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Researchers Innovation : IIT मद्रास और संयुक्त अरब अमीरात विश्वविद्यालय ने मिनी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए बनाई डिवाइस

आईआईटी मद्रास और युक्त अरब अमीरात के खलीफा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए लघु इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए ताप प्रबंधन को लेकर एक नई डिवाइस बनाई है. पढ़िए पूरी खबर...

IIT Madras
आईआईटी मद्रास
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 22, 2023, 4:38 PM IST

चेन्नई : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT madras) और संयुक्त अरब अमीरात के खलीफा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विशेष रूप से अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए लघु इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए ताप प्रबंधन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है. इसके लिए एक डिवाइस बनाई गई है. इस बारे में जर्नल एप्लाइड थर्मल इंजीनियरिंग में हाल ही में प्रकाशित शोध में ताप प्रबंधन के बारे में शोधकर्ताओं की नवीनतम सफलता के बारे में जानकारी दी गई है. बता दें कि शोध पत्र का सह लेखन आईआईटी मद्रास के एप्लाइड मैकेनिक्स और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एस वेंगादेसन औऱ उनके शोध छात्र आर विष्णु के साथ-साथ खलीफा यूनिवर्सिटी के डॉ. अहमद अलकाबी और डॉ. दीपक सेल्वाकुमार ने किया था.

बता दें कि भारत का दूसरा अंतरिक्ष युग प्रभावशाली तकनीकी नवाचारों और इलेक्ट्रॉनिक घटकों के लघुकरण के अलावा एडवांस कार्यों को करने के लिए सक्षम करने से प्रेरित है. इसका उदाहरण चंद्रयान-3 मिशन है. हालांकि अंतरिक्ष मिशनों और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स दोनों में लघु इलेक्ट्रॉनिक घटकों के व्यापक उपयोग से महत्वपूर्ण ताप का उत्पादन होता है.

इतना ही नहीं उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग प्रोसेसर 200-250 वाट या उससे अधिक बिजली पैदा कर सकते हुए, फलस्वरूप 1 किलोवाट तक का ताप भार हो सकता है. इसके लिए कुशल ताप प्रबंधन की आवश्यकता होती है. वहीं लिक्विड- कूलिंग सिस्टम विशेष रूप से माइक्रो/मिनी चैनल हीट सिंक प्रणालियों में गर्मी को समाप्त करने के लिए सबसे उपयोगी माना जाता है. आईआईटी मद्रास टीम द्वारा किए गए शोध का उद्देश्य प्लेट इलेक्ट्रोड के उपयोग के माध्यम से मिनी-चैनलों के अंदर सुचारू प्रवाह करना है.

इस शोध के महत्व के बारे में विस्तार से बताते हुए आईआईटी मद्रास के एप्लाइड मैकेनिक्स और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. एस. वेंगाडेसन ने कहा कि इस शोध टीम द्वारा विकसित नया डिजाइन पतली प्लेट इलेक्ट्रोड का उपयोग करता है जो मिनी-चैनल तरल पदार्थ के अंदर घूमता हुआ प्रवाह पेश करता है. इसकी वजह से सीमाओं पर भंवरों का निर्माण होता है जिसके कारण बेहतर गर्मी हस्तांतरण की सुविधा मिलती है. वहीं डिजाइन को लेकर शोधकर्ताओं ने कम्प्यूटेशनल तरीकों को नियोजित किया जो तीन आयामों में द्रव प्रवाह का अनुकरण करते हैं. इसमें उन्होंने देखा की कि कैसे घूमते हुए वह दीवरों पर सुचारू प्रवाह को प्रभावी ढंग से बाधित कर दिया. इतना ही नहीं मिनी चैनलों में घूमते प्रवाह को प्रेरित करने के लिए एक कमजोर विद्युत क्षेत्र का उपयोग एप्लिकेशन को परिचालन रूप से सुरक्षित और कम बिजली की खपत प्रदान करता है.

इतना ही नहीं मिनीचैनलों में घूमते प्रवाह को प्रेरित करने के लिए एक कमजोर विद्युत क्षेत्र का उपयोग एप्लिकेशन को परिचालन रूप से सुरक्षित और कम बिजली की खपत प्रदान करता है. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक थर्मल प्रबंधन, विशेष रूप से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अध्ययन के लिए प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा इस डिज़ाइन द्वारा उत्पन्न विद्युत चालित प्रवाह भंवर अतिरिक्त ज्यामितीय संशोधनों की जरूरत को खत्म करते हैं. वहीं बिना किसी हिलने-डुलने वाले हिस्से के यह डिज़ाइन बिना कंपन के संचालित होता है और किसी रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती है. टीम विभिन्न इलेक्ट्रोड स्थितियों और झुकावों पर विचार करके डिज़ाइन को अनुकूलित करने की योजना बना रही है.

