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IIT Bombay : आईआईटी बॉम्बे ने पूरे देश को किया गौरवान्वित, आइए एक नजर डालते हैं संस्थान के इतिहास पर

आईआईटी बॉम्बे दुनिया के 150 बेहतरीन विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल हो गया है. इस विवि से नंदन नीलेकणि और के.सिवान जैसी हस्तियां डिग्री प्राप्त कर चुके हैं. आइए आईआईटी बॉम्बे के इतिहास पर एक नजर डालते हैं.

IIT Bombay
आईआईटी बॉम्बे
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Published : Jun 28, 2023, 7:44 PM IST

मुंबई : आईआईटी बॉम्बे ने पूरे देश को गौरवान्वित किया है. दुनिया भर में बेहतरीन विश्वविद्यालयों की सूची में आईआईटी बॉम्बे ने लंबी छलांग लगाई है. क्यूएस रैंकिंग में वह 149 वें स्थान पर आ गया है. यानी वह दुनिया की टॉप 150 यूनिवर्सिटी में शामिल हो गई है. अगर आप इस रैंकिंग को समझना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि भारत का यह पहला संस्थान है, जिसने इस मुकाम को हासिल किया है. इस सूची में पहले स्थान पर अमेरिका की मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी है. आईआईएससी बेंगलुरु 225 वें स्थान पर और आईआटी दिल्ली 197 वें स्थान पर है. भारत के कुल 45 विवि को रैंकिंग में जगह मिली है. आईआईटी बॉम्बे ने जो उपलब्धि हासिल की है, आइए इस विश्विद्यालय से जुड़े उनके इतिहास पर एक नजर डालते हैं.

देश में तकनीकी शिक्षा का विकास हो, इसके लिए 1950 में प.बंगाल के खड़गपुर में देश का पहला आईआईटी खोला गया था. उसके बाद देश का दूसरा आईआईटी 1958 में बॉम्बे में खुला. इसे आज आईआईटी बॉम्बे के नाम से जाना जाता है. वैसे, तो शहर का नाम बदलकर मुंबई हो चुका है, फिर भी इस संस्थान को आईआईटी बॉम्बे के नाम से ही जाना जाता है. इसके बाद 1959 में मद्रास, 1958 में कानपुर और 1961 में दिल्ली में अलग-अलग आईआईटी केंद्र खुले. इन सभी संस्थानों ने देश में तकनीकी शिक्षा को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाई है. लेकिन आज हम आईआईटी बॉम्बे की बात करेंगे.

इसके इतिहास पर नजर डालें, तो 1957 में बॉम्बे में इस संस्थान की स्थापना की गई. वैसे औपचारिक शुरुआत 1958 से हुई. इसकी स्थापना में तत्कालीन सोवियत संघ की बड़ी भूमिका थी. साथ ही यूनेस्को ने भी योगदान किया. सोवियत संघ ने 1956 से 1973 तक आईआईटी बॉम्बे को उपकरणों की मदद की. उनके फैकल्टी यहां पर आते थे. वहां के अलग-अलग संस्थानों के एक्सपर्ट्स आईआईटी बॉम्बे में आकर क्लास कंडक्ट करते थे. कई तकनीशियंस भी यहां पर आए. पहले बैच में 100 स्टूडेंट्स थे. उस समय यह 200 हेक्टेयर में फैला हुआ था. मुंबई के पवई इलाके में संस्थान को विकसित किया गया.

1961 में इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया. इसके लिए 1961 में संसद में एक एक्ट पास किया गया था. इसी साल संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान कर दिया गया. इस साल से वे निजी उपाधियां दे सकते थे और उन्हें डिप्लोमा सर्टिफिकेट प्रदान करने का भी दर्जा दे दिया गया.

आईआईटी बॉम्बे से पढ़ने वाले दिग्गजों में इंफोसिस के नंदन नीलेकणि, ओला कैब के को-फाउंडर भाविश अग्रवाल, ट्विटर के पूर्व सीईओ पराग अग्रवाल और इसरो चेयरमैन के.सिवान जैसी हस्तियां शामिल हैं. इंफोसिस के सह-संस्थापक और चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने आईआईटी बॉम्बे को 315 करोड़ रुपये का दान दिया. इससे पहले भी वह 85 करोड़ का योगदान कर चुके हैं.

पिछले साल आईआईटी बॉम्बे ने एक साल में 400 से अधिक पीएचडी स्नातक तैयार किए. ये साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित जैसे स्ट्रीम से हैं. यह किसी भी संस्थान के लिए अब तक का रिकॉर्ड है. आईआईटी बॉम्बे द्वारा प्रदान की जाने वाली डिग्रियां कुछ इस तरह से हैं.

  • बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी
  • बैचलर ऑफ साइंसेज
  • दोहरी डिग्री (5 वर्ष में बी.टेक. और एम.टेक.)
  • मास्टर ऑफ साइंस (एमएससी)
  • एमटेक
  • बैचलर ऑफ डिजाइन
  • मास्टर ऑफ डिजाइन
  • एमबीए
  • एमफिल
  • पीएचडी

ये भी पढ़ें : QS World University Ranking में IIT बॉम्बे टॉप 150 में, प्रमुख क्वाक्वेरेली ने उपलब्धि पर दी बधाई

मुंबई : आईआईटी बॉम्बे ने पूरे देश को गौरवान्वित किया है. दुनिया भर में बेहतरीन विश्वविद्यालयों की सूची में आईआईटी बॉम्बे ने लंबी छलांग लगाई है. क्यूएस रैंकिंग में वह 149 वें स्थान पर आ गया है. यानी वह दुनिया की टॉप 150 यूनिवर्सिटी में शामिल हो गई है. अगर आप इस रैंकिंग को समझना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि भारत का यह पहला संस्थान है, जिसने इस मुकाम को हासिल किया है. इस सूची में पहले स्थान पर अमेरिका की मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी है. आईआईएससी बेंगलुरु 225 वें स्थान पर और आईआटी दिल्ली 197 वें स्थान पर है. भारत के कुल 45 विवि को रैंकिंग में जगह मिली है. आईआईटी बॉम्बे ने जो उपलब्धि हासिल की है, आइए इस विश्विद्यालय से जुड़े उनके इतिहास पर एक नजर डालते हैं.

देश में तकनीकी शिक्षा का विकास हो, इसके लिए 1950 में प.बंगाल के खड़गपुर में देश का पहला आईआईटी खोला गया था. उसके बाद देश का दूसरा आईआईटी 1958 में बॉम्बे में खुला. इसे आज आईआईटी बॉम्बे के नाम से जाना जाता है. वैसे, तो शहर का नाम बदलकर मुंबई हो चुका है, फिर भी इस संस्थान को आईआईटी बॉम्बे के नाम से ही जाना जाता है. इसके बाद 1959 में मद्रास, 1958 में कानपुर और 1961 में दिल्ली में अलग-अलग आईआईटी केंद्र खुले. इन सभी संस्थानों ने देश में तकनीकी शिक्षा को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाई है. लेकिन आज हम आईआईटी बॉम्बे की बात करेंगे.

इसके इतिहास पर नजर डालें, तो 1957 में बॉम्बे में इस संस्थान की स्थापना की गई. वैसे औपचारिक शुरुआत 1958 से हुई. इसकी स्थापना में तत्कालीन सोवियत संघ की बड़ी भूमिका थी. साथ ही यूनेस्को ने भी योगदान किया. सोवियत संघ ने 1956 से 1973 तक आईआईटी बॉम्बे को उपकरणों की मदद की. उनके फैकल्टी यहां पर आते थे. वहां के अलग-अलग संस्थानों के एक्सपर्ट्स आईआईटी बॉम्बे में आकर क्लास कंडक्ट करते थे. कई तकनीशियंस भी यहां पर आए. पहले बैच में 100 स्टूडेंट्स थे. उस समय यह 200 हेक्टेयर में फैला हुआ था. मुंबई के पवई इलाके में संस्थान को विकसित किया गया.

1961 में इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया. इसके लिए 1961 में संसद में एक एक्ट पास किया गया था. इसी साल संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान कर दिया गया. इस साल से वे निजी उपाधियां दे सकते थे और उन्हें डिप्लोमा सर्टिफिकेट प्रदान करने का भी दर्जा दे दिया गया.

आईआईटी बॉम्बे से पढ़ने वाले दिग्गजों में इंफोसिस के नंदन नीलेकणि, ओला कैब के को-फाउंडर भाविश अग्रवाल, ट्विटर के पूर्व सीईओ पराग अग्रवाल और इसरो चेयरमैन के.सिवान जैसी हस्तियां शामिल हैं. इंफोसिस के सह-संस्थापक और चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने आईआईटी बॉम्बे को 315 करोड़ रुपये का दान दिया. इससे पहले भी वह 85 करोड़ का योगदान कर चुके हैं.

पिछले साल आईआईटी बॉम्बे ने एक साल में 400 से अधिक पीएचडी स्नातक तैयार किए. ये साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित जैसे स्ट्रीम से हैं. यह किसी भी संस्थान के लिए अब तक का रिकॉर्ड है. आईआईटी बॉम्बे द्वारा प्रदान की जाने वाली डिग्रियां कुछ इस तरह से हैं.

  • बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी
  • बैचलर ऑफ साइंसेज
  • दोहरी डिग्री (5 वर्ष में बी.टेक. और एम.टेक.)
  • मास्टर ऑफ साइंस (एमएससी)
  • एमटेक
  • बैचलर ऑफ डिजाइन
  • मास्टर ऑफ डिजाइन
  • एमबीए
  • एमफिल
  • पीएचडी

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