारे में सभी राज्यों को बाढ़ से निपटने के लिए कार्य योजना बनाने और इसकी तैयारी के लिए उपयुक्त कदम उठाने की सलाह दी गई.

पीएमओ ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) से कहा गया है कि बाढ़ प्रभावित राज्यों में कर्मियों की तैनाती योजना बनाने की सलाह दी गई है. इसके बारे में लोगों के बीच में जागरूकता फैलाने के लिए साथ ही सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों का इस्तेमाल करने की भी सलाह दी गई है. बैठक में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, प्रधानमंत्री के सलाहकारों, कैबिनेट सचिव, गृह, स्वास्थ्य एवं जलशक्ति मंत्रालयों के सचिवों, एनडीएमए के सदस्य, एनडीएमए और आईएमडी के महानिदेशकों और एनडीआरएफ के महानिदेशक ने भी भाग लिया.

नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गुरुवार को कहा कि उत्तर पश्चिम भारत में सात मई से और मध्य भारत में आठ मई से फिर से लू चलने की संभावना है. आईएमडी ने कहा कि राजस्थान में सात मई से नौ मई तक, और आठ मई और नौ मई को दक्षिण हरियाणा, दिल्ली, दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में लू की स्थिति बनने का अनुमान है. उत्तर मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ के अलग-अलग हिस्सों में लू की स्थिति बन सकती है. स्काईमेट वेदर के अनुसार, अगले 24 घंटों के दौरान, दक्षिण कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक दो स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है.

मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, सिक्किम, ओडिशा के कुछ हिस्सों, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है. उत्तरी राजस्थान के कुछ हिस्सों और पंजाब, दिल्ली और हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों में हल्की बारिश, धूल भरी आंधी, गरज के साथ बौछारें पड़ सकती हैं. तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के एक या दो हिस्सों में हल्की बारिश संभव है. कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के कारण कम बारिश के साथ, उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में 122 वर्षों में इस साल अप्रैल सबसे गर्म रहा, जिसमें औसत अधिकतम तापमान क्रमशः 35.9 डिग्री सेल्सियस और 37.78 डिग्री सेल्सियस था.

स्काईमेट वेदर के अनुसार, पिछले 24 घंटों के दौरान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पूर्वोत्तर मध्य प्रदेश, रायलसीमा, केरल, तटीय कर्नाटक, तमिलनाडु और सिक्किम में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हुई. पंजाब, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में धूल भरी आंधी, गरज और कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि की गतिविधियां देखी गईं. जम्मू कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और तेलंगाना के अलग-अलग हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हुई. छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, तटीय आंध्र प्रदेश, पूर्वी अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और लक्षद्वीप में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश हुई. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तरी छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों और उत्तर और पूर्वोत्तर मध्य प्रदेश में न्यूनतम तापमान में काफी गिरावट आई है.

गर्मी या आग की घटनाओं से बचाव को हरसंभव कदम उठाएं : प्रधानमंत्री : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विभिन्न हिस्सों में पड़ रही भीषण गर्मी से निपटने और मॉनसून से जुड़ी तैयारियों की समीक्षा के लिए एक अहम बैठक की अध्यक्षता की. उन्होंने भीषण गर्मी या आग लगने की घटनाओं से होने वाली मौतों को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाने की आवश्यकता जताई. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा कि इस बैठक में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने देशभर में मार्च से मई 2022 के दौरान तापमान उच्च बने रहने के बारे में जानकारी दी.

पढ़ें : गर्मियों के प्रभाव से त्वचा को राहत दिला सकते हैं ये प्राकृतिक उत्पाद

पीएमओ के बयान के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें भीषण गर्मी या आग की घटनाओं से लोगों की मौत को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाने होंगे. उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की किसी भी घटना पर कार्रवाई में कम से कम समय लगना चाहिए. प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि बढ़ते तापमान को देखते हुए अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा संबंधी ऑडिट नियमित तौर पर किए जाने की जरूरत है. मोदी ने देशभर में विविधतापूर्ण वन पारिस्थितिकी तंत्र में जंगलों में आग लगने के जोखिम को कम करने के लिए काम करने की जरूरत बताई.

वन कर्मियों और संस्थाओं की क्षमता बढ़ाने पर जोर : उन्होंने संभावित आग की घटना का समय पर पता लगाने, आग की घटनाओं से निपटने और इसके बाद भरपाई के लिए वन कर्मियों और संस्थाओं की क्षमता बढ़ाने पर भी जोर दिया. प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया कि आगामी मॉनसून के मद्देनजर पेयजल की गुणवत्ता पर निगरानी के लिए बंदोबस्त सुनिश्चित किए जाएं ताकि पानी दूषित नहीं हो तथा जलजनित बीमारियां नहीं फैलें. पीएमओ ने बताया कि बैठक में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की तैयारियों को लेकर सभी राज्यों को ‘बाढ़ तैयारियों की योजना’ बनाने की सलाह भी दी गई.

पढ़ें : जानलेवा भी हो सकता है हीट स्ट्रोक, बरतें सावधानी

जिला व शहर स्तर पर एक कार्य योजना तैयार करने की सलाह: प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि भीषण गर्मी और आगामी मॉनसून के मद्देनजर किसी भी घटना के लिए सभी प्रणालियों की तैयारी सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय और राज्य स्तरीय एजेंसियों के बीच प्रभावी समन्वय की जरूरत पर भी बैठक में चर्चा हुई. बयान के मुताबिक राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को भीषण गर्मी से निपटने के लिए राज्य से लेकर जिला व शहर स्तर पर एक कार्य योजना तैयार करने की सलाह दी गई. दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून की तैयारियों के बारे में सभी राज्यों को बाढ़ से निपटने के लिए कार्य योजना बनाने और इसकी तैयारी के लिए उपयुक्त कदम उठाने की सलाह दी गई.

पीएमओ ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) से कहा गया है कि बाढ़ प्रभावित राज्यों में कर्मियों की तैनाती योजना बनाने की सलाह दी गई है. इसके बारे में लोगों के बीच में जागरूकता फैलाने के लिए साथ ही सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों का इस्तेमाल करने की भी सलाह दी गई है. बैठक में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, प्रधानमंत्री के सलाहकारों, कैबिनेट सचिव, गृह, स्वास्थ्य एवं जलशक्ति मंत्रालयों के सचिवों, एनडीएमए के सदस्य, एनडीएमए और आईएमडी के महानिदेशकों और एनडीआरएफ के महानिदेशक ने भी भाग लिया.

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