शिमला : आलू की खेती करने वालों के लिए आईआईटी मंडी (IIT Mandi) के शोधकर्ताओं ने एक आधुनिक तरीका ईजाद किया है. जो फसल को बीमारी से बचाने के लिए मददगार साबित होगा. शोधकर्ताओं ने जटिल कम्प्यूटेशनल मॉडल से एक कंप्यूटर एप्लीकेशन का निर्माण किया है, जो आलू के पत्तों की तस्वीरों से ब्लाइट यानी झुलसा रोग का पता लगाएगा.
आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (School of Computing and Electrical Engineering) के ऐसोसिएट प्रोफेसर डॉ श्रीकांत श्रीनिवासन के मार्गदर्शन में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला (Research Institute Shimla) के सहयोग से जारी शोध में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक से पत्तों के रोग ग्रस्त हिस्सों का पता लगाने में सफलता हासिल की है. आमतौर पर आलू को ब्लाइट रोग लगता है और यदि समय पर इसकी रोकथाम न की जाए तो यह एक सप्ताह के भीतर पूरी फसल को तबाह कर देता है.
इसकी जांच पड़ताल करने के लिए विशेषज्ञों को खेतों में जाना पड़ता है और गहनता से इसकी जांच करनी पड़ती है. जिसके बाद ही रोग का पता लगता है. लेकिन अब कंप्यूटर और मोबाइल एप्लीकेशन (Mobile Application) से मात्र पत्तों की तस्वीर अपलोड करने से ही यह पता चल जाएगा कि फसल को रोग लगा है या नहीं. यदि लगा है तो समय पर इसकी रोकथाम के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा सकेगा. डॉ श्रीकांत श्रीनिवासन ने बताया कि अभी तक इसके 98 प्रतिशत सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं.
इस सारे शोध का खर्च भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology) द्वारा किया गया है. हाल में इसके परिणामों का प्रकाशन प्लांट फीनोमिक्स नामक जर्नल में किया गया है. यह मॉडल पूरे देश में पोर्टेबल हो इसपर विशेष ध्यान दिया गया है. इस मॉडल की सफलता के बाद आईआईटी मंडी की टीम इसको छोटा कर लगभग दस मेगाबाइट का बना रही है ताकि इसे स्मार्टफोन पर बतौर एप्लीकेशन उपलब्ध कराया जा सके.
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इसपर अधिकतर कार्य पूरा हो चुका है. इस तरह किसान के रोग ग्रस्त दिखते पत्तों की तस्वीर लेने पर यह एप्लीकेशन रीयल टाइम इसकी पुष्टि कर देगा कि पत्ता रोग ग्रस्त है या नहीं. किसान को समय से पता चल जाएगा कि खेत में रोग की रोकथाम के लिए छिड़काव कब करना है ताकि उपज खराब नहीं हो और फंगस नाशक की फिजूलखर्ची भी नहीं हो.