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IIT हैदराबाद ने बनाया दूसरा सबसे बड़ा एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी टेलीस्कोप

आईआईटी हैदराबाद ने एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी टेलीस्कोप बनाया है. इससे गहरे आकाश की वस्तुओं का अध्ययन किया जा सकता है. जानिए इसकी खासियत...

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Published : Aug 20, 2021, 6:41 AM IST

हैदराबाद : आईआईटी हैदराबाद ने सार्वजनिक पहुंच के लिए एक बड़ी दूरबीन के साथ अपनी पहली खगोलीय वेधशाला (Astronomical Observatory) की स्थापना की है. अपने विशाल आकार के कारण दूरबीन न केवल गहरे आकाश की वस्तुओं (deep sky object), ग्रह प्रणालियों (planetary systems), सितारों और निहारिकाओं (nebulae) की साफ तस्वीर दिखाएगा, बल्कि संभावित खोजों के साथ अनुसंधान को गुणवत्ता मिलेगी.

खगोलीय गतिविधियों के साथ-साथ एक छात्र प्रशिक्षण कार्यक्रम को शुरू करने की दिशा में पहले कदम के रूप में, आईआईटी हैदराबाद परिसर में एक बड़ी दूरबीन सुविधा (large telescope facility) स्थापित की गई है.

यह टेलीस्कोप 1650 मिमी की फोकल लेंथ के साथ 355 मिमी (आईआईटी कानपुर के बाद दूसरा सबसे बड़ा) के ऑप्टिकल डायमीटर के साथ एक बड़े आइने से सुसज्जित है. क्रेफ़ोर्ड फ़ोकसर (Crayford focuser) और ट्रस ट्यूब डिज़ाइन के साथ इतना बड़ा आइना गहरे आकाश और धुंधली वस्तुओं का अवलोकन करने में सक्षम होगा, जिन्हें एक छोटे टेलीस्कोप से पता लगाना कभी संभव नहीं था.

चांद की सतह पर छोटे-छोटे गड्ढे (Small craters on the lunar surface), शनि के वलय (rings of Saturn) को इस टेलीस्कोप की मदद से आसानी से देखा जा सकता है. छवियों और क्षणिक खगोलीय घटनाओं (astronomical phenomena) जैसे उल्का वर्षा (meteor showers) को रिकॉर्ड करने के लिए एक उन्नत डिजिटल कैमरा का उपयोग किया जाएगा. टेलीस्कोप मुख्य रूप से आउटरीच और रात्रि आकाश अवलोकन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए लक्षित होगा, इसमें अनुसंधान स्तर के प्रदर्शन को वितरित करने की क्षमता है, जिस पर बाद में काम किया जाएगा.

आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रोफेसर मूर्ति ने कहा, आकाश में वस्तुओं के बारे में युवा छात्रों का उत्साह और जिज्ञासा असीमित है. इस बड़े टेलीस्कोप के साथ, हम उन्हें आउटरीच कार्यक्रमों के लिए पारंपरिक रूप से उपयोग की जाने वाली अन्य छोटी दूरबीनों की तुलना में खगोलीय पिंडों के अधिक विस्तार से अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेंगे. स्टारगेजिंग ट्रेनिंग प्रोग्राम, खगोलीय ट्रांजेंडर्स का अवलोकन (observing astronomical transients), आकाशीय छवियों (celestial images) के साथ काम करने जैसी गतिविधियां उनके ज्ञान को बढ़ाएंगी और अंतरिक्ष के साथ मानवीय संबंध की उनकी भावना को बढ़ाएगी.

उन्होंने कहा, हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि आईआईटी हैदराबाद के एस्ट्रोनॉमी क्लब द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से हैदराबाद और उसके आसपास के स्कूलों और विभिन्न कॉलेजों के छात्रों को भी इस बड़े टेलीस्कोप का लाभ मिले. इसकी बेहतर गुणवत्ता वाली छवियों के कारण, ऑब्जर्वेटरी का डेटा सहायक डेटा की आपूर्ति करके राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खगोलीय शोधकर्ताओं की मदद कर सकता है.

भौतिक विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर, डॉ. मयूख पहाड़ी ने कहा, आउटरीच कार्यक्रम के लिए डिज़ाइन की गई अन्य ऑब्जर्वेटरी के विपरीत, यह सुविधा गहरे आकाश की वस्तुओं के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाली खगोलीय छवियों के साथ काम करने का मौका प्रदान करेगी ताकि स्कूल/कॉलेजों के छात्रों को खगोलीय अनुसंधान में योगदान करने के अवसर मिल सकें.

दूरबीन की मुख्य विशेषताएं:

  • 14 इंच का टेलीस्कोप आउटरीच के लिए समर्पित IIT का दूसरा सबसे बड़ा टेलीस्कोप है.
  • बड़ा आइना रात के आकाश का विस्तृत दृश्य प्रदान करता है.
  • टेलीस्कोप से लाखों धुंधली और गहरे आकाश की वस्तुओं का अध्ययन किया जा सकता है.
  • रिकॉर्ड की गई छवियां और डेटा खगोलीय अनुसंधान का समर्थन करने के लिए उपयोगी होंगे.