ये भी पढ़ें - IIT Madras: पेरिस ओलंपिक से पहले खिलाड़ियों के लिए स्मार्ट ट्रेनिंग सॉफ्टवेयर बना रहा आईआईटी मद्रास

चेन्नई : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT madras) और संयुक्त अरब अमीरात के खलीफा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विशेष रूप से अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए लघु इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए ताप प्रबंधन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है. इसके लिए एक डिवाइस बनाई गई है. इस बारे में जर्नल एप्लाइड थर्मल इंजीनियरिंग में हाल ही में प्रकाशित शोध में ताप प्रबंधन के बारे में शोधकर्ताओं की नवीनतम सफलता के बारे में जानकारी दी गई है. बता दें कि शोध पत्र का सह लेखन आईआईटी मद्रास के एप्लाइड मैकेनिक्स और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एस वेंगादेसन औऱ उनके शोध छात्र आर विष्णु के साथ-साथ खलीफा यूनिवर्सिटी के डॉ. अहमद अलकाबी और डॉ. दीपक सेल्वाकुमार ने किया था.

बता दें कि भारत का दूसरा अंतरिक्ष युग प्रभावशाली तकनीकी नवाचारों और इलेक्ट्रॉनिक घटकों के लघुकरण के अलावा एडवांस कार्यों को करने के लिए सक्षम करने से प्रेरित है. इसका उदाहरण चंद्रयान-3 मिशन है. हालांकि अंतरिक्ष मिशनों और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स दोनों में लघु इलेक्ट्रॉनिक घटकों के व्यापक उपयोग से महत्वपूर्ण ताप का उत्पादन होता है.

इतना ही नहीं उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग प्रोसेसर 200-250 वाट या उससे अधिक बिजली पैदा कर सकते हुए, फलस्वरूप 1 किलोवाट तक का ताप भार हो सकता है. इसके लिए कुशल ताप प्रबंधन की आवश्यकता होती है. वहीं लिक्विड- कूलिंग सिस्टम विशेष रूप से माइक्रो/मिनी चैनल हीट सिंक प्रणालियों में गर्मी को समाप्त करने के लिए सबसे उपयोगी माना जाता है. आईआईटी मद्रास टीम द्वारा किए गए शोध का उद्देश्य प्लेट इलेक्ट्रोड के उपयोग के माध्यम से मिनी-चैनलों के अंदर सुचारू प्रवाह करना है.

इस शोध के महत्व के बारे में विस्तार से बताते हुए आईआईटी मद्रास के एप्लाइड मैकेनिक्स और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. एस. वेंगाडेसन ने कहा कि इस शोध टीम द्वारा विकसित नया डिजाइन पतली प्लेट इलेक्ट्रोड का उपयोग करता है जो मिनी-चैनल तरल पदार्थ के अंदर घूमता हुआ प्रवाह पेश करता है. इसकी वजह से सीमाओं पर भंवरों का निर्माण होता है जिसके कारण बेहतर गर्मी हस्तांतरण की सुविधा मिलती है. वहीं डिजाइन को लेकर शोधकर्ताओं ने कम्प्यूटेशनल तरीकों को नियोजित किया जो तीन आयामों में द्रव प्रवाह का अनुकरण करते हैं. इसमें उन्होंने देखा की कि कैसे घूमते हुए वह दीवरों पर सुचारू प्रवाह को प्रभावी ढंग से बाधित कर दिया. इतना ही नहीं मिनी चैनलों में घूमते प्रवाह को प्रेरित करने के लिए एक कमजोर विद्युत क्षेत्र का उपयोग एप्लिकेशन को परिचालन रूप से सुरक्षित और कम बिजली की खपत प्रदान करता है.

इतना ही नहीं मिनीचैनलों में घूमते प्रवाह को प्रेरित करने के लिए एक कमजोर विद्युत क्षेत्र का उपयोग एप्लिकेशन को परिचालन रूप से सुरक्षित और कम बिजली की खपत प्रदान करता है. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक थर्मल प्रबंधन, विशेष रूप से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अध्ययन के लिए प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा इस डिज़ाइन द्वारा उत्पन्न विद्युत चालित प्रवाह भंवर अतिरिक्त ज्यामितीय संशोधनों की जरूरत को खत्म करते हैं. वहीं बिना किसी हिलने-डुलने वाले हिस्से के यह डिज़ाइन बिना कंपन के संचालित होता है और किसी रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती है. टीम विभिन्न इलेक्ट्रोड स्थितियों और झुकावों पर विचार करके डिज़ाइन को अनुकूलित करने की योजना बना रही है.

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