हैदराबाद : आईआईटी हैदराबाद ने सार्वजनिक पहुंच के लिए एक बड़ी दूरबीन के साथ अपनी पहली खगोलीय वेधशाला (Astronomical Observatory) की स्थापना की है. अपने विशाल आकार के कारण दूरबीन न केवल गहरे आकाश की वस्तुओं (deep sky object), ग्रह प्रणालियों (planetary systems), सितारों और निहारिकाओं (nebulae) की साफ तस्वीर दिखाएगा, बल्कि संभावित खोजों के साथ अनुसंधान को गुणवत्ता मिलेगी.

खगोलीय गतिविधियों के साथ-साथ एक छात्र प्रशिक्षण कार्यक्रम को शुरू करने की दिशा में पहले कदम के रूप में, आईआईटी हैदराबाद परिसर में एक बड़ी दूरबीन सुविधा (large telescope facility) स्थापित की गई है.

यह टेलीस्कोप 1650 मिमी की फोकल लेंथ के साथ 355 मिमी (आईआईटी कानपुर के बाद दूसरा सबसे बड़ा) के ऑप्टिकल डायमीटर के साथ एक बड़े आइने से सुसज्जित है. क्रेफ़ोर्ड फ़ोकसर (Crayford focuser) और ट्रस ट्यूब डिज़ाइन के साथ इतना बड़ा आइना गहरे आकाश और धुंधली वस्तुओं का अवलोकन करने में सक्षम होगा, जिन्हें एक छोटे टेलीस्कोप से पता लगाना कभी संभव नहीं था.

चांद की सतह पर छोटे-छोटे गड्ढे (Small craters on the lunar surface), शनि के वलय (rings of Saturn) को इस टेलीस्कोप की मदद से आसानी से देखा जा सकता है. छवियों और क्षणिक खगोलीय घटनाओं (astronomical phenomena) जैसे उल्का वर्षा (meteor showers) को रिकॉर्ड करने के लिए एक उन्नत डिजिटल कैमरा का उपयोग किया जाएगा. टेलीस्कोप मुख्य रूप से आउटरीच और रात्रि आकाश अवलोकन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए लक्षित होगा, इसमें अनुसंधान स्तर के प्रदर्शन को वितरित करने की क्षमता है, जिस पर बाद में काम किया जाएगा.

आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रोफेसर मूर्ति ने कहा, आकाश में वस्तुओं के बारे में युवा छात्रों का उत्साह और जिज्ञासा असीमित है. इस बड़े टेलीस्कोप के साथ, हम उन्हें आउटरीच कार्यक्रमों के लिए पारंपरिक रूप से उपयोग की जाने वाली अन्य छोटी दूरबीनों की तुलना में खगोलीय पिंडों के अधिक विस्तार से अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेंगे. स्टारगेजिंग ट्रेनिंग प्रोग्राम, खगोलीय ट्रांजेंडर्स का अवलोकन (observing astronomical transients), आकाशीय छवियों (celestial images) के साथ काम करने जैसी गतिविधियां उनके ज्ञान को बढ़ाएंगी और अंतरिक्ष के साथ मानवीय संबंध की उनकी भावना को बढ़ाएगी.

उन्होंने कहा, हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि आईआईटी हैदराबाद के एस्ट्रोनॉमी क्लब द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से हैदराबाद और उसके आसपास के स्कूलों और विभिन्न कॉलेजों के छात्रों को भी इस बड़े टेलीस्कोप का लाभ मिले. इसकी बेहतर गुणवत्ता वाली छवियों के कारण, ऑब्जर्वेटरी का डेटा सहायक डेटा की आपूर्ति करके राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खगोलीय शोधकर्ताओं की मदद कर सकता है.

भौतिक विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर, डॉ. मयूख पहाड़ी ने कहा, आउटरीच कार्यक्रम के लिए डिज़ाइन की गई अन्य ऑब्जर्वेटरी के विपरीत, यह सुविधा गहरे आकाश की वस्तुओं के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाली खगोलीय छवियों के साथ काम करने का मौका प्रदान करेगी ताकि स्कूल/कॉलेजों के छात्रों को खगोलीय अनुसंधान में योगदान करने के अवसर मिल सकें.

दूरबीन की मुख्य विशेषताएं:

  • 14 इंच का टेलीस्कोप आउटरीच के लिए समर्पित IIT का दूसरा सबसे बड़ा टेलीस्कोप है.
  • बड़ा आइना रात के आकाश का विस्तृत दृश्य प्रदान करता है.
  • टेलीस्कोप से लाखों धुंधली और गहरे आकाश की वस्तुओं का अध्ययन किया जा सकता है.
  • रिकॉर्ड की गई छवियां और डेटा खगोलीय अनुसंधान का समर्थन करने के लिए उपयोगी होंगे.
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